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OMG! सरकारी जमीन पर बना दी निजी होटल की बहुमंजिला ईमारत, जिम्मेदारों की भूमिका पर सवाल

Rajsamand lake near hotal https://jaivardhannews.com/rajsamand-lake-near-private-hotal-construction/

तहसीलदार की रोक के बाद भी प्रशासन की आंखों में धूल झोंक राजसमंद झील किनारे पहाड़ी पर कर दिया चोरी छिपे निर्माण

लक्ष्मणसिंह राठौड़ @ राजसमंद

राजसमंद शहर में ऐतिहासिक राजसमंद झील किनारे स्थित दयालशाह किला मंदिर क्षेत्र में बिलानाम सरकारी जमीन पर कतिपय माफिया द्वारा राजस्व, नगरपरिषद व प्रशासन की आंखों की धूल झोंक कर अवैध रूप से होटल का निर्माण करवाया जा रहा है। विगत ढेड़ साल से चल रहे निमार्ण कार्य को पूर्व में तत्कालीन उपखण्ड अधिकारी सुशील कुमार ने भी नोटीस देकर निमार्ण कार्य रूकवाया था। लेकिन प्रशासन में अधिकारियों के तबादलना होने के बाद निर्माणकर्ताओं ने फिर से निमार्ण कार्य को शुरू कर दिया। मामले की शिकायत आने के बाद एक बार फिर करीब एक साल पूर्व उपखण्ड अधिकारी ने निमार्ण कार्य को रूकवाया और मामले की वास्तविक स्थिति जानने के लिए वन विभाग, जल संसाधान विभाग एवं राजस्व विभाग को मिलाकर तीन सदस्यों की कमेटी गठित की गई। गठीत कमेटी ने कार्यवाही करते हुए निमार्णाधीन होटल की भूमि की जमीनी हकीकत जानते हुए ये जमीन किस विभाग की है, उसको लेकर स्पष्ट किया। जिसमें सामने आया कि वर्तमान समय में यह जमीन राजस्व विभाग की होते हुए बिलानाम दर्ज है। फिलहाल मामला तहसील यानि कार्यपालक कोर्ट में विचाराधीन है। हालांकि हाल ही में प्रशासन के आदेश पर तहसीलदार राजसमंद ने दयालशाह किला तीर्थ के ट्रस्टी को नोटिस जारी कर निर्माण कार्य रूकवा दिया और ट्रस्टी से जवाब तलब किया।

बिना निर्माण स्वीकृति के बना दी होटल

ऐतिहासिक राजसमंद झील किनारे राजस्व ग्राम रूण में 4 बीघा 12 बिस्वा जमीन है। इसमें दयालशाह किला के उत्तरी छोर के खाली पड़ी पहाड़ी पर करीब 9 बिस्वा जमीन पर अवैध रूप से होटल निर्माण के लिए बहुमंजिला इमारत खड़ी कर दी। राजस्व रिकॉर्ड के अनुसार आराजी नम्बर 776 है। कथित तौर पर दयालशाह किला तीर्थ ट्रस्ट के सदस्यों द्वारा पहाड़ी पर उत्तरी छोर में होटल निर्माण के लिए 9 बिस्वा जमीन किसी बड़े कारोबारी को लीज पर दे दी है, जिनके द्वारा अवैध रूप से निर्माण कराया जा रहा है। खास बात यह है कि इसके लिए निर्माणकर्ता द्वारा न तो नगरपरिषद से कोई निर्माण स्वीकृति ली गई है और न ही राजस्व, वन एवं जल संसाधन विभाग से कोई अनुमति प्राप्त की। बिना अनुमति के ही भू-तल सहित तीन मंजिला इमारत खड़ी कर दी। इसके बाद शहर के कुछ लोगों ने प्रशासन को शिकायत की गई, तो तमाम कार्मिक, अधिकारी सकते में आ गए। इसके बाद तहसील प्रशासन राजसमंद द्वारा सर्वे करवाया गया, तो उक्त जमीन बिलानाम में दर्ज पाई गई। इस पर पटवारी, भू अभिलेख निरीक्षक की रिपोर्ट के आधार पर तहसीलदार एवं कार्यपालक मजिस्ट्रेट राजसमंद द्वारा दयालशाह किला तीर्थ ट्रस्ट के जयंतीलाल को नोटिस जारी करते हुए तहसील कोर्ट में तलब किया गया। तहसील कोर्ट द्वारा दयालशाह किला तीर्थ ट्रस्ट से जवाब तलब किया है। इन दिनों निमार्णाधीन भवन के भूतल में कमरों का निमार्ण कार्य कराया जा रहा है, जिनमें प्लास्टर के साथ लाईट फिटिंग का कार्य भी पूर्ण हो गया है। जबकि प्रथम तल पर भी ईंटों की दिवारें बनवाकर लगातार निमार्ण कार्य को गति मिली हुई है।

अब 14 जुलाई तक मांगी मोहलत

दयालशाल किला के उत्तरी छोर में बिलानाम की 9 बिस्वा जमीन पर अवैध भवन निर्माण को लेकर तहसील कोर्ट द्वारा जवाब मांगा गया। तीर्थ ट्रस्ट द्वारा कोई ठोस दस्तावेज पेश नहीं किए गए, जिससे यह प्रमाणित हो सकें कि उक्त जमीन दयालशाह किला तिर्थ पेढ़ी के मालिकाना हक की हो। इस पर कार्यपालक मजिस्ट्रेट के समक्ष ट्रस्ट के अधिवक्ता द्वारा दस्तावेज पेश करने के लिए समय मांगा गया है। इस पर तहसील कोर्ट द्वारा 14 जुलाई को ठोस दस्तावेज के साथ जवाब तलब किया है। उल्लेखनीय है कि 5 जुलाई व 7 जुलाई को भी इस मामले में पेशी दी गई थी। हालांकि निमार्णाधीन कार्य को रूकवाने के लिए राजस्व विभाग हर समय कर्मचारियों को मौके पर भेजने की कार्रवाई कर रहा है। जैसे ही कर्मचारी वहां से रवाना होते है, निमार्ण पुन: शुरू हो जाता है।

पूरे किले की जमीन ही सवालों के घेरे

दयालशाह किला तीर्थ की पहाड़ी के उत्तरी छोर में होटल के अवैध निर्माण की शिकायत के बाद प्रशासन की जांच के बाद पूरे किले की जमीन भी सवालों के घेरे में है। करीब तीन दसक से पूर्व पहले भी उक्त जमीन को लेकर मामला न्यायालय तक पहुंचा था। दयालशाह किला वन भूमि के दायरे में है। वन विभाग द्वारा दयालशाह किले को वन भूमि के अतिक्रमण से बाहर रखने के निर्देश दिए गए थे। हालांकि तब भी ट्रस्ट द्वारा मालिकाना हक को लेकर कोई ठोस दस्तावेज पेश नहीं किए गए थे।

कई महकमों की भूमिका पर सवाल

राजसमंद झील किनारे पहाड़ी पर बनाई जा रही अवैध इमारत को लेकर कतिपय लोगों द्वारा राजस्व विभाग के साथ नगरपरिषद राजसमंद, वन विभाग और जल संसाधन विभाग की आंखों में धूल झोंकी गई। पहले तो यह भी स्पष्ट नहीं हो पाया कि आखिर उक्त जमीन रूण क्षेत्र में है या बिलानाम। उक्त जमीन क्या वन विभाग के अधीन है या जल संसाधन, नगरपरिषद और राजस्व विभाग की। विवाद के बाद तहसील प्रशासन द्वारा जीपीएस सिस्टम से सर्वे करवाया तो उक्त जमीन बिलानाम होकर राजस्व विभाग की होना पाया गया। इसके बाद तहसील कोर्ट द्वारा कार्रवाई शुरू की गई।

होटल बनने से प्रदूषण का पड़ेगा प्रभाव

दयालशाह मंदिर के पास राजसमंद झील किनारे पड़ी जमीन पर बनाई जा रही होटल से पर्यावरण के साथ प्रदूषण का भी खतरा मण्डराता दिखाई दे रहा है। क्योंकि जिस नक्शे के आधार पर निर्माण कार्य किया जा रहा है, उससे यह आभाश हो गया है कि यहां पर होटल का ही निमर्ण कार्य किया जा रहा है। निमार्ण कार्य पूर्ण होने के बाद भविष्य में वहां पर होटल संचालन होगा। होटल से निकलने वाली गंदगी राजसमंद झील में समाहित होगी, जिससे झील का पानी भी प्रदूषित होगा। प्रदूषण मंडल से न तो अनुमति ली और न ही विभाग ने खुद प्रसंज्ञान लिया है।

जल्द उचित कार्रवाई करवाएंगे

झील किनारे अवैध इमारत बनाने का मामला संज्ञान में आया है। इस पर संबंधित एसडीएम एवं तहसीलदार से मामले की जांच करवाकर उचित कार्रवाई करवाएंगे। इसके लिए निर्देश दे दिए है।

नीलाभ सक्सेना, जिला कलक्टर, राजसमंद

जिला कलक्टर को अवगत कराया

दयालशाह किला के उत्तरी छोर पर अवैध रूप से होटल बनाई जा रही है, जो अवैध है। शहर के कुछ लोगों द्वारा शिकायत मिली। इस पर मैंने कलक्टर महोदय को अवगत कराया है। निमार्णाधीन कार्य स्थल नगरपरिषद के अधीन नहीं आती है। राजस्व विभाग द्वारा कार्रवाई प्रक्रियाधीन है। राजस्व विभाग की रोक के बावजूद अवैध निर्माण किया जा रहा है जो गलत है।

अशोक टांक, सभापति नगरपरिषद राजसमंद

मामला तहसील में विचाराधीन

दयालशाह किले के पास बनाई जा रही बहुमंजिला इमारत का निमार्ण कार्य रूकवा रखा है। तहसील कोर्ट द्वारा आरोपी पक्ष से जवाब मांगा गया है और अगली पेशी 14 जुलाई को है। उक्त जमीन बिलानाम है।

फतहलाल टांक, भू अभिलेख निरीक्ष्
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