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#Rajsamand दलित दूल्हे को घोड़ी से उतारने पर 11 आरोपियों को 5-5 वर्ष के कारावास की सजा

SC ST court decision Copy https://jaivardhannews.com/sc-st-court-rajsamand-decision/

गांव में बिंदोली के दौरान दलित समाज के दूल्हे को घोड़ी से उतारने, मारपीट व जातिगत अपमानित करने के मामले में सुनवाई करते हुए अनुसूचित जाति एवं जनजाति न्यायालय राजसमंद के विशिष्ट न्यायाधीश पवन कुमार जीनवाल 11 आरोपियों को दोषी करार दिया है। वर्ष 2018 में केलवाड़ा थाना क्षेत्र के समीचा के इस मामले में अदालत ने सभी आरोपियों को 5-5 साल के कारावास की सजा सुनाई। इसके अलावा 27 हजार 500 रुपए का अर्थदंड भी लगाया गया है।

विशिष्ट लोक अभियोजक राजकिशोर ब्रजवासी ने बताया कि चंपालाल ने केलवाड़ा थाने में रिपोर्ट दी थी कि 19 अप्रैल 2018 को उसके छोटे भाई भोलीराम की शादी होने से रात 11 बजे उसके घर से बंदोली में दूल्हे को घोड़ी पर बिठाकर डीजे के साथ रवाना किया। बिंदोली में उसके परिवार के अलावा रिश्तेदार, मित्र थे। सवा 11 बजे खेड़ादेवी मंदिर के सामने चौराहे पर बिंदोली लेकर पहुंचे कि पीछे से उमेशसिंह (ईश्वरसिंह) की बिंदोली आई, जिसमें सभी शराब के नशे में थे। उनमें से 10- 15 लोग दौड़कर उनकी बिंदोली को रोक कर जातिगत गालियां देने लगे व कहने लगे कि तुम घोड़े पर बिंदोली कैसे लेकर आए, यूं कहते हुए प्रताप सिंह, हिम्मत सिंह, हुकम सिंह ने दूल्हे के हाथ से तलवार खींच कर दूल्हे के सिर पर मारी, जिससे दूल्हे का साफा नीचे गिर गया। फिर चारों ने दूल्हे को पकड़कर घोड़े से नीचे पटक कर लातों घुसे से मारपीट करना चालू कर दिया और दूल्हे को गिरेबान से पकड़कर गले में से सोने की चेन तोड़कर ले ली। इतने में गोवर्धन व खुमाराम ने घोड़ा पकड़ रखा था, जिनके व परिवार के अन्य लोगों के साथ आरोपियों ने मारपीट की व जातिगत गालिया देकर अपमानित किया। इस पर पीड़ित लोग बड़ी मुश्किल से जान बचाकर भाग आए। इस पर पुलिस ने एससी एसटी एक्ट, मारपीट के आरोप को प्रकरण दर्ज करते हुए जांच शुरू की। आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद जांच पूरी होने के बाद पुलिस ने न्यायालय में आरोप पत्र पेश कर दिया।

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सजा का आधार बने 24 गवाह, 25 दस्तावेजी साक्ष्य

एससीएसटी विशिष्ठ न्यायालय में ट्रायल के दौरान विशिष्ट लोक अभियोजक राजकिशोर ब्रजवासी द्वारा 24 गवाह व 25 दस्तावेजी साक्ष्य पेश किए गए। इस तरह विशिष्ट न्यायाधीश पवन कुमार जीनवाल द्वारा दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद आरोपी हाजेला का वास, समीचा निवासी हिम्मत सिंह, किशन सिंह, राम सिंह, प्रताप सिंह, गोपाल सिंह, प्रेम सिंह, चैन सिंह, गणपत सिंह, भरत सिंह, फतेह सिंह व हुकुम सिंह को दोषी माना गया। इसके तहत अदालत ने भादसं धारा 143, 323, 341, तथा धारा 3(1)(r)(s)(za)(B) ,3(2)(Va) एससी / एसटी एक्ट के तहत 5 वर्ष के कारावास तथा 27 हजार 500 रुपए के अर्थदंड की सजा सुनाई।

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क्या है एससी- एसटी कानून और सजा का प्रावधान

अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोधक) अधिनियम, 1989 (Scheduled Caste and Scheduled Tribe (Prevention of Atrocities) Act, 1989) को 11 सितम्बर 1989 में भारतीय संसद द्वारा पारित किया था, जिसे 30 जनवरी 1990 से सारे भारत में लागू किया गया। सामान्य बोलचाल की भाषा में यह अधिनियम अत्याचार निवारण (Prevention of Atrocities) या अनुसूचित जाति/जनजाति अधिनियम कहलाता है। यह अनुसूचित जातियों और जनजातियों में शामिल व्यक्तियों के खिलाफ़ अपराधों को दंडित करता है। यह पीड़ितों को विशेष सुरक्षा और अधिकार देता है।

बलात्कार के झूठे आरोप से निर्दोष ने काटी जेल, महिला पर मुकदमे के आदेश

महिला द्वारा जीप चालक पर बलात्कार के आरोप लगाते हुए थाने में FIR दर्ज करवाई और न्यायालय के समक्ष धारा 164 के तहत भी यही बयान दिए। इस पर पुलिस ने आरोपी जीप चालक को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। मामला जिला एवं सेशन न्यायालय राजसमंद पहुंचा, जहां ट्रायल के दौरान महिला अपने बयानों से पलट गई और बलात्कार नहीं होने के बयान दिए। इस तरह झूठे केस में एक निर्दोष को जेल भिजवाने को गंभीरता से लेते हुए जिला एवं सेशन न्यायाधीश राघवेंद्र काछवाल ने प्रसंज्ञान लेते हुए महिला के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई के आदेश दे दिए। जिला एवं सेशन न्यायालय राजसमंद के लोक अभियोजक जयदेव कच्छावा ने बताया कि एक महिला ने भीम थाने में 25 जुलाई 2019 को रिपोर्ट दर्ज कराई थी। बताया था कि 29 जून 2019 को वह उसके पति के साथ ननद के घर छापली गांव गई थी, जहां पर किसी बात को लेकर उसके पति व ननद के बीच झगड़ा हो गया। पूरी खबर देखने के लिए क्लिक करिए…

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