सामान्यतः हमेशा ठंडा रहने वाला अरब सागर मानव प्रजाति किए मानवीय गतिविधियों के परिणाम स्वरूप हुए जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग से अब गर्म होकर अपना गुस्सा बिपरजॉय चक्रवात या बवंडर के रूप में दिखा रहा है । अरब सागर से उठे इस बेहद प्रचंड व वेद खतरनाक चक्रवात को लगभग ढाई सौ घंटे से अधिक समय हो गया है जिसके परिणाम स्वरूप अरब सागर के तटीय क्षेत्रों महाराष्ट्र गुजरात सौराष्ट्र कच्छ में भारी जल जनित आपदाओं का सामना करना पड़ रहा है अरब सागर से उठे इस बवंडर से गुजरात महाराष्ट्र और राजस्थान में भारी तबाही का अंदेशा जताया जा रहा है क्योंकि इस चक्रवात की गति 200 से ढाई सौ किलोमीटर प्रति घंटा है जिसमें भारी जान माल का भी अंदेशा है प्रभावित क्षेत्रों में केंद्र एवं राज्य सरकारों हर संभव आपदा प्रबंधन में जुटे हुए हैं और मौसम विभाग ने अंदेशा जताया है कि यह बवंडर ना केवल हिमालय के क्षेत्रों में बारिश को बढ़ाएगा बल्कि गुजरात सौराष्ट्र राजस्थान के कुछ जिलों में बारिश को प्रभावित करेगा।
जून माह में पहले भी प्रकृति ने बरसाया है कहर
प्रकृति के साथ हुए माननीय खिलवाड़ के दुष्परिणाम के रूप में 16 जून 2013 को ही उतराखंड में भयंकर प्राकृतिक आपदा "केदारनाथ त्रासदी" के रूप में आई थी, जिसके जख्म आज तक भी नहीं भर पाए हैं। राजस्थान में भी जून 1998 में चक्रवात का भारी आघात देखा गया था, लेकिन इंसान है कि मानता ही नहीं और काल के विकराल रूप सबक लेने की बजाय, उसे भुला देता है।
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राजस्थान में बिपरजाय बचने के लिए उठाए जा रहे हैं विशेष कदम…..
अरब सागर से उठे इस भयंकर चक्रवात बिपरजोय का राजस्थान की सीमा में प्रवेश 16, 17 व 18 जून 2023 में संभावित है, जिसके कारण प्रदेश सरकार ने राजस्थान के 5 जिलों बाड़मेर, जालौर, पाली, जोधपुर और नागौर में रेड अलर्ट जारी कर दिया है । प्रदेश में चक्रवात के खतरे को मद्देनजर रखते हुए, वहां से गुजरने वाली लगभग 125 ट्रेनों को रद्द कर दिया है व सरकार द्वारा चलाए जा रहे महंगाई राहत शिविरों को स्थगित करते हुए, वहां के समस्त अधिकारियों व कर्मचारियों को मुख्यालय छोड़ने की अनुमति पर रोक लगा दी है ।
प्रकृति के साथ खिलवाड़ का परिणाम है बिपरजॉय…..
प्रकृति एवं प्राकृतिक जल स्रोतों के संरक्षण के लिए संघर्षरत पर्यावरणविद शिक्षक कैलाश सामोता रानीपुरा का कहना है कि सौरमंडल का एकमात्र ग्रह पृथ्वी और इसकी प्रकृति के साथ हो रहे खिलवाड़ से आज जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग की घटना के परिणामस्वरूप अरब सागर में उफान आया है और बिपरजॉय के रूप में बवंडर को लाया हैं। इस बवंडर के साथ अरब सागर से उठकर आने वाला समुद्री जल, राजस्थान के लिए वरदान भी साबित हो सकता है और अभिशाप भी । बस जरूरत इस बात की है इस वर्षा जल निधि को कुशल प्रबंधन द्वारा संचित किया जाए और मरुधरा की प्यास को बुझाया जाए । सामोता ने चेताया है कि पानी अपना रास्ता कभी नहीं भूलता, वह जब भी आएगा अपने रास्ते ही आएगा, चाहे वे रामगढ़ बांध के भराव के लिए बाधक अवैधानिक रूप से बसी हुई कॉलोनियों और फैक्ट्रियां हो, जल प्रवाह सबको तबाही का स्वाद चखाकर, अपना अतिक्रमण खुद हटाएगा।
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आपदा प्रबंधन को स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाए
इंसान और विज्ञान चाहे चांद और मंगल ग्रह पर पानी ढूंढने का दावा कर ले, लेकिन जब तक वर्षा जल संचय के माध्यम से जमीन के पानी को नहीं सहेजा जाएगा, तब तक जल संकट और प्राकृतिक आपदाओं का यूं ही कहर बढ़ता जायेगा और हर घर के नल में भी जल तब ही आएगा, जब आपदा प्रबंधन और वर्षा जल संरक्षण जैसे विषयों को स्कूली पाठ्यक्रमों में जोड़कर, उनको दैनिक जीवन में डालने का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
बिपरजॉय बवंडर कहीं खोल ना दें
देश प्रदेश में प्राकृतिक आपदाएं हमेशा ही इंसान और सरकारों को सबक सिखाकर जाते है। इतना ही नहीं आपदा को अवसर में बदलने में माहिर सरकारी सिस्टम की पोल भी खोल कर जाते है । सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत लगाए गए सौर पैनल, वेयरहाउस के टिंनसैड, श्मशान भूमि के टीन सैड, वर्षा जल निकास के लिए बना हुआ सड़ा नाली तंत्र, सरकार के विज्ञापनों के लिए लगे होर्डिंग्स, और विभिन्न योजनाओं के तहत लगाए गए सरकारी बजट के छापरपोस इस बवंडर के साथ उड़ना, कहीं सरकारी सिस्टम को उधेड़ने जैसी विफलता के बनने जैसी घटना है । इसलिए इस बबंडर से यह सबक लेना होगा कि हमें प्रकृति का सम्मान करते हुए इसकी श्रंगार के लिए अधिक से अधिक वृक्षारोपण कर, प्राकृतिक जल स्रोतों को मरने से बचाना होगा और इस प्रकार आपदा प्रबंधन के नाम पर सरकारी बजट चुना लगाकर अपने घर भरने की परम्परा पर अंकुश लगाना होगा ।
कैलाश सामोता “रानीपुरा”
स्वतन्त्र विचारक एवं पर्यावरणविद शिक्षक
मुरलीपुरा, शाहपुरा, जयपुर, राजस्थान