विकृत सोशल मीडिया का वास्तविक स्वरूप, अब यहां पर जो जितना नंगा है, वह उतना ही अधिक फैमस है। वर्तमान समय में मानव की जीवन पद्धति यंत्रवत होती जा रही है तथा यंत्रों पर निर्भरता में विशेषकर इलेक्ट्रॉनिक युक्तियां जैसे स्मार्टफोन, लैपटॉप, टैबलेट, टीवी, आदि पर उसकी निर्भरता दिनों दिन बढ़ती जा रही है । यंत्रवत हो चुका मानव अपनी दिनचर्या का अधिकांश हिस्सा सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफॉर्मों पर बिता रहा है । हालांकि, आज दुनिया की कुल आबादी का लगभग 70% से अधिक के बराबर जनमानस सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रही है । वर्तमान समय में ट्विटर, इंस्टाग्राम, फेसबुक, लिंक्ड इन, स्नैपचैट, व्हाट्सएप, यूट्यूब और ओटीटी जैसे प्लेटफॉर्म व्यापक रूप से सूचना के स्रोत के रूप में उपयोग किया जा रहे हैं । एक रिपोर्ट के मुताबिक बीते 1 साल में इंटरनेट यूजर्स की संख्या 7.8 फ़ीसदी तक बड़ी है और यह पांच अरब तक पहुंच गई है । भारत में फेसबुक पर एक महीने में लगभग 200 करोड़, यूट्यूब पर 100 करोड़, इंस्टाग्राम पर 75 करोड़, रेटीड्ड के 25 करोड़, पिंटरेस्ट के 15 करोड़, आस्क एफएम के 16 करोड़ उपभोगकर्ताओं सहित करोड़ों भारतीय अन्य सोशल मीडिया साइट्स पर विजिट करते हैं । इन सोशल मीडिया ने इनके उपयोगकर्ताओं को एक प्लेटफार्म जरूर उपलब्ध करवाया है, जिसके माध्यम से वे अपना लेखन कार्य, पारिवारिक गतिविधियों, अपनी उपलब्धियों, विशेष कार्यक्रमों या समारोहों के चित्रों और वीडियो को व्यक्तिगत रूप से अथवा सार्वजनिक रूप से आम लोगों तक पहुंचा सकते हैं।
Social Media से पथभ्रष्ट हुई युवा शक्ति
विकृत और दुष्ट प्रवृत्ति के लोग, इन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को रुपया कमाने और हमारे युवा शक्ति को बिगाड़कर सामाजिक माहौल को दूषित करने में दिन-रात लगे हुए हैं। लिहाजा इन माध्यमों पर परोसी जा रही अश्लीलता व फूहड़ता ने हमारी किशोरमाय एवं युवा पीढ़ी को पथभ्रष्ट करने का काम किया है । देश प्रदेशों की सरकार व शासन प्रशासन में बैठे जिम्मेदार लोग, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर परोसी जा रही, इन आपत्तिजनक, अश्लील, अपवित्र व अशिष्ठ वेब सीरीज के कंटेंट्स पर लगाम लगाने में नाकाम साबित हो रहे हैं । सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर परोसे जा रहे हैं इस फूहड़पन और नंगापन के चलते इंटरनेट पर दिनों दिन निर्मित गंदे वातावरण से हमारे समाज व संस्कृति पर दुष्प्रभाव देखने को मिल रहे है ।
धोखाधड़ी का अड्डा बना सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म
कई बार सोशल मीडिया नेटवर्किंग साइट के यूजर्स का साइबर हैकर्स द्वारा पर्सनल डाटा और फोटो भी चुरा ली जाती हैए जिसका गलत कार्यों में इस्तेमाल किया जाता है। इतना ही नहींए देर रात सोशल मीडिया पर गलत धंधे में लिफ्त कॉल गर्ल्स के अश्लील अवस्था में वीडियो कॉल आते हैंए जो यूजर्स का हनीट्रैपध्ब्लैकमेल कर उन्हें ठगी का शिकार बना लेती है। इसलिए ैवबपंस डमकपं को एक माध्यम बनाया जाएए ना कि अपनी जिंदगी का हिस्सा। फेसबुक की वीडियो वाली रील क्षेत्र में गंदी और अश्लील वीडियो की भरमार देखने को मिल जाती है। जिस प्रकार आज धड़ल्ले से फेसबुक सहित अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अश्लीलता परोसी जा रही हैए वह भारतीय संस्कृति के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है। इसलिए भारत सरकार को निश्चित रूप से ऐसी साइट को तुरंत प्रभाव से ब्लॉक करए उनके विरुद्ध सख्त कानूनी प्रावधानों को लागू करना ही चाहिए। अन्यथाए सोशल मीडिया इसी प्रकार से ही बेलगाम रहा तो निकट भविष्य में ही हमारी भारतीय संस्कृति का विकृत स्वरूप देखने को मिल सकता है।
स्मार्ट फोन से बढ़ा Social Media का चलन
स्मार्टफोन आने के बाद से सोशल मीडिया का प्रयोग लगातार बढ़ता ही जा रहा है और इसके बेतहाशा प्रचलन से नकारात्मकता प्रभाव देखने में आ रहे हैं जो कि भारतीय समाज और परिवार पर सीधे आघात कर रहे हैं । टिकटोक पर बैन होने के बाद देश में एक नया ऐप इंस्टाग्राम तेजी से प्रचलन में आया है, जिस पर अपने व्यूज और फॉलोअर्स बढ़ाने के लिए लोग नंगे हो रहे हैं । मां, बेटे, बेटियां, बूढ़े और जवान, सभी अश्लील वीडियो क्लिप बनाकर डाल रहे हैं । छोटे बच्चे जिनकी पढ़ाई करने की उम्र है, वे शादी कर रिल बनाने में व्यस्त नजर आ रहे हैं । ऐसे में यह कहना गलत नहीं है कि वर्तमान दौर में सोशल मीडिया गंदगी का अड्डा बन चुका है। यहां पर अब जो जितना नंगा है, उसके फॉलोअर उतने ही ज्यादा है। सोशल मीडिया पर परोसी जाने वाली इस गंदगी पर विशेष को प्रभाव छोटे-छोटे नोनीहालो व उनके बचपन पर देखने को मिल रहा है। हमारे देश में कुछ विशेष विरोधी तत्व व कुछ अपने ही लालची लोगों द्वारा लगातार सोशल मीडिया के माध्यम से समाज के भीतर कुंठित वासना को जन्म देने का प्रयास कर रहें है, जिन्हें रोकने के लिए सरकार से लेकर प्रशासन और समाज को साथ आकर रोकने की मुहिम चलानी होगी ।
किशोर व युवा वर्ग में गंभीर दुष्परिणाम
वर्तमान समय में ऑनलाइन शिक्षण के नाम पर बच्चों को स्मार्टफोन देना या उपलब्ध करवाना और उसे हर वक्त डाटा उपलब्ध करवाना, मानो मां-बाप की मजबूरी बन चुकी है। अब अभिभावक शिक्षित हो या अशिक्षित, प्रत्येक क्षण अपने बच्चों की गतिविधियों पर नजर नहीं रख पा रहा है। ऐसे में भारत में बढ़ता स्मार्टफोंस का बाजार, मां-बाप के समक्ष नई चुनौती भी खड़ी कर रहा है। ऊपर से फेसबुक, यूट्यूब और पॉर्न साइट्स पर परोसी जा रही अश्लीलता से परिस्थितियों ओर गंभीर होती जा रही है। उधर सोशल मीडिया कंपनियां चाहती हैं कि जितने ज्यादा मोबाइल यूजर्स होंगे, उतना ही मोबाइल डाटा का इस्तेमाल बढ़ेगा और टैली कंपनियों के वारे न्यारे होंगे।इसलिए, जानबूझकर टैली कंपनियों की तरफ से हमारी किशोरमय व युवा पीढ़ी को गलत दिशा में ले जाया जा रहा है। इतना ही नहीं Social Media के यूजर्स को अकेलापन का शिकार होते देखा जा रहा है, इस पर व्यस्त देखा जा रहा है, जो एक प्रकार की सोशल नेटवर्किंग की लत लगने की व्याधि/रोग है । इतना ही नहीं बच्चों में इस लत से इतना लगाव हो गया है कि यदि उन्हें इससे दूर रहने की सलाह या हिदायत दी जाती है, तो आत्महत्या जैसे कदम उठाते नहीं चूक रहे हैं।
अश्लीलता परोसे जाने पर शासन प्रशासन पर उठ रहें हैं सवाल
आजकल समाज के भीतर मनोरंजन के नाम पर ओटीटी पोर्टल के माध्यम से भी अश्लीलता पहुंचाने का काम धड़ल्ले से हो रहा है। छोटे-छोटे गांव ढाणी से काम की तलाश में जाने वाले युवाओं को पैसे का लोभ लालच दिखाकर अश्लील शॉट फिल्म और वेब सीरीज का हिस्सा बनाया जा रहा है, जिस पर ना तो घर परिवार वालों की नजर है और ना ही शासन प्रशासन का नियंत्रण है। सोशल मीडिया के माध्यम से समाज में भौतिक वासना की विकृति फैलाने का काम भी तेजी से चल रहा है। सोशल मीडिया के किसी भी प्लेटफार्म पर अनचाहे व अश्लील दृश्य, हमारे सामने दिखाये जाते हैं, जिन्हें सार्वजनिक रूप से स्वीकारा नहीं जा सकता। इन प्लेटफार्मों के माध्यम से भोग वासना में लिप्त लोग, अपनी अश्लीलता का प्रदर्शन करके लोगों के अंदर दबी हुई कामवासनाओं को जगाने के लिए प्रयत्नशील हैं, जिसे देखकर अन्य लोग भी उत्साहित होकर इस गलत कार्य में शामिल हो रहे हैं। जिसका युवा पीढ़ी के जीवन पर विपरीत प्रभाव पड़ रहे हैं। आखिर, अभिव्यक्ति की आजादी की आड़ में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म द्वारा असभ्य व अश्लील कंटेंट के प्रकाशन पर जवाबदेही तय क्यों नहीं हो पा रही है? Social Media प्लेटफॉर्म पर किसी भी प्रकार की कंटेंट अपलोड पर रोक क्यों नहीं लगाई जाती है? षड्यंत्रकारी लोग विभिन्न फर्जी नाम से आईडी बनाकर सोशल मीडिया के माध्यम से अपना गलत व अनैतिक मकसद पूरा कैसे हासिल कर पा रहे हैं? इस प्रकार के संवेदनशील सवाल हर किसी संवेदनशील सोशल मीडिया यूजर्स के जहन में उठ रहे हैं। अब वक्त आ गया है कि आईटी कंपनियों व उनके सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर परोसी जाने वाली पोर्न फिल्म, अश्लील वीडियो/ फोटो, आदि पर लगाम लगे। सरकार को इन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के लिए कड़े नियम और कानून बनाने चाहिए। इन नियमों में अश्लील सामग्री को अपलोड करने और साझा करने पर कड़ी सजा का प्रावधान होना चाहिए। केंद्र सरकार के इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को पहल करनी चाहिए कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर परोसी जाने वाले अश्लील व पवित्र कंटेंट पर पाबंदी लगाए।
लेखक एवं स्वतंत्र विचारक
कैलाश सामोता
“रानीपुरा” शाहपुरा, जयपुर, राजस्थान