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Sasur Bahu Ka Romance : बहू से बने नाजायज संबंध तो फिर हत्या क्यों की ?

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Sasur Bahu Ka Romance : यह कहानी रिश्तों को तार तार कर देने वाली है, जिसमें ससुर व बहू के बीच अवैध संबंध की है, जिसमें ससुर व बहू के बीच खूब गुल मिल रही थी, जिनके बीच अनैतिक संबंध थे। फिर एकाएक ऐसा क्या हो गया कि ससुर ने अपनी ही प्रेमिका बहू को मार डाला। तो चलिए शुरू करते हैं, कहानी।

Crime Story : लाश की हालत देख कर पुलिस के जवान तो क्या आमजन भी बता देता कि हत्यारा या हत्यारे उस मृतका से किस हद तक नफरत करते होंगे। साफ लग रहा था कि हत्या प्रतिशोध के चलते पूरी नृशंसता से की गई थी और महिला के साथ बेरहमी से बलात्कार भी किया गया था। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ को जोड़ते जिला शहडोल के ब्यौहारी थाने के इंचार्ज इंस्पेक्टर को भांपते देर नहीं लगी कि मामला उम्मीद से ज्यादा गंभीर है। यह रियल घटना 25 मार्च 2024 की है, जो कि ब्यौहारी थाना क्षेत्र का ही एक गांव है। गांव में महिला की लाश की सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची। इंस्पेक्टर ने इस वारदात की खबर एसपी सुशांत सक्सेना को भी दे दी। मौके पर गांव वाले पुलिस के आने का ही इंतजार कर रहे थे। पुलिस टीम के आते ही लोगों ने पुलिस को बताया कि लाश गांव से थोड़ी दूर आम के बगीचे में पड़ी है। पुलिस टीम जब आम के बाग में पहुंची तो लाश देखते ही दहल उठी। ऐसा बहुत कम होता है कि लाश देख कर पुलिस वाले ही अचकचा जाएं। लाश लगभग 24 वर्षीय महिला की थी, जिसकी गरदन कटी पड़ी थी। अर्धनग्न सी महिला के शरीर पर केवल ब्लाउज और पेटीकोट थे। ब्लाउज इतना ज्यादा फटा हुआ था कि उसके होने न होने के कोई मायने नहीं थे। दोनों स्तनों पर नाखूनों की खरोंच के निशान साफ साफ दिखाई दे रहे थे। पेटीकोट देखकर भी लगता था कि हत्यारे चूंकि उसे साथ नहीं ले जा सकते थे, इसलिए मृतका की कमर पर फेंक गए थे। महिला के गुप्तांग पर जलाए जाने के निशान भी साफ साफ नजर आ रहे थे। गाल पर दांतों से काटे जाने के निशान देखकर शक की कोई गुंजाइश नहीं रह गई थी कि मामला बलात्कार और हत्या का था। घटना स्थल वाला छोटा सा गांव है जिसमें अधिकतर पिछडे़ और आदिवासी रहते हैं, इसलिए पुलिस को लाश की शिनाख्त में दिक्कत पेश नहीं आई। लाश के मुआयने के बाद जैसे ही सुदीप सोनी गांव वालों से मुखातिब हुए तो पता चला कि मृतका का नाम सीमा है और वह इसी गांव के किसान उदयलाल की बहू और सुरेश की पत्नी है। सुदीप ने तुरंत उपलब्ध तमाम जानकारियां एसपी सुशांत सक्सेना को दीं और उनके निर्देशानुसार जांच की जिम्मेदारी एसआई अभयराज सिंह को सौंप दी। चूंकि लाश की शिनाख्त हो चुकी थी इसलिए पुलिस के पास करने को एक ही काम रह गया था कि जल्द से जल्द कातिल का पता लगाए। कागजी काररवाई पूरी करके सीमा की लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी गई। सीमा की हत्या की खबर उसके मायके वालों को भी दे दी गई थी।

Real Crime Kahani : मौके पर अभयराज सिंह को कोई सुराग नहीं लग रहा था। अलबत्ता यह बात जरूर उन की समझ में आ गई थी कि कातिल उनकी पहुंच से ज्यादा दूर नहीं है। छोटे से गांव में मामूली पूछताछ में यह उजागर हुआ कि सीमा के घर में उसके ससुर उदयलाल और पति सुरेश के अलावा और कोई नहीं है। सीमा और सुरेश की शादी 4 साल पहले हुई थी। उदयलाल का अधिकांश वक्त खेत में ही बीतता था और इन दिनों तो फसल पकने को थी, इसलिए दूसरे किसानों की तरह वह खाना खाने ही घर आता था। फसल की रखवाली के लिए वह रात में सोता भी खेत पर ही था। इसी पूछताछ में जो अहम जानकारियां पुलिस के हाथ लगीं उनमें से पहली यह थी कि सुरेश एक कम बुद्धि वाला आदमी है और आए दिन सीमा से उसकी खटपट होती रहती थी। दूसरी जानकारी भी कम महत्त्वपूर्ण नहीं थी कि 2 साल पहले 2016 में इन पति पत्नी के बीच जमकर झगड़ा हुआ था। झगड़े के बाद सीमा मायके चली गई थी और उसने ससुर व पति के खिलाफ दहेज प्रताड़ना का मामला दर्ज कराया था, पर बाद में सुलह हो जाने पर सीमा वापस ससुराल आ गई थी। ब्यौहारी थाने में पुलिस ने अज्ञात आरोपियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया और सीमा का शव उसके ससुराल वालों को सौंप दिया। दूसरे दिन ही उसका अंतिम संस्कार भी हो गया।

Sasur Bahu Love Affair : पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला कि उसकी हत्या धारदार हथियार से गला काट कर की गई थी। ये जानकारियां अहम तो थीं लेकिन हत्यारों तक पहुंचने में कोई मदद नहीं कर पा रही थीं। गांव वाले भी कोई ऐसी जानकारी नहीं दे पा रहे थे, जिससे कातिल तक पहुंचने में कोई मदद मिलती। सीमा के अंतिम संस्कार के बाद पुलिस ने उसके मायके वालों से पूछताछ की तो उन्होंने सीधे सीधे हत्या का आरोप ससुर उदयलाल और दामाद सुरेश पर लगाया। उनका कहना था कि शादी के बाद से ही बाप बेटे दोनों सीमा को दहेज के लिए मारते पीटते रहते थे, लेकिन सीमा की हत्या जिस तरह हुई थी उससे साफ उजागर हो रहा था कि हत्या बलात्कार के बाद इसलिए की गई थी कि हत्यारा अपनी पहचान छिपा सके। वैसे भी आमतौर पर दहेज के लिए हत्याएं इस तरह नहीं की जातीं। उदयलाल के बयानों से पुलिस वालों को कुछ खास हासिल नहीं हुआ, क्योंकि बातचीत करने पर ही समझ आ गया था कि यह मंदबुद्धि आदमी कुछ भी बोल रहा है। पत्नी की मौत का उस पर कोई खास असर नहीं हुआ था। जांच अधिकारी अभयराज सिंह को वह कहीं से झूठ बोलता नहीं लगा। मंदबुद्धि लोगों को गुस्सा आ जाए तो वे हिंसक भी हो उठते हैं, पर इतने योजनाबद्ध तरीके से हत्या करने की बुद्धि उनमें होती तो वे मंदबुद्धि क्यों कहलाते।

Murder Mysteriuos : उदयलाल से पूछताछ की गई तो उसने अपने खेत पर व्यस्त होने की बात कही, लेकिन हत्या का शक बेटे सुरेश पर ही जताया। इशारों में उसने पुलिस को बताया कि सुरेश चूंकि पागल है, इसलिए गुस्से में आ कर पत्नी की हत्या कर सकता है। उदयलाल ने अपनी बात में दम लाते हुए यह भी कहा कि मुमकिन है कि सीमा सुरेश के साथ सोने से इनकार कर रही हो, इसलिए सुरेश को उसे मारने की हद तक गुस्सा आ गया हो और इसी पागलपन में उसने सीमा की हत्या कर डाली हो।

यह एक अजीब सी बात इस लिहाज से थी कि हत्या के मामले में किसी भी पिता की कोशिश बेटे को बचाने की रहती है, लेकिन उदयलाल इसका अपवाद था। हालांकि संभावना इस बात की भी थी कि वह वाकई सच बोल रहा हो। क्योंकि सुरेश घोषित तौर पर मंदबुद्धि वाला था और गुस्सा आ जाने पर ऐसा कर भी सकता था, लेकिन इस थ्यौरी में आड़े यही बात आ रही थी कि कोई मंदबुद्धि इतनी प्लानिंग से हत्या नहीं कर सकता। जांच अधिकारी अभयराज सिंह ने सीमा के बारे में जानकारियां इकट्ठी करने के लिए एक लेडी कांस्टेबल को काम पर लगा दिया था। अलबत्ता अभी तक की जांच में ऐसी कोई बात सामने नहीं आई थी जिससे यह लगे कि सीमा के चाल चलन में कोई खोट थी। ये सब बातें अभयराज ने जब आला अफसरों से साझा कीं तो उन्होंने उदयलाल को टारगेट करने की सलाह दी। महिला कांस्टेबल की दी जानकारियों ने मामला सुलझाने में बड़ी मदद की। पता यह चला कि नीतू दूसरी महिलाओं के साथ मजदूरी करने ब्यौहारी जाती थी और शाम तक गांव लौट आती थी। 25 मार्च को यानी हादसे के दिन भी वह मजदूरी करने गई थी, लेकिन लौटते वक्त वह गांव के बाहर से ही अपने ससुर उदयलाल से मिलने खेत की तरफ चली गई थी। उदयलाल शक के दायरे में तो पहले से ही था पर इस खुलासे से उस पर शक और गहरा गया था। चूंकि उसे धर दबोचने के लिए कोई पुख्ता सबूत या गवाह नहीं था। इसलिए पुलिस ने बार बार पूछताछ करने का अपना परंपरागत तरीका आजमाया। इस पूछताछ में उसके साथ कोई जोर जबरदस्ती नहीं की गई और न ही कोई यातना दी गई। पुलिस ने तरह तरह से उसे धर्मग्रंथों का हवाला दिया कि जो जैसे कर्म करता है, उसे वैसा ही फल भुगतना पड़ता है। फिर चाहे वह नीचे धरती पर मिले या ऊपर कहीं मिले। धर्मगुरुओं की तरह प्रवचन देकर जुर्म कबूलवाने का शायद यह पहला मामला था। कर्म फल और पाप पुण्य की पौराणिक कहानियों का उदयलाल पर वाजिब असर पड़ा और उसने अपना गुनाह कबूल कर लिया। यह डर था या ग्लानि थी, यह तो शायद उदयलाल भी न बता पाए, लेकिन सीमा की हत्या की जो वजह उसने बताई वह वाकई अनूठी थी। कहानी सुनने से पहले पुलिस ने उसकी निशानदेही पर खेत में छिपाई गई चप्पलें व साड़ी बरामद करने में ज्यादा दिलचस्पी दिखाई।

बहू सीमा की हत्या की वजह बताते हुए उदयलाल का चेहरा सपाट था। उदयलाल तब किशोरावस्था में था, जब उसके पिता की मौत हो गई थी। शादी के बाद पत्नी भी ज्यादा साथ नहीं निभा पाई, लेकिन इन तकलीफों से बड़ी उसकी तकलीफ मंदबुद्धि बेटा सुरेश था। जवान होते सुरेश को देख उदयलाल का कलेजा मुंह को आता था कि उसके बाद यह लड़का किसके भरोसे रहेगा। कम अक्ल सुरेश को पालते पोसते उदयलाल ने कई जगह उसकी शादी की बात चलाई, लेकिन जिसने भी सुरेश की मंदबुद्धि के चर्चे सुने उसने उदयलाल के सामने हाथ जोड़ लिए। खेती किसानी बहुत ज्यादा भी नहीं थी, इसलिए उदयलाल ज्यादा पैसों के लिए खेतों में हाड़तोड़ मेहनत करता था, जिसके चलते 54 साल की उम्र भी उस पर हावी नहीं हो पाई थी। फिर एक दिन पागल कहे जाने वाले सुरेश की तब मानो लॉटरी लग गई, जब बात चलाने पर सीमा के घर वाले सुरेश से उसकी शादी करने तैयार हो गए। सीमा गठीले बदन की चंचल लड़की थी, जिसे पत्नी बनाने का सपना आस पास के गांवों के कई युवक देख रहे थे।

गोरी चिट्टी नीतू की खूबसूरती के चर्चे हर कहीं थे, पर लोग यह जानकर हैरान रह गए कि उसकी शादी सुरेश से हो रही है, जिसे गांव की भाषा में पागल, सभ्य लोगों की भाषा में मंदबुद्धि और आजकल सरकारी जुबां में मानसिक रूप से दिव्यांग कहा जाता है। जब सीमा के घर वालों ने रिश्ते के बाबत हां भर दी तो उदयलाल की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। घर में बहू के पांव पड़ेंगे, अरसे बाद छमछम पायल बजेगी और जल्द ही पोता उसकी गोद में होगा, जैसी बातें सोच कर वह अपनी गुजरी और मौजूदा जिंदगी के दुख भूलता जा रहा था। उधर सुरेश पर इसका कोई असर नहीं पड़ा था, वह तो अपनी दुनिया में मस्त था, जैसे कुछ हो ही नहीं रहा हो। शादी के नए कपड़े, धूमधड़ाका, बैंडबाजा बारात वगैरह उसके लिए बच्चों के खेल जैसी बातें थीं, पर उदयलाल का मन कह रह था कि बहू के आते ही वह सुधर भी सकता है। खुशी से फूले नहीं समा रहे उदयलाल को आने वाली परेशानियों और दुश्वारियों का अहसास तक नहीं था। सीमा बहू बनकर आई तो वाकई घर में रौनक आ गई, पर यह रौनक चार दिन की चांदनी सरीखी साबित हुई। सुहागरात के वक्त सीमा शर्माती लजाती कमरे में बैठी पति का इंतजार कर रही थी कि वह आएगा, रोमांटिक और प्यार भरी बातें करेगा, फिर मन की बातों के बाद धीरे से तन की बात करेगा और फिर… फिल्मों और टीवी सीरियलों में देखे सुहागरात के दृश्य सीमा की जवानी और सपनों को पर लगा रहे थे, जिन्हें सोच कर ही वह रोमांचित हुई जा रही थी। सुरेश कमरे में आया और बगैर कुछ कहे सुने बिस्तर पर गया तो सीमा एकदम से कुछ समझ नहीं पाई। उस रात सुरेश ने कुछ नहीं किया तो यह सोच कर सीमा ने खुद के मन को तसल्ली दी कि होगी कोई वजह और आजकल के मर्द भी शर्माने में औरतों से कम नहीं हैं।

यह सिलसिला लगातार चला तो शर्म छोड़ते खुद सीमा ने पहल की, लेकिन यह जान समझ कर वह सन्न रह गई कि सुरेश मानसिक ही नहीं, बल्कि शारीरिक तौर पर भी अक्षम है। एक झटके में आसमान से जमीन पर गिरी सीमा की हालत काटो तो खून नहीं जैसी हो गई थी। घर के कामकाज करती सीमा को लगने लगा था कि उसकी हैसियत एक नौकरानी से ज्यादा कुछ नहीं है और उदयलाल व सुरेश ने उसे धोखा दिया है। यह सोच कर वह चोट खाई नागिन की तरह फुंफकारने लगी। इस पर सुरेश ने उसे मारना पीटना शुरू कर दिया तो वह मायके चली गई और दहेज की रिपोर्ट भी लिखा दी। बेटे बहू के बीच अनबन की असल वजह जब उदयलाल को पता चली तो वह अवाक रह गया। अब उसे समझ आया कि क्यों बात बात पर सीमा गुस्सा होती रहती है। इधर दहेज की रिपोर्ट तलवार बनकर उसके सिर पर लटक रही थी। सुरेश को तो कोई फर्क नहीं पड़ता था, लेकिन पुलिस कार्रवाई से उसका नप जाना तय था।

एक समझदार ससुर की तरह उदयलाल तत्काल सीमा के मायके पहुंचा और दुनिया की ऊंच नीच और इज्जत दुहाई देते उसे मना कर वापस ले आया। यह नवरात्रि की बात है। सीमा दोबारा ससुराल आ गई। पत्नी क्यों मायके चली गई थी और फिर वापस क्यों आ गई और सेक्स से अंजान सुरेश को इन बातों से कोई सरोकार नहीं था। हालात देख उदयलाल के मन में पाप पनपा और उसने सीमा से नजदीकियां बढ़ानी शुरू कर दीं। किसी नए नवेले आशिक की तरह उदयलाल सीमा की हर पसंद नापसंद का खयाल रखने लगा तो सीमा भी उसकी तरफ झुकने लगी। आखिर उसे भी पुरुष सुख की जरूरत थी, जिसे वह कहीं बाहर से हासिल करती तो बदनामी भी होती और गलत भी वही ठहराई जाती। देह सुख का अघोषित अनुबंध तो उदयलाल और सीमा के बीच हो गया, लेकिन पहल कौन और कैसे करें, यह दोनों को समझ नहीं आ रहा था। मियांबीवी राजी तो क्या करेगा काजी वाली बात इन दोनों पर इसलिए लागू नहीं हो रही थी कि दोनों के बीच कोई काजी था ही नहीं। दोनों भीतर ही भीतर सुलगने लगे थे पर शायद लोकलाज का झीना सा परदा अभी बाकी था।

यह परदा भी एक दिन टूट गया, जब आंगन में नहाती सीमा को उदयलाल ने देखा। उसके दुधिया और भरे मांसल बदन को देखते ही उदयलाल के जिस्म में चीटियां सी रेंगी तो सब्र ने जवाब दे दिया। एकाएक उसने सीमा को जकड़ लिया। सीमा ने कोई एतराज नहीं जताया। वह तो खुद पुरुष संसर्ग के लिए बेचैन थी। उस दिन जो हुआ सीमा के लिए किसी मनोकामना के पूरी होने से कम नहीं था। उदयलाल को भी सालों बाद स्त्री सुख मिला था, सो वह भी निहाल हो गया। अब यह रोज रोज का काम हो गया था। दोनों को रोकने टोकने वाला कोई नहीं था। सुरेश जैसे ही बिस्तर पर आकर सोता था, सीमा सीधे उदयलाल के कमरे में जा पहुंचती थी। उम्र और रिश्तों का लिहाज नाजायज संबंधों में नहीं होता और आमतौर पर उनका अंत में किसी तीसरे का रोल जरूर रहता है, पर इन दोनों पर यह बात लागू नहीं थी। ससुर की मर्दानगी पर निहाल हो चली सीमा ने एक दिन उदयलाल से साफ कह दिया कि अब मुझसे शादी करो नहीं तो मैं नहीं जानती। इस तरह सीमा बार बार शादी का दबाव अपने ससुर पर बनाने लगी। लोक लाज के चलते उदयलाल उससे शादी नहीं करना चाहता था। उदयलाल परेशान होने लगा, लेकिन जो जिद सीमा कर रही थी उसे वह पूरी नहीं कर सकता था। अब जाकर उदयलाल को समाज और रिश्तों के मायने समझ आए। समझाने और मना करने पर सीमा झल्लाने लगी थी, जिससे उदयलाल घबराया हुआ रहने लगा था। सीमा की लत तो उसे भी लग गई थी, पर उस पर लदी शर्त उससे पूरी करते नहीं बन रही थी। साफ है उदयलाल बहू के जिस्म को तो भोगना चाहता था, लेकिन समाज को ठेंगा बताकर उसे पत्नी बनाने की बात सोचते ही उसके पैरों तले से जमीन खिसकने लगती थी। जितना वह समझाता था, सीमा उसी तादाद में एक बेतुकी जिद पर अड़ती जा रही थी। अब उदयलाल सीमा से बचने के बहाने ढूंढने लगा था, जिनमें से एक उसे मिल भी गया था कि फसल पक रही है, इसलिए उसे चौकीदारी के लिए खेत पर सोना पड़ेगा। इसके लिए उसने खेत में झोपड़ी भी डाल ली थी।

सीमा जब शहर से मजदूरी कर लौटती थी तब तक उदयलाल खेत पर जा चुका होता था। कुछ दिन ऐसे ही बिना मिले गुजरे तो सीमा का सब्र जवाब देने लगा। वैसे भी वह महसूस कर रह रही थी कि उदयलाल अब उसमें पहले जैसी दिलचस्पी नहीं लेता। 25 मार्च 2024 को सीमा जब सहेलियों के साथ लौटी तो उसे याद आया कि अगले दिन उसे मायके जाना है। मायके जाने से पहले वह अपनी प्यास बुझा लेना चाहती थी। इसलिए सीधे खेत पर पहुंच गई और उदयलाल को इशारा किया कि आज रात वह यहीं रुकेगी तो उदयलाल के हाथ के तोते उड़ गए, क्योंकि रात में दूसरे किसान तंबाकू और बीड़ी के लिए उसके पास आते रहते थे। समझाने की कोशिश बेकार थी फिर भी उदयलाल ने दूसरे किसानों के आने जाने की बात बताई तो सीमा ने खुद अपने हाथों से अपने कपड़े उतार लिए और धमकी देते हुए बोली, खुले तौर पर मुझसे बीवी की तरह पेश आओ नहीं तो पुलिस में रिपोर्ट लिखा दूंगी। उस दिन सुबह वह उदयलाल से कह भी रही थी कि रात में घर पर ही मिलना। रोज रोज की धमकियों और परेशानियों से तंग आ गए उदयलाल को कुछ नहीं सूझा तो उसने बेरहमी से सीमा की हत्या कर दी और स्तनों को खरोंचा, जिससे मामला सामूहिक बलात्कार का लगे। सीमा का गुप्तांग भी उसने इसी वजह से जलाया था।

सीमा की हत्या पर वह उसकी लाश को कंधे पर उठाकर ले गया और आम के बाग में फेंक आया। पुलिस को दिए शुरुआती बयान में वह सुरेश को फंसा देना चाहता था जिससे खुद साफ बच निकले, पर ऐसा नहीं हो पाया। ससुर बहू के अवैध संबंधों का यह मामला अजीब इस लिहाज से है कि इसे और ज्यादा ढोने की हिम्मत सीमा में नहीं बची थी और वह अधेड़ उम्र के ससुर को ही पति बनाने पर उतारू हो आई थी यानि राजकुमार, हेमामालिनी, कमल हासन और पद्मिनी कोल्हापुरे अभिनीत फिल्म ‘एक नई पहेली’ की तर्ज पर वह अपने ही पति की मां बनने तैयार थी। बड़ी गलती उदयलाल की है, जिसकी सजा भी वह भुगत रहा है। उसने पहले पागल बेटे की शादी करा दी और जब बेटा बहू की शारीरिक जरूरतें पूरी नहीं कर पाया तो खुद पाप की दलदल में उतर गया। सीमा रखैल की तरह नहीं रहना चाह रही थी। साथ ही वह दुनियादारी की परवाह भी नहीं कर रही थी, इसलिए उससे छुटकारा पाने के लिए उदयलाल को उसकी हत्या ही आसान रास्ता लगा, पर कानून के हाथों से वह भी नहीं बच पाया।

यह कहानी रियल घटना पर आधारित है, लेकिन कानूनी कारणों से नाम काल्पनिक है। यह कहानी बताने के पीछे हमारा उद्देश्य किसी की भावना को आहत करना नहीं, बल्कि आमजन को शिक्षित व अपराध के प्रति जागरूक करना मात्र है। आपको यह कहानी कैसी लगी, कमेंट करके जरूर बताए। साथ ही इस तरह की कहानियों के लिए हमारे यू ट्यूब चैनल को सब्सक्राइब जरूर करें। धन्यवाद

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