महराणा प्रताप की प्रिय अश्व चेतक की स्मृति में घोड़ाघाटी चौराहे पर जल्द महाराणा प्रताप शौर्य केन्द्र बनकर तैयार हो जाएगा। इस ऐतिहासिक स्थल के प्रति पुरातत्व, पर्यटन महकमे के साथ प्रशासन की उदासीनता रही, तो सर्वसमाज द्वारा जनसहयोग से राशि जुटा ली और करौली राजपरिवार के रोडसिंह के सानिध्य में भूमि पूजन कर परकोटा निर्माण शुरू कर दिया।
यह ऐतिहासिक स्थल राजसमंद जिले में देलवाड़ा तहसील की करौली पंचायत के घोड़ाघाटी गांव में है। बताया जाता है कि महाराणा प्रताप के प्रिय अश्व चेतक के पद है, जो उस वक्त पत्थर (पाषाण) पर उभर आए। अब उसी स्थित को ऐतिहासिक दृष्टि से संरक्षित व विकसित करने के लिए प्रताप शौर्य केन्द्र का निर्माण किया जाएगा। इसके लिए सर्व समाज द्वारा विशेष पहल की गई और इस स्थल के परकोटे का निर्माण शुरू किया गया। हेमेंद्रसिंह झाला उदयपुर ने बताया कि सर्व समाज ने द्वारा घोड़ाघाटी स्थल को संरक्षित करते हुए ऐतिहासिक रूप देने का निर्णय लिया। इसके तहत करौली राजपरिवार सदस्य रोड सिंह के सानिध्य में विधि विधान से भूमि पूजन किया और परकोटा निर्माण शुरू हुआ।
ये थे मौजूद थे।
इस अवसर पर सुमेरसिंह पिपलिया, करौली पंचायत प्रतिनिधि राम रेबारी, नरपतसिंह डाबीयों का गुड़ा, शंकर सिंह, जगदीश दशोरा, नारायण जटिया, अशोक जोशी, शूरवीर सिंह सोडावास, नरेंद्रसिंह पिपलिया, राजेंद्रसिंह, युवराज सिंह, हरिओम सिंह करोली, कृष्णपालसिंह नला आदि मौजूद थे।
यह है मान्यता
क्षेत्र में मान्यता है कि हल्दीघाटी युद्ध में जाने से पहले महाराणा प्रताप सेना सहित घोडाघाटी क्षेत्र से निकले, तभी उनके घोड़े चेतक के पद पाषाण में अंकित हो गए थे। उन्हीं पाषाण पत्थरों को संरक्षित कर प्रताप शौर्य केंद्र की स्थापना की जा रही है, जहां पर महाराणा प्रताप की अश्वारूढ़ प्रतिमा स्थापित की जाएगी। जनसहयोग से बनने वाले इस प्रोजेक्ट में ऐतिहासिक पुस्तकों का ग्रंथालय, संग्रहालय व गार्डन भी बनाया जाएगा।