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भजन सरकार में 22 मंत्रियों को दिलाई शपथ, टीटी MLA बने नहीं, पर मंत्री पद की दिला दी शपथ

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राजस्थान में भजनलाल शर्मा के मुख्यमंत्री बनने के 15 दिन बाद मंत्रीमंडल के नाम तय हो पाए। इसके लिए सीएम भजनलाल शर्मा, उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी व डॉ. प्रेमचंद बैरवा, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी, प्रदेश प्रभारी अरूण सिंह की कई बार दिल्ली तक दौड़ हुई, तब भाजपा केन्द्रीय नेतृत्व से वार्ता के बाद ये नाम तय किए गए। इस तरह भजनलाल सरकार मंत्रिमंडल का विस्तार होने के साथ ही राज्यपाल कलराज मिश्र द्वारा 22 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई। इनमें 12 कैबिनेट और 5 राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), 5 राज्य मंत्री शामिल है।

सांसद से त्याग पत्र देकर विधायक बने किरोड़ीलाल मीणा, राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को भी कैबिनेट में जगह मिली। इसके अलावा सुरेंद्र पाल सिंह टीटी को मंत्री पद की शपथ दिलाना काफी चर्चा का विषय बना रहा, जो अभी तक विधायक ही नहीं बने और उससे पहले ही मंत्री पद की शपथ दिला दी। वे वे श्रीकरणपुर विधानसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी है, जहां अभी चुनाव होना बाकी है, जहां 5 जनवरी को मतदान होगा। हालांकि नियमानुसार कोई भी नागरिक छह माह तक मंत्री पद की शपथ ले सकता है। फिर उसे छह माह की समयावधि चुनाव लड़कर विधायक बनना अनिवार्य है, तभी वह आगे मंत्री रह सकता है।

उल्लेखनीय है कि 12 दिसंबर को भजनलाल शर्मा को सीएम बनाने का नाम तय हुआ। फिर 15 दिसंबर को उन्हें शपथ दिलाई गई। साथ ही उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी व डॉ. प्रेमचंद बैरवा ने भी शपथ ली। उसके बाद मंत्रीमंडल विस्तार होने में करीब 15 दिन का समय लग गया। चर्चा है कि मंत्रीमंडल में 30 मंत्री बन सकते हैं और अभी 15 मंत्री हो चुके हैं, जिसमें दो उप मुख्यमंत्री भी शामिल है। ऐसे में 5 और मंत्री बनाए जा सकत हैं। मंत्रीमंडल गठन में खास बात यह रही है कि इस 22 मंत्री में 16 ऐसे मंत्री बने हैं, जो पहली बार मंत्री बने हैं।

मेवाड़ की बात करें, तो चित्तौगढ़ में बड़ी सादड़ी से गौतम कुमार दक को मंत्रीमंडल में जगह मिली, जबकि उदयपुर के झाड़ोल से बाबूलाल खराड़ी को मंत्रीमंडल में शामिल किया है। इसके अलावा सारे कयास धरे के धरे रह गए।

इन विधायकों को कैबिनेट मंत्री की दिलाई शपथ

इन्होंने ली राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार की शपथ

ये विधायक बने राज्य मंत्री

मंत्रीमंडल विस्तार में डैमेज कंट्राेल करना पड़ा

राजस्थान में भजनलाल शर्मा के मुख्यमंत्री चुने जाने के बाद मंत्रीमंडल विस्तार में 15 दिन का लंबा समय लगने के पीछे नाराज भाजपा के दिग्गज नेताओं को साधना और उन्हें विश्वास में लेना था। खास तौर से वसुंधरा राजे को विश्वास में लेना जरूरी था, जिनके समर्थकों को केबिनेट में जगह देनी थी। साथ ही आरएसएस के साथ भजनलाल शर्मा, उप मुख्यमंत्रियों की पसंद के अलावा वसुंधरा की पसंद का ख्याल भी संगठन को रखना था। कुछ मंत्रियों के नाम को लेकर कंट्रोवर्सी उत्पन्न हो गई, जिसको लेकर प्रदेश के नेताओं में अन्दरखाने खींचतान शुरू हो गई थी। ऐसे में कथित तौर पर बगावत का खतरा मंडराने लगा, तो सीएम भजनलाल शर्मा 29 दिसंबर को दिल्ली गए, जहां हाईकमान से चर्चा करके बाद मंत्रीमंडल के नामों को फाइनल किया गया। उसके बाद शनिवार सुबह जयपुर पहुंचकर राज्यपाल को मंत्रीमंडल के नामों की सूची सौंपी गई और अपराह्न ठीक 3 बजे शपथ ग्रहण समारोह शुरू हो गया।

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