Rajsamand : गुरलां क्षेत्र के कोचरिया ग्राम पंचायत में स्थित सालमपुरा के जंगल में विराजमान दैवीय शक्ति झांतला माता का मंदिर क्षेत्रवासियों के लिए आस्था का केंद्र है। यह प्राचीन और चमत्कारी शक्तिपीठ माना जाता है। मान्यता है कि माता के दर्शन मात्र से ही रोगी रोगमुक्त हो जाते हैं। स्थानीय लोग इस देवी को प्यार से ‘बीड़ा की माता’ भी कहते हैं। यहां आस्था, भक्ति और विश्वास का अद्भुत संगम देखने को मिलता है।
Jantla Mataji : सत्यनारायण सेन ने बताया कि झांतला माता का मंदिर अत्यंत चमत्कारी है। यहां शारीरिक बीमारियों से मुक्ति पाने के लिए भक्त दूर-दूर से आते हैं। विशेषकर शनिवार, रविवार और नवरात्रि में यहां भक्तों की भीड़ उमड़ती है। यहां तक कि लकवा ग्रस्त लोग भी माता के आशीर्वाद से स्वस्थ हो चुके हैं। हालांकि, मंदिर तक पहुंचने वाली सड़क, रोशनी और पेयजल जैसी मूलभूत सुविधाओं की कमी है। माता के भक्तों ने मांग की है कि मंदिर परिसर और आसपास के रास्तों पर स्ट्रीट लाइट लगाई जाएं और सड़क के किनारे के पेड़ों को हटाया जाए ताकि भक्तों को आने-जाने में आसानी हो।
Rajsamand news today : सड़क की मांग
Rajsamand news today : झांतला माता मंदिर जाने वाली सालमपुरा-दरीबा लिंक रोड की स्थिति अत्यंत खराब है। सड़क पर बने गड्ढे और टूटे हुए कंक्रीट के टुकड़े श्रद्धालुओं के लिए मुसीबत का सबब बने हुए हैं। भक्तों ने इस 1.5 किलोमीटर लंबी सड़क की मरम्मत की मांग की है। यह मंदिर हाइवे 758 पर स्थित कोचरिया चौराहे से 8 किलोमीटर, पुर से 5 किलोमीटर और दरीबा से 3 किलोमीटर दूर है। आने वाले समय में भीलवाड़ा का बुलट ट्रेन स्टेशन इसी क्षेत्र में बनने वाला है, ऐसे में इस सड़क का महत्व और भी बढ़ जाता है।