Sudarshan Singh Rawat को राजसमंद लोकसभा सीट के लिए कांग्रेस ने प्रत्याशी बनाया है, जबकि Mahima Kumari Mewar को भाजपा ने प्रत्याशी बनाया है। भाजपा व कांग्रेस की ओर से सुदर्शन सिंह रावत व महिमा कुमारी के बीच सीधा मुकाबला होगा। परिसीमन के बाद सृजित हुई राजसमंद लोकसभा सीट का यह चौथा चुनाव है, जिसमें कौन जीतकर सांसद बनेगा, यह तो जनता के मतदान में स्पष्ट होगा, लेकिन BJP व Congress के प्रत्याशी स्पष्ट होने से लंबे समय से चल रहा संशय खत्म हो गया। दोनों के प्रत्याशी बनाए जाने पर प्रत्यक्ष तौर पर कोई विरोध नहीं है, मगर जो दावेदार मैदान में थे, उन्हें मनाना भी भाजपा व कांग्रेस नेताओं के लिए चुनौतीपूर्ण रहेगा। इसको लेकर दोनों ही राजनीतिक संगठनों ने डैमेज कंट्रोल के प्रयास शुरू कर दिए हैं।
Holi के पर्व पर 24 मार्च को भाजपा ने महिमा कुमारी मेवाड़ को राजसमंद का प्रत्याशी बनाया, जबकि दूसरे दिन 25 मार्च को धुलेंडी के दिन कांग्रेस ने सुदर्शनसिंह रावत को प्रत्याशी घोषित किया है। दोनों प्रत्याशी लगभग हमउम्र है। महिमा कुमारी पूर्व राजपरिवार की सदस्य है और महाराणा प्रताप की वंशज है, तो दूसरी तरफ सुदर्शन को राजनीति विरासत में मिली है, जिनके दादा व पिता भी विधायक रह चुके हैं। सुदर्शन सिंह मूलत: भीम के है, तो फिलहाल ब्यावर में रहते हैं, जो लोकसभा सीट के केन्द्र में रहते हैं, जबकि महिमा कुमारी के लिए लंबे चौड़े इलाके तक पहुंचना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। हालांकि यह चुनाव चेहरे से ज्यादा पार्टी के निशान और केन्द्रीय मुद्दों पर लड़ा जाएगा। इस चुनाव में क्या स्थानीय मुद्दे भी हावी रहेंगे अथवा केन्द्रीय एजेंडा ही चलेगा, यह तो अभी स्पष्ट नहीं हुआ, लेकिन मुकाबला बड़ा ही रोचक होने वाला है। Sudarshan Singh Rawat और Mahima Kumari को प्रत्याशी बनाए जाने के बाद दोनों ही चेहरे पूरी लोकसभा क्षेत्र में चर्चा में आ गया है। दोनों ही प्रत्याशियों के बारे में सब लोग यह जानना चाहते हैं कि आखिर प्रत्याशियों का परिचय क्या है।
राजसमंद के दोनों प्रत्याशियों का परिचय, अनुभव, देखिए
प्रत्याशी | सुदर्शन सिंह रावत, कांग्रेस प्रत्याशी | महिमा कुमारी मेवाड़, भाजपा प्रत्याशी |
शैक्षिक स्थिति | पोस्ट ग्रेजुएट 1995 में अजमेर विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर एम.कॉम | ग्रेजुएट उत्तरप्रदेश के वाराणसी में शिक्षा प्राप्त की। |
उम्र | 50 वर्ष | 51 वर्ष |
प्रत्याशियों की राजनीतिक प्रोफाइल | राजनीति विरासत में मिली है। पिता लक्ष्मणसिंह रावत फौजी थे। विधायक के साथ गृह राज्य मंत्री भी रह चुके हैं, तो दादा मेजर फतेहसिंह भी विधायक रहे हैं। | पीहर पक्ष लंबे समय राजनीति से जुड़ा रहा। पति नाथद्वारा से विधायक है, तो मामा सतना, एमपी से सांसद है। ससुर महेंद्र सिंह मेवाड़ एक बाद सांसद भी रह चुके हैं। |
क्यों मिला है टिकट | लंबे समय से क्षेत्र में सक्रिय है। राजनीति अनुभव के साथ जातीय सियासी समीकरण में भी फिट बैठ रहे हैं। दंबग नेता के तौर पर पहचान है। | क्षेत्र में पार्टी को बड़ा चेहरा चाहिए था। प्रत्यक्ष कोई विरोध नहीं है और जातिगत समीकरण भी पक्ष में है। बेबाक वक्ता के रूप में पहचान है। |
मजबूत पक्ष क्या है | विधायक रहते हुए भीम विधानसभा में कराए विकास कार्य व पार्टी में अच्छी पहचान होना। | महाराणा प्रताप वंशज, पूर्व राजपरिवार की सदस्य व राजनीति दृष्टि से बीजेपी में पकड़ है। |
कमजोर पक्ष | कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को टिकट नहीं मिलने की नाराजगी कुछ प्रभाव डाल सकती है। | राजनीतिक अनुभव कम, स्थानीय पदाधिकारियों को टिकट नहीं मिलना। |
परिवारवाद के आरोप | दादा व पिता पहले विधायक रहे चुके हैं, तो अब सांसद का टिकट उसी परिवार के सदस्य दिया है। | पति नाथद्वारा में विधायक है, तो अब उन्हें सांसद का टिकट दिया गया है। |
पिछले 3 चुनाव के परिणाम | 1 बार कांग्रेस की जीत | 2 बार भाजपा की जीत |
पुलिस थाने में मुकदमा | पुलिस में प्रकरण विचाराधीन | कोई प्रकरण दर्ज नहींं है। |
किस क्षेत्र में कौन मजबूत | भीम, ब्यावर, नागौर, डेगाना व जेतारण में रावत बाहुल्य क्षेत्र से प्रभाव है, लेकिन कुंभलगढ़, राजसमंद व नाथद्वारा विधानसभा क्षेत्र में पकड़ कुछ कम है। | नाथद्वारा, राजसमंद व कुंभलगढ़ विधानसभा क्षेत्र में पूर्व मेवाड़ राजरिवार का सदस्य होने का प्रभास है, मगर भीम, ब्यावर, जेतारण, मेड़ता व डेगाना क्षेत्र में पकड़ कम है। |
मेवाड़- मारवाड़ के 4 जिलो की 8 विधानसभा शामिल
राजसमंद लोकसभा सीट लंबी चौड़ी है, जिसमें मेवाड़ व मारवाड़ के चार जिले राजसमंद, पाली, अजमेर व नागौर जिला शामिल है। इनमें आठ विधानसभा नाथद्वारा, कुंभलगढ़, राजसमंद, भीम, जेतारण, ब्यावर, मेड़ता व डेगाना शामिल है। दोनों राजनीतिक दलों में क्षेत्रवाद का मुद्दा हमेशा हावी रहता है। क्योंकि काफी लंबा चौड़ा इलाका राजसमंद लोकसभा सीट में आता है। 3 बार हुए इस सीट के चुनाव में कांग्रेस ने 2 बार मारवाड़ की तरफ से टिकट दिए, जबकि 1 बार मेवाड़ क्षेत्र के नाथद्वारा से टिकट दिया, जबकि भाजपा ने 1 बार मारवाड़, 1 बार मेवाड़ तो 1 बार बाहरी जयपुर की दीया कुमारी को टिकट दे दिया।
राजसमंद सीट के 3 चुनावों के क्या रहे परिणाम
- पहला चुनाव : 2009 में भाजपा के रासासिंह रावत को हरा कर कांग्रेस के गोपालसिंह ईडवा विजयी हुए थे। ईडवा नागौर जिले से है, जो मारवाड़ क्षेत्र में आता है।
- दूसरा चुनाव : 2014 में भाजपा के हरिओमसिंह राठौड़ ने कांग्रेस के गोपालसिंह ईडवा को हराया। इसमें राठौड़ राजसमंद विधानसभा क्षेत्र के रहने वाले थे।
- तीसरा चुनाव : 2019 में भाजपा ने जयपुर पूर्व राजपरिवार की दीया कुमारी ने कांग्रेस के देवकीनंदन गुर्जर को हराया। दीया कुमारी लोकसभा क्षेत्र से बाहर की थी, जबकि कांग्रेस ने राजसमंद सीट में ही नाथद्वारा के गुर्जर को टिकट दिया। दीया कुमारी को विद्याधर विधायक का चुनाव लड़ाकर उप मुख्यमंत्री बना दिया। पिछला चुनाव भाजपा ने करीब 5 लाख वोट से जीता था।
20 लाख से ज्यादा मतदाता देंगे वोट
राजसमंद लोकसभा सीट में चार जिलों की 8 विधानसभा है। राजसमंद जिले में नाथद्वारा, कुंभलगढ़, राजसमंद व भीम विधानसभा है, जबकि पाली जिले की जेतारण, ब्यावर, नागौर जिले की डेगाना व मेड़ता विधानसभा है। चारों ही विधानसभा में करीब 20 लाख मतदाता है, जिनके हाथ रहेगी राजसमंद सांसद की किस्मत। वर्ष 2019 में 19 लाख 12 हजार मतदाता थे।