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Lokshabha Election 2024 : लोकसभा चुनाव से पहले राजस्थान की राजनीति में बड़ा फेरबदल हो गया है, जिसे देख व सुनकर हर कोई चकित रह गया। इसके चलते अब लोकसभा चुनाव का मुकाबला बड़ा ही रोमांचक हो जाएगी। साथ ही वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं के BJP ज्वाइन करने के बाद उनकी प्रतिष्ठा को लेकर बड़ा सवाल है। कुछ दिनों पहले पूर्व केबिनेट मंत्री महेन्द्रजीत सिंह मालवीया भाजपा में शामिल हुए, तो अब पूर्व मंत्री लालचंद कटारिया सहित एक दर्जन से ज्यादा पूर्व विधायक व वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं के भाजपा में शामिल होने की चर्चा तेज हो गई है। इसको लेकर कई Congress Leader दिल्ली पहुंच गए है, जहां पर BJP leader से मुलाकात चल रही है। राजनीतिक सूत्रों का कहना है रविवार को पूर्व मंत्री लालचंद कटारिया सहित सभी कांग्रेस नेता BJP ज्वाइन कर लेंगे। Rajasthan Politics में बड़े उलटफेर को लेकर कांग्रेस में अंदरखाने घमासान मचा हुआ है।

Rajasthan Congress Senior leaders के लोकसभा चुनाव से पहले BJP ज्वाइन करने की चर्चा से राजस्थान की राजनीति में खलबली मच गई है। राजस्थान में बड़े स्तर पर दल बदल होने की खबर है, जिससे प्रदेश की सियासत गरमा गई है। बताया जा रहा है कि 10 मार्च को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राजनीति का पाला बदलकर भाजपा में शामिल हो सकते हैं। हालांकि इन राजनीतिक चर्चाओं व अटकलों को लेकर अभी तक कोई अधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं, जहां भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की मुलाकातें चल रही है। चर्चा है कि वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं पूर्व मंत्री लालचंद कटारिया सहित एक दर्जन कांग्रेस के नेता भाजपा ज्वाइन करेंगे। अब लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष Govind Singh Dotasara और भाजपा प्रदेशाध्यक्ष CP Joshi के बीच भी कड़ा मुकाबला है कि आखिर राजस्थान में 25 लोकसभा सीटों में कौन कितनी सीटे जीत पाता है।

rajasthan politics news : इन कांग्रेस नेताओं के दल बदल की चर्चा

राजस्थान की राजनीति से आ रही खबर को लेकर चर्चा है कि पूर्ववर्ती अशोक गहलोत सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे लालचंद कटारिया का नाम चर्चा में सबसे आगे है। इनके अलावा पूर्व विधायक रिछपाल मिर्धा, विजयपाल मिर्धा, पूर्व विधायक आलोक बेनीवाल, खिलाड़ी लाल बैरवा, सेवादल कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुरेश चौधरी के नाम भी कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल होने की चर्चा है। हालांकि इसको लेकर अभी तक इन नेताओं की तरफ से कोई बयान नहीं आया है, तो भाजपा व कांग्रेस की तरफ से भी प्रत्यक्ष अधिकृत सूचना जारी नहीं हुई है।

Congress leader : अब 10 मार्च का दिन रहेगा खास

लोकसभा चुनाव से पहले 10 मार्च का दिन राजस्थान की राजनीति के लिए खास रहने वाला है। इस दिन राजस्थान की सियासत में बड़ा फेरबदल होने की चर्चा है, जिससे Political power को लेकर भी चर्चा है। कतिपय नेताओं के बीजेपी में शामिल होने को लेकर चर्चा है कि लंबे समय से भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के संपर्क में थे और अब वे BJP में शामिल होने को लेकर रजामंद हुए हैं। हालांकि इस बीच राजस्थान कांग्रेस कमेटी द्वारा भी डेमेज कंट्रोल के प्रयास लगातार किए जा रहे थे, मगर संगठन वरिष्ठ नेताओं काे भाजपा में जाने से नहीं रोक पा रही है। चर्चा चल रही है कि वरिष्ठ काग्रेस नेताओं से बातचीत के बाद लगभग सहमति बन चुकी है और रविवार को एक औपचारिक कार्यक्रम के तहत वे भाजपा की सदस्यता ग्रहण करेंगे।

प्रदेश प्रभारी व प्रदेशाध्यक्ष दिला करवा सकते हैं एंट्री

राजनीतिक गलियारे में चर्चा है कि कांग्रेस से भाजपा में आने वाले नेताओं को 10 मार्च को जयपुर में भाजपा के प्रदेश कार्यालय में सदस्यता दिलाई जाएगी। इसमें भाजपा के प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह व प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी सहित तमाम वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में उन्हें BJP की सदस्यता दिलाई जा सकती है। इसको लेकर पार्टी स्तर पर आंतरिक तैयारियां चल रही है। हालांकि भाजपा द्वारा भी स्पष्ट तौर पर अधिकृत जानकारी अभी नहीं दी है।

bjp join से फिर कांग्रेस को लगेगा बड़ा झटका

राजस्थान में वरिष्ठ नेता महेंद्रजीत सिंह मालवीया के बाद लालचंद कटारिया सहित आधा दर्जन नेताओं के Congress छोड़ने व भाजपा में जाने की चर्चा है। इससे कांग्रेस को बड़ा झटका लग सकता है। लोकसभा चुनाव सिर है और अभी तक कांग्रेस राजस्थान में 25 लोकसभा चुनाव पर प्रत्याशी ही मैदान में नहीं उतार पाई है। इस बीच कई वरिष्ठ नेताओं के भाजपा में शामिल होने की खबर ने कई नेताओं की नींद उड़ा दी है। अगर यह खबर सही साबित होती है, तो लोकसभा चुनाव से कांग्रेस के लिए बहुत बड़े झटके के तौर पर देखा जाएगा।

दल बदल कानून क्या है ?

दल बदल कानून 1985 में संसद में पास हुआ था। इसके लिए संविधान में 52वें संशोधन के जरिए 10वीं अनुसूची को शामिल किया गया। प्रावधान है कि यदि कोई सदस्य अपनी पार्टी से इस्तीफा देता है या पार्टी व्हिप का उल्लंघन करता है तो उसकी सदस्यता खत्म हो जाती है। बताया जाता है कि 1988 में पहली बार दल बदल विरोधी कानून के तहत लोकसभा सांसद लालदूहोमा को अयोग्य करार दिया गया था।