Jaivardhan News

राजसमंद के वहशी हत्यारे को सुप्रीम कोर्ट ने भी दिया मृत्युदंड, बच्ची से दुष्कर्म के बाद पत्थर पटक पटक की थी हत्या

Rajsamand Murder Fasi https://jaivardhannews.com/supreme-court-also-gave-death-sentence-to-the-ruthless-killer-of-rajsamand/

दिल्ली के बहुचर्चित दामिनी दुष्कर्म प्रकरण में आरोपियों को फांसी की सजा होने के बाद राजस्थान के राजसमंद की आठ वर्षीय विमंदित बच्ची से दुष्कर्म के बाद पत्थर पटक हत्या करने वाले वहशी दरिंदे को फांसी के फंदे पर लटकाने के जिला न्यायालय के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने यथावत रखा है। मासूम बालिका से दुष्कर्म और फिर पत्थर पटक कर हत्या को सुप्रीम कोर्ट ने भी कू्रर अपराध माना है। ऐसे निर्दयी, वहशी अपराधी किसी भी स्थिति में समाज में रहने लायक नहीं है। मासूम से दुष्कर्म व हत्या की इस घटना ने राजसमंद जिले ही नहीं, बल्कि पूरे मानव समाज को झकझोर दिया था। (Supreme Court)

राजसमंद शहर के एक सब्जी विक्रेता के ठेले से 17 जनवरी 2013 की शाम को आठ वर्षीय मासूम मानसिक विमंदित बच्ची को चॉकलेट के बहाने बहला फुसलाकर अपहरण कर दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा 24 जून को राजसमंद जिला एवं सेशन न्यायालय के फांसी के फैसले को बरकरार रखा। मासूम से दुष्कर्म व हत्या के वहशी आरोपी उत्तरप्रदेश के बसन्तपुर-गुगली, जिला महाराजगंज हाल राजसमंद निवासी मनोजप्रतापसिंह (२८) पुत्र सुरेन्द्रसिंह को इससे पहले हाईकोर्ट ने भी जिला अदालत के फैसले को यथावत रखा था। आरोपी पक्ष द्वारा सुप्रीम कोर्ट में अपील की, जहां भी जिला अदालत द्वारा सुनाए मृत्युदंड के आदेश को यथावत रखा। #Dilhi Ki Damini

परिजन बोले- देरी हुई, मगर न्याय मिला

मासूम बच्ची से दुष्कर्म व हत्या के मामले में आरोपी मनोज प्रतापसिंह को फांसी की सजा सुप्रीम कोर्ट में बरकरार रखने के बाद परिजन बोले कि हमें न्यायालय पर विश्वास था। देर संभव है, मगर अंधेर नहीं है। तभी जिला न्यायालय के बाद हाईकोर्ट और अब सुप्रीम कोर्ट ने भी आरोपी को मृत्युदंड के दंड को यथावत रखा। न्यायालय के निर्णय पर खुशी व्यक्त करते हुए मासूम बच्ची के पिता, नाना, मौसी व अन्य परिजनों ने जल्द से जल्द आरोपी को फांसी के फंदे पर लटकाने की गुहार की है।

न्यायालय- वहशी को समाज में जीने का हक नहीं

जिला सेशन एवं सत्र न्यायाधीश ने 30 सितंबर 2013 को फांसी की सुनाते हुए कहा था कि मासूम, विमंदित बालिका से दुष्कर्म व हत्या जघन्य अपराध है। अगर ऐसे अपराधी को सजा न मिली, तो समाज का न्याय से विश्वास उठ जाएगा। न्यायाधीश ने टिप्पणी करते हुए कहा कि मासूम की जिंदगी से खेलना कौनसी इंसानियत है। ऐसे अपराधी के लिए फांसी की सजा ही उचित है, तब एक बारगी न्यायालय में सन्नाटा पसर गया था। #Rajsamand

यह था जिला कोर्ट के फैसले का मजमून

अपराध धारा 363 में सात वर्ष के कारावास व 25 हजार रुपए अर्थदण्ड, शास्ति जमा नहीं कराने पर 6 माह अतिरिक्त कारावास होगा। धारा 365 में सात वर्ष के कारावास व 25 हजार रुपए अर्थदण्ड, शास्ति अदा न होने पर 6 माह का अतिरिक्त कारावास, धारा 376(2)(च) में आजीवन कारावास व 50 हजार रुपए अर्थदण्ड, शास्ति नहीं चुकाने पर एक वर्ष का अतिरिक्त कारावास, धारा 6 यौन अपराध बाल संरक्षण अधिनियम 2012 में उम्रकैद व एक लाख अर्थदण्ड, शास्ति जमा नहीं होने पर दो वर्ष का अतिरिक्त कारावास होगा। धारा 302 में मृत्युदण्ड की सजा सुनाई। आरोपी के अन्वीक्षा अभिरक्षा में व्यतीत अवधि नियमानुसार मूल सजा में समायोजित करने का आदेश दिया।

देखिए, यह था पूरा मामला

बसन्तपुर-गुगली, जिला महाराजगंज (उत्तरप्रदेश) हाल राजसमंद निवासी मनोजप्रतापसिंह (२८) पुत्र सुरेन्द्र सिंह ने 17 जनवरी 2013 की शाम शराब के नशे में आठ वर्षीय बालिका से दुष्कर्म किया। फिर पत्थर पटककर उसकी हत्या कर दी। बालिका के लापता होने पर चिंतित परिजनों ने पुलिस को शिकायत की। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए राजसमंद बस स्टैण्ड से बस में बैठेे संदिग्ध आरोपी उत्तरप्रदेश निवासी मनोजप्रतापसिंह को पकड़ लिया। दूसरे मुआवजे की मांग पर शहर बंद रहा। राज्य सरकार ने पांच लाख रुपए त्वरित आर्थिक सहायता प्रदान की थी। पुलिस ने 4 फरवरी को न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल कर दिया। जिला सेशन एवं सत्र न्यायालय में भी त्वरित सुनवाई की गई। 28 सितम्बर 2013 को अंतिम सुनवाई में जिला सेशन एवं सत्र न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार दे दिया था। फिर 30 सितंबर 2013 को जिला न्यायालय द्वारा आरोपी मनोज प्रतापसिंह को मृत्युदंड से दंडित किया।

Exit mobile version