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राजसमंद में मानवता के मसीहा डॉ. विजय कुमार खिलनानी नहीं रहे

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राजसमन्द। मानवसेवा को ही जीवन का परम लक्ष्य रखने वाले डॉ. विजय कुमार खिलनानी का निधन हो गया। वे राजसमंद शहर से लेकर गांव- ढाणी तक अभावग्रस्त व असहाय लोगों के आशा की किरण लुप्त हो गई। 74 वर्ष डॉ. खिलनानी के मानवसेवा में बाधक बन रहे मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के पद को त्यागकर स्वैच्छिक सेवानिवृति ले ली। डॉ. खिलनानी की पत्नी डॉ. पुष्पा खिलनानी भी गायनिक थी। यह दम्पती चिकित्सा सेवा में रहते हुए भी एक का वेतन हमेशा जनसेवा को समर्पित रहा। पत्नी डॉ. पुष्पा का छह वर्ष पहले निधन हो चुका है।

डॉ. विजय कुमार खिलनानी ने हर गांव- ढाणी में चिकित्सा शिविर आयोजित कर न सिर्फ लोगों का उपचार कर नि:शुल्क दवाइयां देते थे, बल्कि जरूरतमंद लोगों को कपड़े, जूते, कम्बल भी देते और पर्व त्यौहार पर उनके घर मिठाईयां भेजना भी नहीं चूकते थे। डॉ. खिलनानी का जीवन पूर्णतया मानवसेवा को समर्पित रहा। डॉ. विजय कुमार खिलनानी के निधन पर राजसमंद विधायक दीप्ति माहेश्वरी, विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी, जिला कलक्टर अरविंद कुमार पोसवाल सहित हर गांव- ढाणी के लोगों ने बड़ा दु:खद बताते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की है। डॉ. खिलनानी ने मानव सेवा धर्म मिशन का गठन किया, जिसमें आज राजसमंद जिलेभर में सैकड़ों लोग जुड़े हुए हैं और हर जरूरतमंद की सेवा के लिए सदैव तैयार रहते हैं।

दिन रात गरीबों की सेवा में जुटे रहते थे डॉ. खिलनानी

डॉ. विजय कुमार खिलनानी राजसमंद शहर की कच्ची बस्तियों से लेकर कुंभलगढ़, खमनोर, देवगढ़, आमेट तक की देहाती गांव ढाणियों में प्रतिदिन जाकर बीमार लोगों का उपचार करते थे। साथ ही इस दौरान अगर किसी परिवार में राशन सामग्री कपड़े, जुते नहीं होते तो तत्काल अपने बैग से उन्हें उपब्ध करवाते थे। साथ ही गांव के किसी किराना दुकानदार को पैसे देकर आते और बोलते थे कि जब भी इस परिवार को राशन की जरूरत हो तो दे देना। अगर पैसा कम पड़ेगा तो मैं अगली बार आकर दे दूंगा।

बेटे बहु व पोतियों को छोड़ गए

डॉ. खिलनानी मूलत: देवगढ़ के निवासी है लेकिन चिकित्सकीय पैशे के चलते पिछले चार पांच दशक से वे राजसमंद में ही रह रहे थे। सौ फीट रोड़ राजसमंद में राणा राजसिंह कॉलोनी में उनका आवास है, जहां अब उनके परिवार में एक बेटा, बहु व दो पोतियां है। डॉ. खिलनानी अल सुबह से देर रात तक मानव सेवा के लिए हमेशा तैयार रहते थे। जहां से भी उन्हें बीमार की सूचना मिलती तो वे तत्काल हर संभव उसकी मदद करते थे।

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