राजसमंद जिला व सत्र न्यायाधीश ने फैसला सुनाते हुए डिप्टी सीएम दीया कुमारी व रिटर्ननिंग अधिकारी के विरूद्ध दायर निगरानी याचिका को खारिज कर दिया। जिससे डिप्टी सीएम दीया कुमारी को इस मामले से काफी राहत मिली है। जिला जज राघवेन्द्र काछवाल ने रिटर्ननिंग अधिकारी अरविंद पोसवाल व तत्कालीन राजसमंद सांसद दीया कुमारी के विरूद्ध दायर निगरानी याचिका खारिज कर दी।
लोक अभियोजक जयदेव कच्छावा ने बताया कि निगरानी कर्ता जिनेन्द्र कुमार ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट राजसमंद में एक परिवाद प्रस्तुत किया गया जिस पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने निगरानी याचिका को जांच के लिए पुलिस थाना राजनगर भेजा गया। राजनगर थाना पुलिस की जांच के बाद निगरानी याचिका पर एफआईआर लगा दी। निगरानी कर्ता ने FIR का विरोध कर, निगरानी याचिका को कोर्ट में पेश कर दिया। जिस पर कोर्ट ने निगरानी कर्ता की याचिका को खारिज कर दिया। उसके बाद परिवादी ने याचिको को जिला व सेशन न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया।
याचिका में निगरानी कर्ता ने बताया कि लोकसभा चुनाव 2019 में सांसद दीया कुमारी ने नामांकन पत्र के साथ शपथ पत्र में झूठा शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया और अन्य जानकारियां गलत बताई। इस पर न्यायालय द्वारा कार संख्या 2 में अरविंद पोसवाल व कार संख्या तीन दीया कुमारी पर समुचित अपराधों का आरोप आदेश दिया जाए।
सभी पक्षों की सुनवाई
राज्य सरकार व तत्कालीन रिटर्निंग ऑफिसर अरविंद पोसवाल की तरफ से लोक अभियोजक जयदेव कच्छावा ने बताया कि रिटर्निंग अधिकारी द्वारा कोई भी गलत कार्य नहीं किया गया, रिटर्निंग अधिकारी ने गैर निगरानी कर्ता दीया कुमारी के नामांकन पत्र की पूर्ण जांच करके ही उसे अनुमत किया था। पुलिस द्वारा भी निगरानी याचिका की जांच की गई थी। इसलिए रिटर्निंग अधिकारी अरविंद पोसवाल व दीया कुमारी पर कोई अपराध साबित नही होता है। दुसरी तरफ गैर निगरानी कर्ता दीया कुमारी की तरफ से पैरवी करते हुए एडवोकेट देवेंद्र राठौड़ ने बताया कि निगरानी याचिका में वर्णित सभी बिन्दुओं पर राजस्थान उच्च न्यायालय में भी याचिका प्रस्तुत की गई थी, जिसे 24/1/2020 को खारिज कर दिया था। इस पर निगरानीकर्ता ने पुन: निगरानी याचिका को प्रस्तुत किया है, इस कारण यह निगरानी याचिका भी खारिज की जानी चाहिए।
जिला जज ने दिया फैसला
राजसमंद जिला एवं सत्र न्यायालय द्वारा सभी पक्षों की बहस सुनने के पश्चात राजनगर पुलिस द्वारा प्रस्तुत की गई जांच रिपोर्ट व विचारण न्यायालय द्वारा निगरानी याचिका पर दिए गए निर्देशों का अवलोकन किया। जिस पर निगरानीकर्ता द्वारा उठाए गए आक्षेप सारहीन पाए गए, जिस पर न्यायालय ने निगरानीकर्ता द्वारा प्रस्तुत याचिका को अस्वीकार कर खारिज कर दिया।