प्रदेश में कोयले की कमी और पावर प्लांट्स के ठप पड़ने से पैदा हुए बिजली संकट से हल्की राहत के संकेत मिलने लगे हैं। कुछ यूनिट में प्रोडक्शन शुरू होने के साथ ही कोयले की सप्लाई भी बढ़ गई है। ऐसे में यह निर्णय लिया गया है कि प्रदेश में रोटेशन के आधार पर बिजली कटौती की जाएगी। यानी, एक इलाके में कटौती होगी तो दूसरे इलाके में बिजली सप्लाई। कहां कितनी कटौती होगी, यह वहां की सप्लाई और डिमांड पर तय किया जाएगा।
कोटा ताप बिजली घर की यूनिट 6 में 195 मेगावॉट बिजली का प्रोडक्शन शुरू हो गया है। 9 अक्टूबर से काली सिंध थर्मल बिजली घर की यूनिट 2 में 600 मेगावॉट बिजली बनना शुरू हो चुकी है। राजस्थान में 10 अक्टूबर को बिजली की उपलब्धता में कुछ सुधार हुआ है। इससे औसत मांग और अधिकतम मांग में कमी दर्ज हुई है। प्रदेश में 9353 मेगावॉट बिजली उपलब्ध हुई, जबकि 10,639 मेगावॉट की औसत मांग और 12 हजार मेगावॉट की अधिकतम मांग रही है।
इस तरह से होगा रोटेशन
प्रदेश में अब तक डिस्कॉम की ओर से सभी जिले, गांव और शहर में एक साथ बिजली कटौती होती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। इसके लिए डिस्कॉम एक बार में एक ही जिले, गांव और शहर की बिजली काटेगा। किस शहर की कब बिजली कटौती होगी, यह वहां की सप्लाई और डिमांड पर तय होगा ।
बढ़ने लगी कोयले की सप्लाई
कोल इंडिया से औसतन 5 रैक कोयले के राजस्थान आने लगे हैं। विद्युत उत्पादन निगम और अडानी के जॉइंट वेंचर पारसा ईस्ट और कांटा बेसन से अब कोयले की ज्यादा रैक डिस्पैच होने लगी है। जहां पहले 12 से 12.5 रैक ही राजस्थान को मिल पा रही थी, वो बढ़कर अब 14 से 15 रैक हो गई है। एसीएस सुबोध अग्रवाल के मुताबिक राजस्थान में कुछ राहत मिल सकती है। क्योंकि राज्य को छत्तीसगढ़ की बिलासपुर कोयला खदान से 7.5 रैक के बजाय 10 कोयला रैक मिलना शुरू हो गए हैं। सीआईएल से 1 एक्स्ट्रा रैक भी मिलने लगा है।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बिजली विभाग की रिव्यू बैठक में निर्देशों के बाद विभाग ने विद्युत निगम के 1 एग्जीक्यूटिव इंजीनियर को मध्यप्रदेश के सिंगरोली और 1 सुपरिटैंडैंट इंजीनियर और 1 एग्जीक्यूटिव इंजीनियर को छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में तैनात किया है। ये अधिकारी कोयले की रैक समय पर डिस्पैच कराने की कोशिशों में जुटे हैं।
सूत्रों के मुताबिक इससे पहले भी कई अधिकारी उत्पादन निगम ने कोयला खदान कंपनियों से बातचीत के लिए भेजे थे, लेकिन वो कोयले सप्लाई का सही मैनेजमेंट नहीं कर पाए। इस कारण राजस्थान को जरूरत के मुताबिक कोयला नहीं मिल पाया। अब निगरानी के लिए विशेष निर्देश देकर एसीएस ने जिम्मेदारी देकर इन 3 इंजीनियर्स को भेजा है।
एसीएस सुबोध अग्रवाल लगातार ले रहे रिव्यू बैठकें
एसीएस डॉ. सुबोध अग्रवाल रोजाना बिजली विभाग, उत्पादन निगम, ऊर्जा विकास निगम, डिस्कॉम और वितरण निगम कंपनियों के साथ रिव्यू बैठकें ले रहे हैं। सुबह और शाम दोनों टाइम के हालात का फीडबैक लिया जा रहा है। साथ ही केन्द्र सरकार, कोयला मंत्रालय और कोयला कंपनियों से कॉर्डिनेशन किया जा रहा है। सूचना जनसंपर्क विभाग को लोगों से बिजली बचत करने की अपील और इसका प्रचार-प्रसार करने के भी निर्देश सरकार ने दिए हैं।
दिल्ली, पंजाब, आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्रियों ने भी कोयले की कमी का मुद्दा उठाया
राजस्थान के ऊर्जा विभाग के एसीएस डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि वे केन्द्र सरकार और कोयला कंपनियों से संपर्क और वहां के सीनियर अफसरों से कॉर्डिनेशन में जुटे हैं। दिल्ली, पंजाब और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्रियों की ओर से पावर प्लांट्स में कोयले की कमी का मुद्दा उठाया है।
केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने कोयले की कमी के 4 कारण गिनाए
केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने कोयले के भंडार में कमी के 4 कारण गिनाए हैं। पहला- बिजली की मांग में अब तक की सबसे ज्यादा बढ़ोतरी। दूसरा- सितंबर 2021 के दौरान कोयला खदान इलाकों में भारी बारिश। तीसरा- इम्पोर्ट कोयले की रेट अब तक सबसे ज्यादा होना। चौथा- मानसून की शुरुआत से पहले जरूरत का एनालिसिस कर कोयला स्टॉक नहीं रखना।
46 संयंत्रों में 0 या केवल 1 दिन का कोयला भंडार
केन्द्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने राज्यों को आश्वासन दिया है कि वह 1.6 मीट्रिक टन कोयला भेजने की कोशिश कर रहा है। अगले 3 दिनों में 1.7 मीट्रिक टन तक कोयला एक ही दिन में पहुंचने की कोशिश की जाएगी। 7 अक्टूबर, 2021 तक देश के 135 कोयला संयंत्रों में से 110 गंभीर रूप से कम स्टॉक का सामना कर रहे थे। औसतन 4 दिनों के कोयला स्टॉक के साथ 46 संयंत्रों में 0 या 1 दिन का कोयला भंडार है। यूके में भी फ्यूल पंप खाली है। किसी भी तरह की हिंसा को रोकने के लिए देश की सेना को बुलाया गया है। यूरोप में सप्लाई के कारण सितंबर से अब तक नैचुरल गैस की कीमतों में 130 फीसदी बढ़ोतरी हुई है।