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विधायक दीप्ति किरण माहेश्वरी ने उपचुनाव के बाद आज सदन में अपना प्रथम उद्बोधन बेरोजगारी पर दिया। स्थगन प्रस्ताव पर बोलते हुए विधायक दीप्ति ने कहा कि राजस्थान में बेरोजगारी के आंकड़े डराने वाले है। प्रदेश में बेरोजगारी की दर 28 प्रतिशत है। जबकि राष्ट्रीय औसत मात्र 7 प्रतिशत है। मुख्यमंत्री ने नौकरी देने पर हाथ खड़े कर दिए है। प्रदेश में नए उद्योग धंधे आ नहीं रहे है। बेरोजगार युवा कहां जाऐंगे।

विधायक दीप्ति ने हिन्दुस्तान जिंक द्वारा रोजगार देने में स्थानीय युवाओं की उपेक्षा का विषय उठाया और मांग की कि उद्योगों में 75 प्रतिशत रोजगार स्थानीय युवाओं को दिए जाए। जिंक स्मेल्टर एवं खानों के अपशिष्टों से कृषि भूमि बेकार हो गई है। खेती करने वाले युवा बेरोजगार हो गए है। कोई उद्योग क्षेत्र के वातावरण को प्रदुषित करें, जल को दुषित करें, कृषि भूमि की उर्वरा शक्ति को नष्ट करे और प्रभावित युवाओं को रोजगार भी  नहीं दे, यह सहन नहीं किया जा सकता है। हिन्दुस्तान जिंक ने कोरोना काल में निकाले गए 80 मजदूरों को अभी तक भी रोजगार नहीं दिया है।

विधायक दीप्ति ने कहा कि हिन्दुस्तान जिंक का उत्पादन 5 लाख टन से बढ़ कर 25 लाख टन हो गया किन्तु मजदूरों की संख्या नहीं बढ़ी। कम्पनी में 2000 मजदूर ठेकेदारी में काम कर रहे है। स्थायी मजदूरों की संख्या लगातार घटायी जा रही है। नियमित उत्पादन का काम ठेके के मजदूरों से करवाना गलत परम्परा है। नियमित काम के लिए मजदूरों की सीधी भर्ती करनी चाहिए।

विधायक दीप्ति ने राज्य सरकार से प्रदेश में सरकारी एवं निजी क्षेत्र में 75 प्रतिशत नौकरियां स्थानीय नागरिकों को देने के लिए एक स्पष्ट नीति बनाने की भी मांग की। बेरोजगारी भत्ते पर सरकार का अपनी घोषणा से पीछे हटना जनता के साथ धोखा है। बेरोजगारी भत्ते में स्नातक पास होने की शर्त के कारण ग्रामीण युवा इससे वंचित रह जाते है। 15 लाख युवा पंजीकृत है किन्तु भत्ता केवल 1 लाख 60 हजार युवाओं को ही दिया जा रहा है। कांग्रेस के झूठे वादों पर विश्वास करके युवाओं ने इस पार्टी की सरकार बनवा दी थी। सरकार युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ नहीं करे।

विधायक दीप्ति ने बताया कि राजसमन्द जिले में पटवारियों के 120 पदों में से 100 पद रिक्त है। इससे ग्रामीणों को भारी असुविधा हो रही है। जब पटवारी ही नहीं है तो प्रशासन आपके द्वार अभियान सफल कैसे होगा। प्रदेश में 2 लाख पद रिक्त है। 40000 भर्तीयां परीक्षाओं में अटकी है। कितने युवा वर्षों से परिणाम की प्रतीक्षा कर रहे है। 3 लाख रु. की आय सीमा के कारण कितने ही निम्न व मध्यम वर्ग के युवाओं को बेरोजगारी भत्ता नहीं मिल रहा है। भत्ता केवल 2 वर्ष तक ही दिया जाता है। यदि 2 वर्षो में रोजगार नहीं मिला, तो उसके बाद उनके परिवार का क्या होगा।

जीएसटी की सदन में प्रशंसा बाहर आलोचना

विधायक दीप्ति किरण माहेश्वरी ने माल एवं सेवा कर संशोधन विधेयक बोलते हुए कहा कि मोदी सरकार के कुशल प्रबंधन से जीएसटी का संग्रह 1 लाख 16 करोड़ रुपये महिना हो गया है। प्रदेश में झूठे एवं नकली बिजकों से आगत कर चोरी बड़े पैमाने पर हो रही है। उद्यमियों एवं व्यापारियों को चेकिंग के नाम पर बिना किसी कारण परेशान किया जाता है। राज्य सरकार अधिकारियों पर अंकुश लगा कर ईमानदार करदाताओं को परेशान करने से रोके। झूठे बिलों से कर चोरी पर अंकुश लगाऐं।

माल एवं सेवा कर जीएसटी की व्यर्थ आलोचना

माल एवं सेवा कर की व्यवस्था ने हमारे देश के कर प्रशासन में एक नई क्रांति का सूत्रपात किया है। संसद में इसे सभी दलों ने सर्वसम्मति से पारित किया था। किंतु ओछी राजनीति के कारण कांग्रेस के प्रमुख, हमारे मुख्यमंत्री एवं अन्य नेता जीएसटी की व्यर्थ आलोचना करते रहते हैं। कांग्रेस के शीर्ष नेता ने तो इसकी तुलना गब्बर सिंह टैक्स से भी की थी। यह तुलना हमारी संसद का अपमान था, बल्कि देश के सभी मतदाताओं का भी अपमान था। सभी दलों की सर्वसम्मति से पारित अधिनियम की तुलना एक डकैत से करना लोकतंत्र की मर्यादाओं की विरुद्ध है। आज जब सरकार विधानसभा में माल एवं सेवा कर अधिनियम में संशोधन पर चर्चा कर रही है, तो उन्हें जीएसटी व्यवस्था की आलोचना पर भी खेद प्रकट करना चाहिए।