मंदसौर के पशुपतिनाथ मंदिर समिति में प्रतिदिन संस्कृत और वेद की कक्षाएं लगती हैं। यहां बटुक वेद और शास्त्रों की शिक्षा लेते हैं, लेकिन इस शिक्षा स्थली की खास बात एक तोता है। क्लास के दौरान तोता भी उसी जगह बैठता है, जहां बटुक शास्त्र ज्ञान लेते हैं। पाठशाला के छात्रों की मानें तो तोता हर दिन क्लास में समय पर आता है। क्लास खत्म होने के बाद चला जाता है। यहां वह बटुकों के साथ खाना भी खाता है। मंदिर प्रबंधन भी तोते के खाने-पीने की पूरी व्यवस्था करता है।
पाठशाला में संस्कृत की शिक्षा दे रहे अध्यापक विष्णुप्रसाद ज्ञानी ने बताया कि पिछले तीन महीने से यह तोता प्रतिदिन यहां आता है। तोता कहां से आता है और कक्षा के बाद कहां चला जाता है, यह किसी को पता नहीं है। वह हर दिन सुबह आता है और फिर क्लास खत्म होने के बाद ही दोपहर में जाता है और शाम को फिर से आ जाता है। ज्ञानी की मानें तो तोता बटुकों के बीच ही मंत्रोच्चार, शास्त्रार्थ पूरे समय सुनता है। उसके बाद मंदिर में जो दाना-पानी रखा होता है, तोता उसका नियमित रूप से आहार करता है। यह इस तोते की दिनचर्या में शामिल हो गया है।
ज्ञानी ने बताया कि कुछ माह पहले लॉकडाउन के दौरान जब एक बटुक संस्कृत की शिक्षा ले रहा था। उस दौरान अचानक से यह तोता यहां आकर कोने में बैठ गया। कुछ समय कोने में बैठे रहने के बाद, अचानक से तोता बीच में आकर बैठ गया। ज्ञानी ने बताया कि तोता बड़े ध्यान से मंत्रोच्चार और वेद-शास्त्रों के पाठ ध्यान से सुनता रहा, फिर 3 से 4 घंटे वह यहीं बैठा रहा।
कुछ समय बाद तोता बटुक की पुस्तक के पास जा पहुंचा। चोंच से पुस्तक खींचने लगा। थोड़ी देर बाद बटुक को चोंच मारकर आसन से खड़ा कर दिया और खुद आसन पर जाकर बैठ गया। उस दिन से लेकर आज तक वह प्रतिदिन पाठशाला में कक्षा के दौरान मौजूद रहता है। तोता भी अब हमारे पाठशाला का सदस्य ही बन गया है।
पहले भी पाठशाला में आ चुके हैं वन्यजीव
अध्यापक ने बताया कि जब पेड़ों के बीच कक्षा चला करती थी, उस दौरान पहले भी वन्यजीव आ जाते थे। पहले नाग-नागिन का जोड़ा घंटों फन फैलाए बैठा रहता था। इसके बाद एक खरगोश पाठशाला के बीच आ जाया करता था।