Rajsamand : आमतौर पर यह बात अक्सर सुनने में आती है कि ईश्वर के आगे किसी की नहीं चलती। परन्तु जब एक ही परिवार में एक मौत के सदमें में किसी अन्य परिवारजन का भी निधन हो जाए तो परिवारजन पर क्या गुजरती है इसका अहसास पीडि़त परिवार ही कर सकता है। कुछ ऐसी ही दर्दनाक घटना जिले के देवगढ़ उपखण्ड के एक गरीब दलित परिवार के साथ हुई है। सडक़ का बाडिय़ा मियाला निवासी 62 वर्षीय बाबूलाल पुत्र प्रताप रेगर के परिवार के लिए गत 30 अप्रैल एक काले दिन से कम नहीं था। जब 40 वर्षीय बेटे की मौत के सदमे से पिता का भी निधन हो गया। जिससे 4 बेटियों के सिर से पिता का साया उठ गया।
Father& Son Death : जानकारी के अनुसार 30 अप्रैल सुबह 10 बजे परिवार खेतों पर किसानी करने गया ही था। बाबूलाल बकरियों को चराने के लिए रवाना हो ही रहा था कि जोधपुर में मजदूरी के लिए निवास करने वाले बेटे 40 वर्षीय शिवलाल के पड़ोसियों ने बाबूलाल को उनके बेटे के निधन के समाचार दिए तो बाबू लाल अपने आप को संभाल नहीं पाए। उधर जोधपुर में मृतक शिवलाल की पत्नी टीना व 4 बेटियों के रो-रो के बुरे हाल थे। वहीं बाबूलाल बेटे की मौत के समाचार फोन पर रिश्तेदारों को बता ही रहे थे कि बेटे की मौत के सदमे से बाबूलाल की भी मृत्यु हो गई।
Rajsamand news Today : पत्नी और 4 बेटियां शव लेकर आई
जोधपुर में मजदूरी करने वाले शिवलाल की मौत के समाचार से जहां एक और पैतृक गांव मियाला में पिता बाबूलाल का भी निधन हो गया। घर और गांव का माहौल गमगीन हो चुका था। वहीं जोधपुर में मृतक शिवलाल का शव उसकी पत्नी और 4 बेटियां लेकर पैतृक गांव मियाला लेकर आई।
बाप-बेटे की एक ही चिता पर हुई अन्त्येष्टी
अपने पिता के शव के साथ गांव पहुंची बेटियां और पत्नी के लिए घर का माहौल देख मानो दुख का पहाड़ टूट पड़ा हो। क्योंकि घर आने पर देखा तो शिवलाल के पिता की भी मौत हो चुकी थी। बेटे की मौत के सदमे में पिता बाबूलाल भी अपने प्राण खो चुके थे। परिवारजनों के पहुंचने के बाद अगले दिन पिता बाबूलाल व पुत्र शिवलाल का एक ही चिता पर अन्त्येष्टी की गई।
मदद की दरकार
मृतक शिवलाल के 4 बेटियां शिल्पा 16, खूशबू 14 डिम्पल 10 व मनीषा 3 है। अब 4 बेटियों व विधवा वृद्ध सास सहित परिवार को चलाने की जिम्मेदारी विधवा 35 वर्षीय शिवलाल की पत्नी टीनादेवी पर आ गई है। इस स्थिति में परिवार को 4 बेटियों की शिक्षा- दीक्षा आदि के लिए आर्थिक मदद की आवश्यकता है।