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Rajsamand : प्रजापति समाज के प्रथम सामूहिक विवाह की मीटिंग हुई संपन्न

Mass Marriage https://jaivardhannews.com/rajsamand-prajapati-samaj-mass-marriage/

Rajsamand : मेवलिया प्रजापति समाज द्वारा आयोजित होने वाले प्रथम सामूहिक विवाह की तैयारियां जोरों पर हैं। हाल ही में वनावल चोकला द्वारा मोलेला मां खेड़ा देवी माताजी प्रांगण में आयोजित एक बैठक में इस ऐतिहासिक आयोजन की रूपरेखा और तैयारी के बारे में विस्तृत चर्चा हुई। 21 फरवरी, 2025 को होने वाले इस सामूहिक विवाह के सफल आयोजन के लिए विचार विमर्श किया गया। बैठक में गीर्वा, मेवाड़ तथा पारी चौखलों के पंच भी मौजूद रहे।

समाज के अध्यक्ष मांगीलाल ने बताया कि इस सामूहिक विवाह का मुख्य उद्देश्य कमजोर वर्ग के परिवारों को आर्थिक बोझ से मुक्ति दिलाना है। शादी एक बड़ा खर्च होता है और कई परिवारों के लिए यह एक चुनौती बन जाता है। सामूहिक विवाह से न केवल खर्च कम होता है बल्कि समाज में एकता और भाईचारा भी बढ़ता है। सामूहिक विवाह को समाज के अधिकांश लोगों का समर्थन प्राप्त है। यह एक सामाजिक उन्नति का संकेत है और युवा पीढ़ी को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करता है। तुलसी विवाह की रस्म के साथ इस आयोजन की शुरुआत की जाएगी, जो भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। “बैठक में मुख्य अतिथि के रूप में अध्यक्ष मागीलाल, वागड़ मेवाड़ समाज संस्थान के अध्यक्ष डुंगर लाल और विशिष्ट अतिथियों में केशव जालोरा, गणेश लाल देवीलाल, मोतीलाल, भेरु लाल, नानालाल, सोहन लाल और नारायणलाल उपस्थित रहे। चोखला समाज के सचिव लालचंद भी इस बैठक में शामिल हुए।”

mass marriage : सामुहिक विवाह से फिजूलखर्ची पर लगता है अंकूश

mass marriage : प्रजापति विवाह समिति के कोषाध्यक्ष लक्ष्मी लाल प्रजापत ने समाज में दहेज प्रथा को मिटाने के लिए सामूहिक विवाहों को एक प्रभावी समाधान बताया है। उन्होंने कहा कि बच्चों की शादी सामूहिक सम्मेलनों में करवाने से न केवल दहेज जैसी बुराई से छुटकारा मिल सकता है बल्कि फिजूलखर्ची पर भी अंकुश लग सकता है। उन्होंने सुझाव दिया कि इस तरह बचत हुए धन को बच्चों की शिक्षा पर खर्च किया जाए ताकि प्रजापति समाज का भविष्य उज्ज्वल हो सके। लक्ष्मी लाल ने कहा कि प्रजापति समाज का एक अहम हिस्सा होने के नाते सामूहिक विवाह की प्रथा को निरंतर बढ़ावा देना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि सामूहिक विवाह ही दहेज प्रथा और फिजूलखर्ची जैसी कुरीतियों को रोकने का एकमात्र कारगर उपाय है।

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