Rajsamand : लावासरदारगढ़ के निवासी डॉ. बसंती लाल बाबेल ने कानून के क्षेत्र में अपने अद्वितीय योगदान से न केवल अपना नाम रोशन किया है, बल्कि तेरापंथ धर्म संघ का भी गौरव बढ़ाया है। उन्होंने कानून पर 311 से अधिक पुस्तकें लिखकर एक कीर्तिमान स्थापित किया है। उनकी ये कृतियाँ न केवल कानूनी छात्रों के लिए बल्कि आम जनता के लिए भी ज्ञान का अमूल्य खजाना हैं। सूरत में आयोजित एक विशेष समारोह में, तेरापंथ धर्मसंघ के 11वें आचार्य महाश्रमण ने डॉ. बाबेल द्वारा रचित 311वीं कानूनी पुस्तक, ‘भारत का संविधान’ को स्वीकार करते हुए कहा था।
Book Released : समारोह में उपस्थित सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार दक ने बताया कि इस विशेष अवसर पर पूर्व न्यायाधीश डॉ. बाबेल ने गर्व से कहा कि 83 वर्ष की उम्र में भी वे हिंदी भाषा में लेखन कार्य कर पा रहे हैं। उन्होंने यह सफलता आचार्य श्री तुलसी, आचार्य श्री महाप्रज्ञ और आचार्य श्री महाश्रमण जी के आशीर्वाद और शिक्षाओं का परिणाम बताया। उन्होंने बताया कि इन महापुरुषों की शिक्षाओं ने उनके जीवन में एक क्रांतिकारी बदलाव लाया और उन्हें समाज सेवा के लिए प्रेरित किया। नैतिकता, प्रमाणिकता और अनेकांतवाद के सिद्धांतों को आत्मसात करते हुए उन्होंने न्याय के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल कीं। डॉ. बाबेल ने यह भी बताया कि गुरुदेव के मुख से ‘अणुव्रत गौरव’ जैसा सम्मान प्राप्त करना उनके जीवन का सबसे गौरवशाली पल है। समारोह में युवा गौरव पदमचंद पटावरी ने डॉ. बाबेल के जीवन पर प्रकाश डालते हुए उनके सामाजिक कार्यों को भी रेखांकित किया।
Acharya Mahashraman : समारोह में सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार दक, गणेशलाल कच्छारा, अशोक डूंगरवाल, तनसुखलाल नाहर, अनिल चंडालिया, राजेश बोहरा, अणुव्रत समिति अध्यक्ष विमल लोढा, हसमुख भाई मेहता, किशोर धारीवाल सहित अनेक गणमान्य जन उपस्थित थे। इस अवसर पर सूरत प्रवास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष संजय सुराणा, महामंत्री नानालाल राठौड, बाबूलाल भोगर, अनिल चंडालिया, ख्याली लाल सिसोदिया आदि ने डॉ. बाबेल को स्मृति चिन्ह और साहित्य प्रदान कर सम्मानित किया। law book