प्रदेश में राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में राजसमंद जिला मुख्यालय पर रात को मोमबत्ती जलाकर गहलोत सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के बाद विधानसभा का घेराव करने के लिए जयपुर पहुंचे डॉक्टर्स द्वारा पुलिस को धकेलकर विधानसभा में प्रवेश का प्रयास करने पर पुलिस ने लाठीचार्ज कर डॉक्टर्स को खदेड़ा। इसमें कुछ डॉक्टर लहूलुहान भी हो गए और कुछ महिला डॉक्टर से बदसलूकी की बात भी कही गई है। सैकड़ों की संख्या में डॉक्टर जयपुर में गहलोत सरकार के खिलाफ प्रदर्श करने के लिए पहुंच गए और राइट टू हेल्थ बिल को वापस लेने की मांग उठाई। सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए डॉक्टर विधानसभा का घेराव करने के लिए पहुंचे और पुलिस द्वारा रोकने के प्रयास भी किए गए, मगर डॉक्टर पुलिस को जबरन धकेलते हुए आगे बढ़ने लगे। इस कारण पुलिस से डॉक्टरों की झड़प हो गई, जिससे कुछ डॉक्टर चोटिल भी हुए हैं।
प्रदेशभर के डॉक्टर पहुंचे जयपुर
जयपुर में विधानसभा का घेराव करने के लिए राजसमंद, उदयपुर के साथ ही प्रदेशभर से करीब ढाई हजार से ज्यादा प्राइवेट हॉस्पीटल संचालक पहुंचे और प्रदर्शन किया। प्रदेश के डॉक्टर पहले जयपुर के एसएमएस हॉस्पिटल के मेडिकल एसोसिएशन सभागार में एकत्रित हुए, जहां राइट टू हेल्थ बिल पर चर्चा करने के बाद विरोध प्रदर्शन को लेकर अपना अपना तर्क रखा। उसके बाद दोपहर बारह बजे सभी डॉक्टर अस्पताल से निकले और जेएलएन मार्ग होते हुए सभी डॉक्टर त्रिमूर्ति सर्कल पर पहुंच गए, जहां सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए विरोध प्रदर्शन किया जा रहा था। यहां से डॉक्टर आगे बढ़ते हुए नारायण सिंह सर्किल होकर सेंट्रल पार्क के सामने से स्टैच्यू सर्किल पर पहुंच गए और गहलोत सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन किया।
स्टैच्यू सर्किल पर पुलिस से झड़प
जयपुर में गहलोत सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान जब प्राइवेट हॉस्पीटल संचालक दोपहर करीब एक बजे स्टैच्यू सर्कल पर पहुंचे, जहां पुलिस द्वारा रोक दिया गया। पुलिस से धक्कामुक्की करते हुए डॉक्टर जबरन आगे बढ़ने लगे, तो पुलिस ने पुलिस से झड़प भी हो गई और लाठीचार्ज करने के भी आरोप है। डॉक्टरों के आरोप है कि पुलिस द्वारा लाठियों से डॉक्टर को पीटा गया और महिला डॉक्टर से भी मारपीट की और कई डॉक्टरों के कपड़े फाड़ दिए। प्राइवेट अस्पताल और नर्सेज सोसायटी के सचिव डॉ. विजय कपूर ने बताया कि पुलिस ने खींचकर नीचे गिराया और लाठियां बरसाई। लाठियां मारने से भगदड़ मच गई और कई डॉक्टर नीचे भी गिर गए। उसके बाद कुछ पता नहीं चला, मगर सरकार उनकी मांगे नहीं मानेगी तो इसका परिणाम सरकार को भारी पड़ेगा।
इस बिल में शिकाय निवारण सिस्टम बनेगा
- यह बिल लागू होने के बाद 6 महीने में सरकार शिकायत निवारण सिस्टम बनाएगी।
- इसमें जो भी शिकायत आएगी, उसको चौबीस घंटे में संबंधित अधिकारी को भेजी जाएगी और वह अधिकारी 24 घंटे में जवाब देगा तथा शिकायत का समाधान नहीं होता है तो वह शिकायत जिला चिकित्सा विभाग को तत्काल भेजी जाएगी।
- संबंधित अधिकारी अगले 24 घंटे के अंदर शिकायत करने वाले को जवाब देगा।
- अगर 24 घंटे में शिकायत का सॉल्यूशन अधिकारी नहीं करता है तो वह शिकायत डिस्ट्रिक्ट हेल्थ अथॉरिटी को तुरंत फॉरवर्ड की जाएगी।
- उसके बाद उस शिकायत पर जिला स्तर से भी 30 दिन में उचित कार्रवाई होगी और शिकायतकर्ता को भी सूचना मिलेगी।
जिला व राज्य स्तर पर बनेगी विशेष अथॉरिटी
प्रदेश में राइट टू हेल्थ बिल लागू होने के बाद राज्य व प्रत्येक जिला स्तर पर हेल्थ ऑथाेरिटी बनाई जाएगी। प्रदेश स्तर पर संयुक्त निदेशक या उससे ऊपर रैंक के आईपीएस अधिकारी अध्यक्ष होंगे और स्वास्थ्य निदेशक सदस्य सचिव होंगे। मेडिकल एजुकेशन कमिश्नर, स्टेट हेल्थ इंश्योरेंस एजेंसी के जॉइंट सीईओ, आयुर्वेद डायरेक्टर, होम्योपैथी डायरेक्टर, यूनानी डायरेक्टर पदेन सदस्य होंगे। इसके अलावा दो नामांकित सदस्य होंगे। पदेन सदस्य के अलावा सभी सदस्यों की नियुक्ति 3 साल के लिए होगी। 6 महीने में कम से कम एक बार हेल्थ अथॉरिटी की बैठक होगी। साल में 2 बार बैठक करनी होगी। इसी तरह जिला स्तर पर भी कलक्टर अध्यक्ष होगा, जबकि जिला परिषद सीईओ सह अध्यक्ष रहेंगे। डिप्टी सीएमएचओ पदेन सदस्य, जिला आयुर्वेद अधिकारी और पीएचईडी के एसई पदेन सदस्य होंगे। जिला स्तर पर भी दो नोमिनेटेड सदस्य होंगे। जिला परिषद का प्रमुख इसका सदस्य होगा। साथ ही पंचायत समितियों के 3 प्रधान सदस्य होंगे। पदेन सदस्य के अलावा सभी सदस्यों की नियुक्ति 3 महीने के लिए होगी।