राजसमंद जिले का कुंभलगढ़ अभ्यारण्य जो 578 वर्ग किमी के दायरे में फैला हुआ है। यहां की जंगल सफारी, में पैंथर, सियार, लोमडी़, भालू, नीलगाय सहित कई जंगली जानवर देखने को मिलते है। जंगल सफारी के दौरान ज्यादातर जंगली जानवर वाटरहॉल पर ही देखने को मिलते है। यहां आने वाले पर्यटक जंगली जानवरों के साथ यहां के जंगल की खुबसूरती को भी निहारतेे है।
कुंभलगढ़ राजस्थान का एकमात्र अभयारण्य है जहां तेंदुआ, जरख, सियार, लोमड़ी, मगरमच्छ, अजगर, भालू, चौसिंगा, सांभर चीतल और नीलगाय रहती हैं। ये जगह कभी शाही शिकार का मैदान था और 1971 में इसे एक अभयारण्य के रूप में बदल दिया गया था। कुंभलगढ़ वन्यजीव अभयारण्य (Kumbhalgarh Wildlife Sanctuary) को टाइगर रिजर्व बनाने की कवायद भी जारी है। इसके लिए राष्ट्रीय व्याघ्र प्राधिकरण की ओर से चार सदस्यीय एक्सपर्ट्स की कमेटी गठित की गई है। कुंभलगढ़ में रावली-टॉडगढ़ क्षेत्र का लंबा भूभाग है, जहां अच्छी हरियाली और जल स्रोत हैं। वहां टाइगर आसानी से विचरण कर सकते हैं। अगर कमेटी ने इसे मंजूर किया तो यह प्रदेश का पांचवां टाइगर रिजर्व बन सकता है। राजसमंद, पाली, उदयपुर जिले की सरहद पर अरावली पर्वतमाला की गोद में कुंभलगढ़ वन्य जीव अभयारण्य लगभग 578 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला है। इस अभयारण्य के कुदरती सौन्दर्य को निहारने के साथ यहां स्वच्छंद विचरण करने वाले वन्य जीवों की अठखेलियां देखने के हर साल हजारों सैलानी यहां आते हैं। अभयारण्य में अक्टूबर से 30 जून तक के सीजन में सैलानी यहां जंगल सफारी का रोमांच ले सकते हैं। सैलानियों को सफारी के दौरान यहां पैंथर, भालू, जरख, हिरण, सांभर आदि जंगली जानवर देखने को मिलेंगे।