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वरिष्ठ पर्यावरण वैज्ञानिक डॉ. मेहरा बोले – समृद्ध जैव विविधता की परिचायक है राजसमंद झील

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देश के वरिष्ठ पर्यावरण वैज्ञानिक और राजपूताना सोसायटी ऑफ नेचुरल हिस्ट्री के संस्थापक भरतपुर निवासी डॉ. एस.पी.मेहरा ने कहा है कि श्री द्वारिकाधीश की नगरी में ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता को अपने में समेटनी वाली राजसमंद झील जैव विविधता से समृद्ध है और इसके संरक्षण-संवर्धन करने के लिए स्थानीय निवासियों को आगे आना चाहिए। डॉ. मेहरा रविवार को यहां राजसमंद झील संरक्षण-संवर्धन के लिए नवगठित राज परिंदे नेचर क्लब के सदस्यों द्वारा आयोजित नेचर ट्रेकिंग कार्यक्रम में क्लब सदस्यों को संबोधित कर रहे थे।

इस मौके पर उन्होंने कहा कि महाराणा राजसिंह द्वारा स्थापित राजसमंद झील प्राचीन काल से ही अपनी विशालता के साथ-साथ नैसर्गिक समृद्धता के लिए जानी-पहचानी जाती है। झील के पूर्वी भाग में अभी भी बड़ी संख्या में देशी बबूल और अन्य ऐसे वृक्ष हैं जो स्थानीय और प्रवासी परिंदों के प्रजनन के लिए अनुकूल पर्यावास उपलब्ध कराते हैं, ऐसे में इसे ईको ट्यूरिज्म के लिए विकसित किया जाना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि देशी बबूल का संरक्षण किया जाए वहीं पक्षियों के लिए अनुकूल प्रजातियों के पौधों का रोपण भी किया जाए।

इस मौके पर डॉ. मेहरा के साथ पहुंचे पक्षी विशेषज्ञ प्रीति मुर्डिया, विनय दवे ने राज परिंदे नेचर क्लब के सदस्य नरेन्द्र पालीवाल, पंकज शर्मा सूफी, एडवोकेट नीलेश पालीवाल, हिमांशु चंद्रावत, मनोज साहू हाड़ा, कैलाश सांचीहर, अनमोल शर्मा आदि के साथ बर्ड वॉचिंग की और इस झील की जैव विविधता पर डाटा संकलित किया। विशेषज्ञों व क्लब सदस्यों ने झील किनारे और आसपास के क्षेत्र में उपलब्ध वृक्षों, झाडि़यों, झील में स्थित वनस्पति, पानी की गुणवत्ता, प्रदूषण स्थिति, झील किनारे कृषि कार्य, झील भराव क्षमता, (एफटीएल), केचमेंट एरिया सहित झील से सटे क्षेत्र में सरीसृप, मेंढक, टेरिस्टेरियल बर्ड्स आदि के बारे में जानकारी संकलित की।
विशेषज्ञों ने यहां पर स्थानीय और प्रवासी पक्षियों के लिए अनुकूल स्थितियों को देखकर प्रसन्नता जताई और यहां पर निकट भविष्य में पौधरोपण कार्यक्रम के साथ-साथ बर्ड फेस्टिवल आयोजित करने का सुझाव भी दिया।

दुर्लभ पक्षियों को देख अभिभूत हुए विशेषज्ञ

राजसमंद झील पर पहुंचे विशेषज्ञों ने यहां पर कई दुर्लभ प्रजातियों को देखकर प्रसन्नता जताई। विशेषज्ञ डॉ. मेहरा ने बताया कि आईयूसीएन की लिस्ट में रेड डाटा प्रजाति में शामिल रिवर टर्न जो कभी दक्षिण राजस्थान के सभी जलाशयों में सामान्य रूप पाई जाती थी वह इन दिनों राजसमंद झील में बहुतायत में देखी जा रही है। इसी प्रकार आईयूसीएन की लिस्ट में नियर थ्रेटन्ड प्रजातियों में शामिल ब्लेक हेडेड व्हाहट आईबिज, ब्लेक टेल्ड गॉडविट और विस्कर्ड टर्न का यहां देखा जाना इस झील की पक्षियों के लिए अनुकूलता को दिखाता है। उन्हांेने बताया कि झील में इन दिनों विश्व में उड़ने वाले सबसे बड़े पक्षी सारस क्रेन के पचास से ज्यादा की संख्या में विचरण की जानकारी भी है जो कि झील बड़ा महत्त्वपूर्ण तथ्य है। विशेषज्ञों ने नेचर ट्रेकिंग के दौरान झील में ओस्प्रे, फ्लेमिंगो, स्पॉट बिल्ड डक, नॉब बिल्ड डक, स्पूनबिल स्टॉर्क, ग्रे हेरोन, परपल हेरोन, ओपन बिल स्टॉर्क्स, कार्मोरेंट्स, कूट्स, ब्लेग विंग्ड स्टील्ट सहित दो दर्जन से अधिक प्रजातियों के पक्षियों को देखा और इनके संबंध में डाटा संकलित किया।

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