विधानसभा चुनाव को लेकर केन्द्रीय नेतृत्व द्वारा भाजपा के 41 प्रत्याशियों की सूची जारी की है, उसमें वसुंधरा राजे के करीबी या उनके वफादारों के टिकिट कट गए। इस पर वसुंधरा के करीबी उम्मीदवार न सिर्फ आक्रोशित हो गए, बल्कि उनके समर्थकों ने खुलेआम विरोध प्रदर्शन भी किया। कुछ उम्मीदवार तो अब निर्दलीय चुनाव लड़ने पर विचार कर रहे हैं। हालांकि जैसे ही भाजपा के प्रत्याशियों की पहली सूची जारी हुई, जिसमें एक तरह से वसुंधरा को किनारे किया गया है। इसके साथ ही वसुंधरा ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट ट्विटर, फेसबुक की प्रोफाइल बदल डाली, मगर वसुंधरा राजे फिलहाल चुप है। हालांकि नाराज उम्मीदवार वसुंधरा से मिले और अंदरखाने मंत्रणा भी हुई, मगर वसुंधरा फिलहाल प्रत्यक्ष तौर पर कोई न तो बात कही और न ही कोई विरोध के स्वर देखने को मिले। झोटवाड़ा से पूर्व मंत्री राजपाल शेखावत और पूर्व उपराष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत के दामाद नरपत सिंह राजवी जैसे अपने वफादारों के निर्वाचन क्षेत्र में भारी विरोध के बावजूद वसुंधरा फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। .
राजवी ने दीया कुमारी के प्रति दी तीखी प्रतिक्रिया, डैमेज कंट्रोल के प्रयास
राजसमंद सांसद दीया कुमारी को जयपुर के विद्याधर नगर से विधायक का टिकिट दिया है, जबकि सांसद राज्यवर्धन राठौड़ को झोटवाड़ा से मैदान में उतारा। इस पर विद्याधर नगर से पूर्व सीएम भैरोसिंह शेखावत के दामाद नरपतसिंह राजवी का टिकिट कटने के बाद कड़ा बयान मीडिया को दिया। राजवी ने दीया के परिवार को मुगलों के सामने घुटने टेकने वाला परिवार बताया। साथ ही सवाल किया कि पता नहीं पार्टी उस परिवार के प्रति इतनी दयालु क्यों है, जिसने मुगलों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया और महाराणा प्रताप के खिलाफ लड़ाई लड़ी। हालांकि बाद में प्रदेश प्रभारी अरूणसिंह उनके आवास पर पहुंचे और समझाइश की। उसके बाद राजवी के निजी सहायक ने विज्ञप्ति जारी करते हुए बताया कि उनके द्वारा कोई इंटरव्यू नहीं दिया गया। इसका बकायदा पत्र जारी कर सोशल मीडिया पर वायरल किया गया।
अब चित्तौड़गढ़ या बीकानेर से टिकिट मिलने की चर्चा
कड़े बयान के बाद नरपतसिंह राजवी से मिलने से अरूणसिंह उनके आवास पर पहुंच गए। साथ ही मुलाकात कर डेमेज कंट्रोल के प्रयास किए गए। राजनीतिक गलियारे में चर्चा है कि राजवी या उनके बेटे को चित्तौड़गढ़ या बीकानेर से टिकिट दिया जा सकता है।
राजपाल को लेकर विरोध प्रदर्शन, अनीता सिंह निर्दलीय लड़ने को तैयार
वसुंधरा के वफादार झोटवाड़ा से राजपालसिंह शेखावत भी टिकट कटने से नाखुश हैं। उनके समर्थकों ने खुला विरोध प्रदर्शन किया। राजपाल ने कथित तौर पर वसुंधरा राजे से मुलाकात की और विभिन्न रास्तों पर चर्चा की। इससे भी आगे बढ़ते हुए, राजे की एक अन्य वफादार अनीता सिंह, जो यहां पूर्व विधायक रह चुकी हैं, को भी टिकट नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा कि यहां के निवासी चाहते हैं कि वह चुनाव लड़ें, इसलिए वह निर्दलीय चुनाव लड़ेंगी। वफादारों के पार्टी के खिलाफ खुलकर खड़े होने के बाद भी वसुंधरा राजे अब भी शांत है। मगर राजनीतिक गलियारे में चर्चा है कि जितना शांत रहेंगे, उतना ही बड़ा भूचाल आने का संकेत है।
राजनीतिक उथल-पुथल के बीच वसुंधरा की प्रोफाइल की चर्चा
राजस्थान में करीबी लोगों के टिकट कटने से राजनीतिक उथल-पुथल के बीच के बीच वसुंधरा राजे के चुप रहने और इस बीच अचानक एक्स व फेसबुक प्रोफ़ाइल से अचानक तस्वीर बदलना भी काफी चर्चा का विषय बन गया है। नीले रंग की पृष्ठभूमि और उनके पीछे राजस्थान लिखे हुए, तस्वीर कई लोगों का ध्यान आकर्षित कर रही है। हालांकि, उनकी कार्यालय टीम ने कहा कि उन्होंने इस प्रोफ़ाइल तस्वीर को 9 सितंबर को बदल दिया था, हालांकि, पहली सूची जारी होने के बाद ही अब इस तस्वीर ने ध्यान आकर्षित करना शुरू कर दिया है। चूंकि वह चुप हैं, इसलिए सभी की निगाहें दिल्ली में बीजेपी आलाकमान पर टिकी हैं कि वे इन बागियों की बढ़ती संख्या को कैसे देखते हैं और आने वाले दिनों में राजे की भूमिका क्या होगी। हर किसी के जेहन में यही सवाल है कि वसुंधरा की प्रोफाइल में बदलाव भी एक बड़ा संकेत है। साथ ही पहली सूची के बाद शांत इसलिए भी है कि दूसरी सूची का इंतजार है और दूसरी सूची में भी उनके वफादारों को तव्वज्जो नहीं दी गई, तो वसुंधरा राजे बड़ा ऐलान कर सकती है, जिसमें अलग पार्टी बनाने की भी चर्चा है।
मौके की नजाकत का इंतजार व हथियार डालने की भी चर्चा
केन्द्रीय नेतृत्व द्वारा राजस्थान के चुनाव से किनारे करने व करीबियों को टिकट नहीं मिलने के बाद चर्चा यह भी है कि वसुंधरा मौके की नजाकत का इंतजार कर ही है। साथ ही यह भी बात आम है कि महात्वाकांक्षी वसुंधरा मौजूदा हालात को देखते हुए केन्द्रीय नेतृत्व के सामने हथियार डाल दिए हैं। हालांकि सोशल मीडिया अकाउंट पर प्रोफाइल में बदलाव कहीं न कहीं केन्द्रीय नेतृत्व को वसुंधरा का बड़े संकेत के रूप में भी देखा जा रहा है।
क्या वसुंधरा के विकल्प के रूप में दीया कुमारी
राजनीतिक हल्को में चर्चा है कि केन्द्रीय नेतृत्व द्वारा राजस्थान के विधानसभा चुनाव में वसुंधरा राजे को दरकिनार करते हुए दीया कुमारी को प्रमोट करने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके तहत ही जयपुर की सभा में दीया कुमारी अग्रिम पंक्ति में नजर आई, जबकि जयपुर से टिकिट देकर भी कहीं न कहीं यह संदेश देने का प्रयास है। हालांकि फिलहाल प्रत्यक्ष तौर पर दीया कुमारी का अभी खुलकर खास विरोध नहीं हुआ है।
आखिर कब तक चुप्पी साधे रहेगी वसुंधरा राजे
भाजपा की पहली सूची में वसुंधरा राजे के चहेते या वफादार नेताओं के नाम नहीं आने पर अब सवाल यह भी उठ रहे हैं आखिर वसुंधरा राजे कब तक चुप्पी साधे रहेगी। बताया कि संदीप चौधरी, युनूस खान, अशोक परनामी, कालीचरण सर्राफ, प्रहलाद गुंजल को भी पहली सूची में टिकिट नहीं मिल, मगर फिलहाल दूसरी सूची का इंतजार है। चर्चा है कि वसुंधरा ने राजस्थान में कम से कम 52 विशेष समर्थकों को चुनावी तैयारी में जुटने का संदेश दे दिया था। कथित तौर पर यह भी कहा जा रहा है कि अगर पार्टी द्वारा सिंबल दिया जाता है, तो ठीक है और नहींं दिया जाता है तब वे निर्दलीय भी चुनाव लड़ सकते हैं। ऐसे में उसका सीधा सीधा नुकसान भाजपा को ही होगा। हालांकि अभी फिलहाल वसुंधरा चुप है।
अभी स्थिति अस्पष्ट है तो इंतजार भी जरूरी
प्रथम दृष्टया जितने भी अखबार, वेब पोर्टल की खबरों है, उनका विश्लेषण करने पर प्रत्यक्ष तौर पर वसुंधरा के करीबी लोग टिकट कटने से नाराज जरूर है, मगर अभी दूसरी व तीसरी सूची आनी बाकी है, जिसमें कहीं न कहीं वसुधरा के करीबियों को एडजस्ट किया जा सकता है। इसलिए समर्थकों के विरोध के बाद भी प्रत्यक्ष तौर पर वसुंधरा राजे कोई प्रतिक्रिया भी नहीं दे रही है और प्रत्याशियों की दूसरी सूची का इंतजार किया जा रहा है। अभी 200 सीटों में से सिर्फ 41 प्रत्याशी घोषित किए है और 159 विधानससभा सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा होना बाकी है। इसलिए यह भी संभव है कि वसुंधरा समर्थकों को अन्य जगह से टिकिट दिया जा सकता है।