राजसमंद शहर में हाउसिंग बोर्ड में सुभाष पब्लिक स्कूल के पास स्थित राजकीय अन्य पिछड़ा वर्ग बालिका छात्रावास के कक्ष में एक 12 से 15 वर्षीय बालिका दिनभर चीखते- चिल्लाते हुए तोडफ़ोड़ करती रही। खिड़कियों के कांच तोड़ डाले, पंखे व स्वीच बोर्ड से भी तोडफ़ोड़ की। पूरे कमरे में कांच बिखर गए और उस कांच पर बालिका नंगे पांव ही दौड़ती रही, जिससे पैर लहूलुहान होकर वह गंभीर घायल होकर बेहोश हो गई। बाद में बाल अधिकारिता विभाग की टीम मौके पर पहुंची और उसे आरके जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया गया।
छात्रावास अधीक्षक मधु पालीवाल ने बताया कि बाल कल्याण समिति के आदेश पर 15 अगस्त को एक बालिका को छात्रावास में अस्थायी तौर पर प्रवेश दिया गया। जब से उसे प्रवेश मिला, तब से वह कभी घर जाने की, तो कभी बालिका गृह में जाने की जिद कर रही थी। इसको छात्रावास द्वारा बाल अधिकारिता विभाग से लेकर बाल कल्याण समिति को भी अवगत करा दिया। इसके तहत एक दिन पहले राज्य बाल संरक्षण आयोग अध्यक्ष संगीता बेनीवाल ने पहुंचकर बालिका से मुलाकात कर बातचीत की। इसके बाद गुरुवार को सुबह से ही बालिका छात्रावास के कक्ष में उत्पात मचा रही थी और सुरक्षा गार्ड से लेकर छात्रावास अधीक्षक से भी हाथापाई की। वह सुबह से चीखती व चिल्लाती रही और बार बार कहती रही कि आखिर उसका गुनाह क्या है, उसे यहां क्यो कैद कर रखा है। इस बीच बालिका ने पंखे से आत्महत्या का प्रयास भी किया, तो महिला चौकीदार ने पकड़ा। फिर कमरे से पलंग को हटा दिया गया। सुबह से वह कमरे में स्वीच बोर्ड, पंखे से लेकर खिड़कियों को खटखटाती रही, तोड़- फोड़ करती रही, जिससे पूरे कमरे में कांच बिखर गए और वह नंगे पैर ही इधर उधर कांच पर दौड़ती रही, जिससे वह लहूलुहान होकर गंभीर रूप से घायल होकर बेहोश होकर गिर पड़ी। बाद में छात्रावास प्रशासन की सूचना पर बाल अधिकारिता विभाग राजसमंद के सहायक निदेशक कृष्णकांत सांखला मय टीम के मौके पर पहुंच गए। साथ ही कांकरोली थाने से एएसआई जितेंद्र सिंह भी मौके पर पहुंच गए। फिर 108 एम्बुलेंस मंगवाकर उसे आरके जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया गया, जहां वह उपचाररत है। इधर, सामाजिक न्याय अधिकारिता विभाग के अधिकारी जयप्रकाश भी छात्रावास पहुंचे, जहां बालिका द्वारा किए गए तोडफ़ोड़ का अवलोकन किया। साथ ही जिला अस्पताल पहुंचे, जहां भर्ती बालिका के स्वास्थ्य की जानकारी ली।
राजनगर में अकेली मिली थी बालिका
यह बालिका 15 अगस्त को राजनगर में अकेली मिली। इस पर लोगों ने चाइल्ड लाइन हेल्पलाइन 1098 पर कॉल करने पर उसे बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश किया, जहां से उसे छात्रावास में रखने के आदेश हुए। इस पर उसे छात्रावास में प्रवेश दिला दिया, जहां अन्य कोई बालिका नहीं है। केवल अकेली उस बालिका को यहां रखा गया था। मानसिक रूप से परेशान होने की आशंका पर बालिका अधिकारिता विभाग द्वारा उसे पहले उदयपुर भी ले जाया गया, जहां मनो चिकित्सक ने उसके स्वस्थ होने की जानकारी दी।
पहले भी बालिका को परिजनों को सौंपा
उल्लेखनीय है कि बालिका देवगढ़ क्षेत्र के एक गांव की रहने वाली है, जो पहले भी बालिका गृह में रह चुकी है। बाल अधिकारिता विभाग की टीम पहले भी इस बालिका को परिजनों तक सुपूर्द कर चुके हैं और काउंसलिंग भी की गई, मगर 15 अगस्त को दोबारा यह बालिका घर से बिन बताए राजनगर पहुंच गई।