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repo rate : रेपो रेट में 0.25% की कटौती : आम आदमी के लिए खुशखबरी! लोन होंगे सस्ते, जानिए पूरी खबर

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repo rate : रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने आखिरकार आम आदमी को बड़ी राहत दी है। आरबीआई के नए गवर्नर संजय मल्होत्रा की अध्यक्षता में हुई 12वीं एमपीसी बैठक में रेपो रेट में 0.25% की कटौती का ऐलान किया गया है। इस फैसले के बाद अब रेपो रेट 6.50% से घटकर 6.25% हो गया है। इससे होम लोन, ऑटो लोन और पर्सनल लोन सस्ते होने की पूरी संभावना है।

what is repo rate : Repo Rate (रेपो रेट) क्या होता है?

what is repo rate : रेपो रेट वह ब्याज दर है जिस पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) देश के वाणिज्यिक बैंकों (Commercial Banks) को अल्पकालिक (Short-Term) ऋण प्रदान करता है। जब बैंकों को फंड की जरूरत होती है, तो वे आरबीआई से रेपो रेट पर उधार लेते हैं और इसके बदले सरकारी प्रतिभूतियां (Government Securities) गिरवी रखते हैं। रेपो रेट का सीधा प्रभाव आम जनता पर पड़ता है क्योंकि यह बैंकों की उधारी लागत को प्रभावित करता है, जिससे होम लोन, ऑटो लोन, पर्सनल लोन और अन्य ऋणों की ब्याज दरें बदलती हैं।

2 साल के इंतजार के बाद आई बड़ी राहत

आरबीआई ने मई 2023 के बाद पहली बार रेपो रेट में बदलाव किया है। पिछले दो सालों में लगातार 11 बार रेपो रेट को 6.50% पर स्थिर रखा गया था। पूर्व गवर्नर शक्तिकांत दास के कार्यकाल के दौरान मई 2023 में रेपो रेट को 0.25% बढ़ाकर 6.50% किया गया था, जिसके बाद इसे बार-बार स्थिर रखा गया। लेकिन नई नीतियों को ध्यान में रखते हुए गवर्नर संजय मल्होत्रा ने इस बार विकास दर को गति देने के लिए रेपो रेट में कटौती का फैसला किया।

लोन पर क्या असर पड़ेगा? रेपो रेट में कमी का सीधा असर आम लोगों के होम लोन, ऑटो लोन और पर्सनल लोन की ईएमआई (EMI) पर पड़ेगा। जब रेपो रेट घटता है, तो बैंक अपने ग्राहकों को कम ब्याज दरों पर लोन उपलब्ध कराते हैं। इससे हर महीने चुकाई जाने वाली ईएमआई घट जाती है, जिससे आम आदमी की जेब पर बोझ कम होता है।

रेपो रेट में कटौती से लोन पर असर (उदाहरण सहित)

अगर किसी व्यक्ति ने ₹30 लाख का होम लोन 8.5% ब्याज दर पर 20 साल के लिए लिया है, तो वर्तमान में उसकी मासिक EMI ₹25,933 होगी। लेकिन 0.25% ब्याज दर घटने के बाद नई ब्याज दर 8.25% हो जाएगी, जिससे नई EMI घटकर ₹25,377 रह जाएगी। यानी हर महीने ₹556 की बचत होगी और कुल लोन अवधि में यह ₹1,33,440 की बचत देगा।

मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (MSF) और स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी (SDF) दरों में भी बदलाव
आरबीआई ने सिर्फ रेपो रेट ही नहीं बदला, बल्कि मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (MSF) को 6.5% कर दिया है। स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी (SDF) दर 6% कर दी गई है। साथ ही रिवर्स रेपो रेट 3.35% कर दिया गया है। ये सभी बदलाव भारतीय अर्थव्यवस्था में नकदी प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए किए गए हैं।

rbi monetary policy repo rate : आरबीआई मौद्रिक नीति क्या होती है?

rbi monetary policy repo rate : भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) देश की अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करने और स्थिरता बनाए रखने के लिए मौद्रिक नीति (Monetary Policy) का उपयोग करता है। यह नीति मुख्य रूप से मुद्रास्फीति (Inflation) को नियंत्रित करने, आर्थिक विकास को बनाए रखने और वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए बनाई जाती है।

आरबीआई की मौद्रिक नीति में मुख्य रूप से दो तरह के उपकरण होते हैं:

  1. समायोजनकारी (Expansionary) मौद्रिक नीति – जब अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए ब्याज दरों में कटौती की जाती है।
  2. संकीर्ण (Contractionary) मौद्रिक नीति – जब मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए ब्याज दरों में बढ़ोतरी की जाती है।

इस नीति का निर्धारण मौद्रिक नीति समिति (MPC – Monetary Policy Committee) द्वारा किया जाता है, जिसमें आरबीआई गवर्नर और अन्य सदस्य शामिल होते हैं। यह समिति हर दो महीने में बैठक कर मौद्रिक नीति से जुड़े महत्वपूर्ण निर्णय लेती है।

GDP ग्रोथ पर क्या असर पड़ेगा?

आरबीआई का मानना है कि विकास दर में आने वाले महीनों में तेजी देखने को मिलेगी। अनुमान के मुताबिक:

महंगाई दर पर प्रभाव

रेपो रेट में कटौती से महंगाई को नियंत्रण में रखने में भी मदद मिलेगी। खुदरा महंगाई दर (CPI Inflation) 4.8% रहने की संभावना है, जो सरकार के लक्ष्य के करीब है। आरबीआई का कहना है कि खाद्य पदार्थों की कीमतों में स्थिरता से महंगाई पर काबू पाया जा सकता है।

क्या है रेपो रेट और इसका असर?

रेपो रेट वह ब्याज दर है, जिस पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) बैंकों को अल्पकालिक ऋण देता है। जब आरबीआई रेपो रेट घटाता है, तो बैंक भी सस्ते लोन ऑफर करने लगते हैं, जिससे आम आदमी को फायदा मिलता है। लेकिन जब रेपो रेट बढ़ता है, तो बैंक लोन पर ज्यादा ब्याज चार्ज करने लगते हैं।

बैंकों की प्रतिक्रिया

रेपो रेट में कटौती के बाद अब एसबीआई, एचडीएफसी, आईसीआईसीआई, एक्सिस बैंक जैसे बड़े बैंक जल्द ही अपने लोन ब्याज दरों में कटौती की घोषणा कर सकते हैं। इससे नए और मौजूदा लोनधारकों को फायदा होगा।

क्या आपको नया लोन लेना चाहिए?

अगर आप होम लोन, ऑटो लोन या पर्सनल लोन लेने की योजना बना रहे हैं, तो यह अच्छा मौका हो सकता है। रेपो रेट घटने से लोन सस्ते हो जाएंगे, जिससे आपकी ईएमआई भी कम हो सकती है।

रेपो रेट में 0.25% कटौती से आम आदमी को बड़ी राहत मिली है।
होम लोन, ऑटो लोन और पर्सनल लोन की ईएमआई कम होगी।
महंगाई दर नियंत्रण में रहेगी और विकास दर में बढ़ोतरी की उम्मीद है।
बैंक जल्द ही नई ब्याज दरों की घोषणा कर सकते हैं।
अगर आप नया लोन लेने की सोच रहे हैं, तो यह सही समय हो सकता है।

अगली एमपीसी बैठक में और राहत की उम्मीद? अगर महंगाई नियंत्रण में रहती है और आर्थिक वृद्धि की दर बढ़ती है, तो आरबीआई आने वाली बैठकों में और अधिक राहत दे सकता है।

Reverse Repo Rate (रिवर्स रेपो रेट) क्या होता है?

रिवर्स रेपो रेट वह ब्याज दर है जिस पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) देश के वाणिज्यिक बैंकों (Commercial Banks) से उनकी अतिरिक्त नकदी (Surplus Funds) जमा करता है। सरल शब्दों में, यह वह दर होती है जिस पर आरबीआई बैंकों से धन उधार लेता है।

जब बैंकों के पास अतिरिक्त नकदी होती है और वे इसे सुरक्षित रूप से जमा करना चाहते हैं, तो वे इसे आरबीआई के पास रिवर्स रेपो रेट पर जमा कर देते हैं। इस पर आरबीआई उन्हें ब्याज प्रदान करता है।


Reverse Repo Rate का महत्व

रिवर्स रेपो रेट का उपयोग आरबीआई बाजार में नकदी प्रवाह (Liquidity Flow) को नियंत्रित करने के लिए करता है। जब अर्थव्यवस्था में बहुत अधिक धन प्रवाह होता है, तो यह महंगाई (Inflation) बढ़ाने का कारण बन सकता है। इस स्थिति में, आरबीआई रिवर्स रेपो रेट बढ़ाकर बैंकों को अपनी अतिरिक्त नकदी उसके पास जमा करने के लिए प्रोत्साहित करता है, जिससे बाजार में धन की उपलब्धता कम हो जाती है और महंगाई नियंत्रण में रहती है।


Reverse Repo Rate में बदलाव का प्रभाव

1. रिवर्स रेपो रेट बढ़ने पर क्या होता है?

अगर आरबीआई रिवर्स रेपो रेट बढ़ा देता है, तो बैंक अपने अतिरिक्त धन को आरबीआई में जमा करना अधिक फायदेमंद समझते हैं क्योंकि उन्हें अधिक ब्याज मिलता है। इसका प्रभाव इस प्रकार होता है:

2. रिवर्स रेपो रेट घटने पर क्या होता है?

अगर आरबीआई रिवर्स रेपो रेट घटा देता है, तो बैंकों को अपनी अतिरिक्त नकदी को आरबीआई में जमा करने पर कम ब्याज मिलता है, जिससे वे इस पैसे को बाजार में निवेश करने या कर्ज देने में रुचि लेते हैं। इसके प्रभाव इस प्रकार होते हैं:


Reverse Repo Rate और Repo Rate का अंतर

आधारRepo Rate (रेपो रेट)Reverse Repo Rate (रिवर्स रेपो रेट)
परिभाषावह दर जिस पर आरबीआई बैंकों को ऋण देता है।वह दर जिस पर आरबीआई बैंकों से धन उधार लेता है।
प्रभावरेपो रेट बढ़ने से ऋण महंगे हो जाते हैं और बाजार में नकदी कम हो जाती है।रिवर्स रेपो रेट बढ़ने से बैंक अधिक पैसा आरबीआई में जमा करते हैं, जिससे नकदी प्रवाह घटता है।
उद्देश्यमहंगाई को नियंत्रित करना और आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना।मुद्रा प्रवाह को नियंत्रित करना और महंगाई कम करना।

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