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“मोदी” बयान के मानहानि केस में राहुल गांधी को 2 साल की कैद, देखिए क्या है पूरा मामला

02 5 https://jaivardhannews.com/rahul-gandhi-imprisoned-for-2-years-in-defamation-case-of-modi-statement-see-what-is-the-whole-matter/

‘सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है?’… कांग्रेस नेता राहुल गांधी के इस बयान को लेकर दर्ज मानहानि के मामले में सूरत की कोर्ट द्वारा उन्हें दोषी करार देते हुए 2 साल के कारावास की सजा सुनाई है। हालांकि राहुल गांधी को कोर्ट से तुरंत जमानत मिल गई। राहुल ने 2019 में कर्नाटक में एक रैली में ये बयान दिया था। राहुल के इस बयान को पूरे मोदी समाज का अपमान बताते हुए बीजेपी विधायक पूर्णेश मोदी ने उनके खिलाफ मामला दर्ज कराया था। पिछले 4 साल से मानहानि का मामला चल रहा था। इससे पहले कोर्ट ने 17 मार्च को इस मामले में सभी दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा था। कोर्ट में फैसले के दौरान राहुल गांधी भी मौजूद थे।

राहुल गांधी सूरत पहुंचे, 150 जवान तैनात

राहुल सुबह दिल्ली से सूरत पहुंचे। उनकी सुरक्षा में 150 जवान तैनात किए गए हैं। कोर्ट के बाहर भी सुरक्षा सख्त की गई। शहर कांग्रेस के अनुसार 200 से ज्यादा कार्यकर्ता राहुल गांधी का स्वागत करेंगे। हर वार्ड के पदाधिकारियों को भी इसमें मौजूद रहना अनिवार्य है। यदि राहुल गांधी के खिलाफ फैसला आया तो विरोध प्रदर्शन करेंगे। पक्ष में फैसला आया तो पटाखे फोड़े जाएंगे।

जानिए क्या है मामला

वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कर्नाटक के कोलार में एक रैली के दौरान राहुल ने अपने भाषण में कहा था कि चोरों का सरनेम मोदी है। सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है, चाहे वह ललित मोदी हो या नीरव मोदी हो चाहे नरेंद्र मोदी। इस केस की सुनवाई के दौरान राहुल गांधी तीन बार कोर्ट में पेश हुए थे। आखिरी बार अक्टूबर 2021 की पेश के दौरान उन्होंने खुद को निर्दोष बताया था।

सूरत पश्चिम के विधायक ने दर्ज कराया था केस

यह केस सूरत पश्चिम के विधायक पूर्णेश मोदी ने दर्ज किया था। पूर्णेश का कहना था कि राहुल गांधी ने हमारे समाज को चोर कहा था। चुनावी सभा में हमारे खिलाफ आरोप लगाए गए, जिससे हमारी और समाज की भावनाओं को ठेस पहुंची। इसी के चलते हम इस मामले को कोर्ट में लेकर आए। हम आखिरी सांस तक लड़ेंगे। हमें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है। हालांकि, राहुल गांधी के वकील ने दलील दी थी कि पूर्णेश मोदी को इस मामले में पीड़ित पक्ष के रूप में शिकायतकर्ता नहीं होना चाहिए था, क्योंकि राहुल गांधी के अधिकांश भाषणों में प्रधान मंत्री को निशाना बनाया गया था, न कि पूर्णेश मोदी को।

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