राष्ट्रसंत चन्द्रप्रभ बोले- माइंड पावरफुल है तो कैसे भी हालात हो, हर कठिन समस्या होगी आसान Video

ByJaivardhan News

Dec 15, 2023 #jain saint tarun sagar ji, #jaivardhan news, #jayavardhan news, #jayvardhan news, #lalitprabh, #lalitprabhji, #lalitprabhmaharaj, #lalitprabhpravachan, #live rajsamand, #mewar news, #national, #nationality, #Rajasthan news, #rajasthan news live, #rajasthan police, #rajsamand news, #rashtriya sant mahant yogi shri akhileshwar das ji maharaj, #saint, #saint lalitprabhji, #shri lalit prabhji, #tarun sagar ji maharaj ke kadv, #tarunsagarji maharaj, #udaipur news, #vijay vallabh surishwarji maharaja, #गायत्री मंत्र पर प्रवचन, #गायत्री मंत्र पर सत्संग, #चंद्रप्रभ, #नवकार मंत्र पर प्रवचन, #पूज्य श्री ललितप्रभ जी, #राष्ट्र-संत श्री ललितप्रभ जी, #राष्ट्रसंत पूज्य श्री ललितप्रभ जी प्रवचन, #राष्ट्रसंत प्रवचन, #राष्ट्रसंत श्री ललितप्रभ सागर जी गुरुदेव, #राष्ट्रसंतश्रीचंद्रप्रभजी, #राष्ट्रसंतश्रीललितप्रभजी, #ललितप्रभ, #ललितप्रभ के लेटेस्ट प्रवचन, #ललितप्रभ जी के लेटेस्ट प्रवचन, #ललितप्रभ जी महाराज, #ललितप्रभ सागर, #श्री ललितप्रभ, #श्री ललितप्रभ जी, #श्री ललितप्रभ जी के लेटेस्ट प्रवचन

राजसमंद शहर के प्रज्ञा विहार में राष्ट्र संत चन्द्रप्रभ सागर महाराज एवं ललित प्रभ सागर की तीन दिवसीय सत्संग व प्रवचनमाला आनन्दम की शुरुआत शुक्रवार को हुई। कार्यक्रम में राष्ट्रसंत चन्द्रप्रभ ने माइंड को पावरफुल बनाने के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि दिमागी तौर पर सशक्त हो गए, तो फिर किसी भी व्यक्ति को दुनिया में आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं सकता। जीवन एक अवसर है। कुछ बेहतर बनने का, बेहतर करने का, बेहतर पाने का। हर सुबह इस विश्वास के साथ उठिए कि मेरा आज का दिन कल से बेहतर होगा। सूरज की किरणें मेरे सारे दु:ख दूर करेगी और कुछ कर गुजरने के लिए मेरे भीतर ऊर्जा का संचार करेगी। दिनों में भेद मत कीजिए। हर दिन शुभ ही होता है। आराम की जि़न्दगी जीने वाले केवल उतना ही पाते हैं, जितना उनके भाग्य में है, पर मेहनत की जि़न्दगी जीने वाले वो भी पा लेते हैं, जो उनके भाग्य में नहीं है।

संतप्रवर शुक्रवार को संबोधि सेवा परिषद द्वारा राजसमंद शहर के कांकरोली स्थित प्रज्ञा विहार में आयोजित तीन दिवसीय प्रवचन सत्संग व आनन्दम कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। राष्ट्र-संत ने कहा कि काल चक्र की किताब में ब्रह्ममुहूर्त का बड़ा महत्त्व है। सुबह साढे पाँच बजे तक जगने वाला व्यक्ति कुदरत और विधाता से वो वरदान पाता है जो उसके जीवन को चार्ज करने में नई ऊर्जा का काम करता है। हर सुबह हमारे सामने दो विकल्प होते हैं – 1. सोए रहो और ढेर सारे सपने देखो, 2. जागो और मन चाहे सपने पूरे करो। हम स्वयं तय करें कि हमारे जीवन का सही परिणाम किसमें है। सूर्य ऊर्जा का पिण्ड है। हम उगते सूर्य का प्रकाश देखें। उगते सूरज को देखने वाला भाग्योदय देखता है, बाकी लोग तो केवल बंधी-बंधाई जि़न्दगी जीते हैं। सुबह की शीतल और प्राणदायिनी वायु सेवन करने से मुख पर तेज आता है, पाचन शक्ति बढ़ती है, पेट साफ होने में मदद मिलती है, इम्यून सिस्टम अच्छा होता है। सुबह जल्दी उठने से दिन बड़ा हो जाता है और काम करने के लिए टाइम एक्स्ट्रा मिल जाता है, यानी एक दिन में डेढ़ दिन का काम।

10 दिन जल्दी उठो, पता चलेगा क्या है फायदे

संत ने कहा कि सुबह का क्या फायदा है, इसे जानना हो तो केवल दस दिन के लिए सुबह जल्दी जगें और घूमने के लिए चले जाएँ, पता चल जाएगा कि जल्दी जगने के क्या फायदे हैं। उन्होंने कहा कि हमेशा इस उम्मीद के साथ जगिए कि कल से बेहतर आज का दिन हो। क्या करें कि हमारी हर सुबह आनन्दमय हो… ऊर्जावान हो… जिस पर पूरे दिन का महल आलीशान तरीके से खड़ा हो।

राष्ट्रसंतों को सुनने शहर से उमड़े सैकड़ों लोग

इससे पूर्व राष्ट्रसंत ललित प्रभ व चन्द्रप्रभ और डॉ मुनि श्री शांतिप्रिय सागर के प्रज्ञा विहार कांकरोली पहुंचने पर श्रद्धालुओं द्वारा स्वागत किया गया। समारोह का संचालन डॉ वीरेंद्र महात्मा ने किया। प्रवचन में संबोधि सेवा परिषद अध्यक्ष सुनील पगारिया और सचिव कमलेश कच्छारा ने स्वागत व आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में हरक लाल जैन, लक्ष्मी लाल डाकलिया, ऋतुराज चौहान, चंद्र प्रकाश सियाल, आशीष वागरेचा, कुलदीप सोनी, ललित बाफना, जितेन्द्र लड्ढा, आशा पालीवाल, पंकज मेहता, महावीर बोल्या, दीपक हिंगड़, हिम्मत कटारिया, दीपक कांकरिया, अनिल बोहरा, सुधीर व्यास, नवीन विश्वकर्मा, ओमप्रकाश मंत्री, प्रदीप लड्ढा, विजय बहादुर जैन, ललित मांडोत, सत्यनारायण पालीवाल आदि मौजूद थे।

अब दो दिन और सिखाएगें जीने की कला

राष्ट्र संत ललित प्रभ व चन्द्र प्रभ राजसमंद शहर के प्रज्ञा विहार में सत्संग आनन्दम कार्यक्रम के जरिए आमजन को जीवन जीने की कला सीखा रहे हैं। अब शनिवार और रविवार को भी कार्यक्रम होगा। सुबह 9 बजे शुरू होने वाले कार्यक्रम में जीवन जीने की कला पर खास उद्बोधन है।

  • ब्लेसिंग्स के साथ करें दिन की शुरुआत : सुबह जगने पर माता-पिता एवं बड़े-बुजुर्गों के पाँव छूकर उनके आशीर्वाद अवश्य प्राप्त करें। माता-पिता के आशीर्वाद तो उस छतरी की तरह होते हैं, जो धूप हो या बारिश दोनों ही स्थिति में हमारी रक्षा करती है।
  • योगा-एक्सरसाइज के साथ करें दिन की शुरुआत : सुबह चाहे मॉर्निंग वॉक कीजिए या योगा अथवा एक्सरसाइज, खुद को फिट रखने के लिए कोई-न-कोई मापदण्ड अवश्य अपनाएँ। लोग पैसा कमाने के लिए रात-दिन उलझे रहते हैं, पर यह क्यों भूल जाते हैं कि स्वास्थ्य जीवन का पहला धन है। जीवन में होना है हिट तो खुद को रखना होगा फिट।
  • मेडिटेशन के साथ करें दिन की शुरुआत : ध्यान शांति और एकाग्रता साधने का मार्ग है। चिंता, तनाव और क्रोध पर नियंत्रण करने के लिए हमें हर सुबह की शुरुआत ध्यान से करनी चाहिए। ध्यान के लिए हम शांत, एकान्त स्थान पर बैठें। आँखें बंद करके आती-जाती साँसों का अनुभव करते हुए मन को शांत और संतुलित करने का अभ्यास करें। तत्पश्चात अपनी थर्ड आई पर दस मिनट ध्यान करें।
  • प्रार्थना के साथ करें दिन की शुरुआत – प्रार्थना और विश्वास – दोनों में इतनी ताकत है कि वे असंभव को भी संभव बना देती हैं। भीतर में मनोबल और आत्मविश्वास का संचार कर देती है। प्रार्थना में हम परमात्मा के सुप्रीम पावर से जुड़ते हैं। जीवन के मोबाइल को चार्ज करने के लिए प्रार्थना पावर हाउस है। हम प्रार्थना करें – हे प्रभु ! मैं आपकी उपस्थिति का अनुभव कर रहा हूँ… आपकी अनुकम्पा को महसूस कर रहा हूँ… आपकी तेजस्विता का एहसास कर रहा हूँ… आप मेरे विश्वास और शक्ति के स्रोत हैं… आप मेरे पथ और लक्ष्य हैं… आप मुझे ऊँचाई दें, गहराई दें, मेरे हर कर्म में आपकी किरण दें…।
  • नॉलेज के साथ करें दिन की शुरुआत – जीवन में आसानी से सफलता पाने के लिए किताबों से दोस्ती होना जरूरी है। किताबें हमें मानसिक और भावनात्मक रूप से आगे बढऩे में मदद करती हैं। एक छोटा-सा सकारात्मक विचार भी हमारे पूरे दिन को ऊर्जावान और प्रकाशवान बना सकता है। नौ रत्नों की आपको जानकारी है, पर किताब दसवाँ रत्न है जो नौ रत्नों से भी ज्यादा अनमोल है।
  • मोटिवेशन के साथ करें हर दिन की शुरुआत – एक्सरसाइज से शरीर को बल मिलता है पर मोटिवेशन से मन को। गहरी साँस लेते हुए अपने आप से कहा करें – 1. मैं औरों से बेहतर हूँ, 2. मैं विजेता हूँ, 3. आज का दिन मेरा दिन है, 4. मैं यह कर सकता हूँ, 5. परमात्मा मेरे साथ है।
  • पॉजिटिव थिंकिंग के साथ करें हर दिन की शुरुआत- दुनिया में जितनी जरूरत हरियाली की है जिंदगी में उतनी ही जरूरत खुशहाली की है। सुख-दु:ख दोनों मेहमान है, आज है कल नहीं रहेंगे। ये टिकाउ नहीं है, मौसम की तरह ये बदलते रहते हैं। हर समस्या के तीन समाधान होते हैं या तो स्वीकार कर लो या बदल दो या भाग्य भरोसे छोड़ दो। जीवन में 90 प्रतिशत दु:ख और समस्याएँ प्रभु प्रदत नहीं है, स्वरचित है। हमारे दु:ख के कारण हमारे हालात कम,हमारी मानसिकता ज्यादा है। जिसकी आर्थिक स्थिती खराब है, वह कम दुखी होता है, पर जिसकी मानसिक स्थिति खराब है उसे सब कुछ दु:खपूूर्ण ही लगता है।
  • राष्ट्र-संत ने पॉजिटिव थिंकिंग के लाभ बताते हुए कहा कि इससे हमारे कार्य क्षमता में वृद्धि होती है, रिश्तों में मिठास घुलता है, तनाव से बचाव होता है, प्रेम, शांति और प्रसन्नता का जीवन में संचार होता है। विवाह के तीस साल बाद भी अगर दो भाई-भाई साथ है तो यह पॉजिटिव थिंकिंग का कमाल है और विवाह के दो साल बाद ही भाई-भाई जुदा हो गए तो यह निगेटिव सोच का परिणाम है।
  • संतश्री ने कहा कि जो व्यक्ति हर समय दुख का रोना रोता रहता है, उसके द्वार खड़ा सुख भी वापस लौट जाता है। चिंतन, वचन, कर्म, व्यवहार और परिवार हमें सभी जगह पॉजिटिव थिंकिंग का सिद्धांत लागू करना चाहिए। पिता के द्वारा अगर दो शब्द टेढ़े बोल दिए जाएँ तो बुरा मानने के बजाय उनके एहसानों को याद करना चाहिए। सूरज और पिता की गर्मी बरदाश्त करना सीखिए क्योंकि जब ये डूब जाते हैं तब जीवन में अंधेरा हो जाता है। उन्होंने कहा जो व्यक्ति जितना पॉजिटिव रहेगा वह उतना ही सुखी रहेगा। अगर एक दिन में चौदह सौ चालीस मिनट होते हैं तो हर मिनट पॉॅजिटिव रहिए ताकि आप हर समय सुख की सांस ले सकें।
  • संतप्रवर ने कहा कि दान के लिए धन चाहिए, तप के लिए मजबूत तन चाहिए पर शांति, सफलता और खुशियों के लिए पॉजिटिव मन चाहिए। पॉजिटिविटी से तनाव कम होगा, नींद गहरी आएगी, रोगप्रतिरोधक क्षमता बढग़ी, दूसरों में खूबियाँ नजर आएँगी और जिंदगी में खुशमिजाजी आ जाएगी। उन्होंने कहा कि सकारात्मक सोच का मालिक होने के लिए वर्तमान में जिएँ, गलतियों से सीखें, दूसरों को सफल होने में मदद दें, कभी भी शिकायत न करें, बुरी यादों को बटोरकर रखने की बजाय उन्हें बाहर निकाल दें।
  • सकारात्मक सोच के मंत्र देते हुए संत प्रवर ने कहा कि अपने मिजाज को ठंडा रखें, आधा गिलास हमेशा भरा देखें, विपरीत वातावरण में धैर्य और शांति रखें, बुरा करने वाले का भी भला करें, सबको सम्मान दें, गलत संगत से बचें, बुराई नहीं अपितु अच्छाई देखें और जो प्राप्त है उसी को पर्याप्त मान लें।