Political sarcasm : जनता मालिक है, भिखारी नहीं : सशक्तिकरण और समानता का आह्वान
Political sarcasm : आज की बात की शुरुआत अपनी इक ग़ज़ल से करता हूं। खुद को खेवनहार कहने वाले देश की नैया को खुद डुबोकर कर भी अपने को मसीहा…
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Political sarcasm : आज की बात की शुरुआत अपनी इक ग़ज़ल से करता हूं। खुद को खेवनहार कहने वाले देश की नैया को खुद डुबोकर कर भी अपने को मसीहा…