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Trainee Doctor rape & murder : यूं हमारे भारत में हर घंटे में तीन महिलाएं बलात्कार की शिकार बन रही है, मगर कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर से बलात्कार व हत्या की संगीन वारदात का हंगामा सड़क से लेकर संसद तक में गूंजा और पूरे देश में इसके आक्रोश की आग देखी गई। सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद सीबीआई जांच रिपोर्ट पर एक साइको दरिंदे संजय राय की हैवानियत का खुलासा हुआ, लेकिन सवाल फिर खडे हुए कि आखिर युवती व महिला सुरक्षा को लेकर सरकारें क्या कर रही है। सवाल यह भी है कि आखिर इस तरह की दरिंदगी थम क्यों नहीं र ही है। आखिर इसके लिए कौन जिम्मेदार है। हैवान व बदमाशों को पुलिस पकड कर जेल भी भेज रही है, मगर अदालतों में सुनवाई और सजा की रफ्तार बहुत धीमी है, जिससे न तो वक्त पर न्याय मिल रहा है और न ही इस तरह के जघन्य अपराध का कोई डर है और न ही कानून का कोई खौफ। कमजोर दिल वाले न देखे यह कहानी।

Kolkata doctor rape : आज की रियल कहानी है पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता शहर के लाल बाजार में आरजी कर मेडिकल कॉलेज यानि राधा गोविंद कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल की। यह बात है 10 अगस्त 2024 की। वहां एक महिला ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप के बाद हत्या हो गई। फिर क्या था, सुबह से ही आरजी कर हॉस्पिटल में अशांति का माहौल उत्पन्न हो गया और धीरे धीरे पूरे कोलकाता शहर में कोहराम, आक्रोश में तब्दील होता गया। देखते ही देखते पूरे शहर में अनहोनी घटना की चर्चा तेज हो गई, तो उसका आक्रोश उससे भी कई ज्यादा लोगों के चेहरे पर दिखाई दिया। हर किसी व्यक्ति का आक्रोशित होना भी स्वाभाविक था। जिस तरह से मानव को तार तार कर देने वाली घटना हुआ, जहां हैवान बने वहशी दरिंदों ने ट्रेनी महिला डॉक्टर के शरीर को नोंचा, जबरदस्ती की और फिर उसे मार डाला। वहशीपन, हैवानियत खुलेआम हुई और कानून मखौल बनकर रह गया। वहशी भेडियो से असुरक्षित बेटियों को लेकर हर कोई चिंतिंत व आक्रोशित हो गया। अस्पतालों में सुबह की पहली पाली की ड्यूटी पर जाने को निकले स्वास्थ्यकर्मियों का मन बेचैन था। दिमाग में गुस्सा था। फिर क्या था दिन चढने के साथ ही डॉक्टर, नर्सेज सभी अस्पताल का कामकाज छोड कर सडक पर आ गए।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने बैठक कर देशव्यापी हड़ताल का ऐलान कर दिया। इस वारदात ने तेजी से पूरे देश को अपनी गिरफ्त में ले लिया। फिर प्रिंट, इलेक्ट्रोनिक मीडिया, वेबसाइट व सोशल मीडिया पर चौतरफा कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर के रेपकांड की ही खबरें थी। 31 वर्षीया ट्रेनी महिला डाॅक्टर के साथ ड्यूटी के दौरान रेप के बाद मर्डर हुआ था। इस केस को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सरकार पर सवाल उठे और देशभर के लोगों का आक्रोश पनपने लगेा। आरजी कर मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में 9 अगस्त 2024 काला दिन साबित हुआ। स्नातकोत्तर प्रथम वर्ष की प्रशिक्षु महिला डॉक्टर का शव देख हर कोई आक्रोशित हो उठा। सुबह करीब 10.10 बजे आरजी कर अस्पताल के प्रशासन की पुलिस चौकी ने टाला पुलिस थाने में दी। तत्काल पुलिस दल मौके पर पहुंचा और प्रथम दृष्टया आपातकालीन भवन की तीसरी मंजिल पर सेमिनार कक्ष में ट्रेनी महिला डॉक्टर अचेत अवस्था में लकड़ी के मंच पर पड़ी है, जो अर्धनग्न अवस्था में थी। मामला हत्या का लगने पर होमिसाइड टीम को बुला लिया और मौके से जरूरी साक्ष्य व सबूत जुटाए गए। कई वरिष्ठ पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी एवं फाेरेंसिक टीम भी आ गई। दोपहर एक बजे तक ट्रेनी महिला डॉक्टर के परिजन भी आ गए। फिर अस्पताल के नर्सेज, डाॅक्टर व परिजनों के हंगामें के बीच न्यायिक मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में शाम करी सवा छह बजे डॉक्टरों के बोर्ड द्वारा ट्रेनी डॉक्टर के शव का पोस्टमार्टम हुआ और पोस्टमार्टम कार्रवाई की पूरी वीडियोग्राफी की गई तथा रात 8 बजे डॉग स्क्वायड ने भी घटना स्थल का मुआयना किया। घटनास्थल की 3डी मैपिंग के साथ फोरैंसिक टीम द्वारा 40 से ज्यादा जगह से जांच के नमूने लिए गए। इधर, मृतक ट्रेनी डॉक्टर के पिता की रिपोर्ट पर पुलिस ने बलात्कार व हत्या का प्रकरण दर्ज करते हुए जांच शुरू कर दी।

Twist in Kolkata doctor rape : फिर पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी डरावनी थी, जिसे देख व सुनकर हर किसी के रोंगटे खड़े करने वाली थी। उसके प्राइवेट पार्ट सहित 14 जगह पर गंभीर चोटें बता रही थी कि उसके साथ किस हद तक बर्बरता हुई है। क्रूरता का अंदाजा तो शव पर स्पष्ट दिख रहे एक दर्जन से ज्यादा चोट के निशान से भी लग रहा था। उसके सिर, गाल, होंठ, नाक, दाहिना जबड़ा, ठोड़ी, गरदन, बायां हाथ, बायां कंधा, बायां घुटना, टखना व प्राइवेट पार्ट पर चोट के घाव मिले और शरीर के अंदरूनी हिस्सों में चोटे मिली थी। शरीर के कई हिस्से में खून के थक्के जमे और फेफड़ों में भी रक्तस्राव पाया गया। जननांग के अंदर भी सफेद गाढ़ा चिपचिपा तरल पदार्थ मिला। दोनों हाथ से गला घोंटने के कारण ट्रेनी डॉक्टर की मौत होना सामने आया था।

Kolkata rape case : साथ ही ट्रेनी डॉक्टर के साथ जबरन बलात्कार के निशां भी स्पष्ट तौर पर थे। घटना के बाद 10 अगस्त को ट्रेनी महिला डॉक्टर के शव को सौंप दिया और अंतेष्टी हो गई, मगर नर्सेज व डॉक्टर कार्य पर नहीं लौटे और अस्पतालों में महिला डॉक्टर व नर्सेज की सुरक्षा को लेकर मांग उठाई, तो कोलकाता के बाद पूरे देश के डॉक्टर एकजुट हो गए, चाहे निजी अस्पताल हो या सरकारी, सभी ने उस घटना को लेकर आक्रोश जताया। एक बार फिर दिल्ली निर्भया कांड की यादें ताजा हो गई। डाक्टरों के संगठनों ने देशव्यापी हड़ताल का ऐलान किया, तो देशभर के अस्पतालों की चिकित्सा व्यवस्था बेटपरी हो गई और दिल्ली के एम्स तक में स्वास्थ्य सेवा चरमरा गई।

Trainee Doctor Rape case Update : फिर आखिर में सुप्रीम कोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए ‘ट्रेनी डाॅक्टर के रेप एंड मर्डर केस’ को लेकर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने 20 अगस्त 2024 को सुनवाई की। यानि किसी याचिका के बिना ही सुप्रीम कोर्ट ने एक्शन लिया। क्योंकि कोलकाता की घटना का सीधा असर पूरे देश के अस्पतालों पर पडा। रेपमर्डर के मामले की निष्पक्ष जांच पर नजर भी रखी और उधर पुलिस ने जांच के बाद सिविक वालंटियर संजय राय को गिरफ्तार कर लिया। रेप या गैंगरेप का सही जवाब तलाशने के लिए संजय राय के साइको टेस्ट की जांच करवाई। सीबीआई ने उसे अपनी कस्टडी में लेकर उसकी मनोदशा की जांच के लिए मनोविश्लेषणात्मक प्रोफाइल यानि साइको एनालिटिक प्रोफाइल जांच कराने का फैसला किया था। बेहद गोपनीय रिपोर्ट से हट कर जो बातें सामने आईं, वह भी रोंगटे खड़े करने वाली थीं। इस रिपोर्ट से न केवल रेप का पता चला, बल्कि वहशीपन, दरिंदगी का खुलासा भी हो गया। सीबीआई के साइको टेस्ट में संजय राय ने लगातार अपने बयान बदले। उसने कभी खुद को फांसी पर लटकाने की बात कही तो अगले ही पल उसने अपने आप को निर्दोष बताया। हालांकि पुलिस व सीबीआई जांच के अनुसार संजय राय ने अपराध कबूल किया है। सीबीआई संजय को लेकर आरजी कर अस्पताल गई थी और वारदात को रिक्रिएट करवाया और कई घंटे तक अलग अलग तरह से पूछताछ की गई, तो उसने पूरा जुर्म कबूल कर लिया। सेमिनार हाॅल की तरफ जाने वाले मार्ग पर लगे सीसीटीवी फुटेज में भी वह दिखाई दिया था, जिससे भी सच्चाई सामने आ गई। कुछ अन्य कैमरे में भी वह आते व जाते हुए दिखाई दिया। संजय करीब 40 मिनट से ज्यादा समय तक सेमिनार हॉल में नजर आया। साथ ही सेमिनार हाॅल से बरामद एक नेक बैंड ब्लूटूथ भी अहम सबूत बना। उसका कनेक्शन संजय के मोबाइल में मिला। इसी आधार पर वारदात के 24 घंटे की समयावधि में उसे गिरफ्तार कर लिया गया। इस पूरे मामले का वह इकलौता आरोपी था, जिसे पूछताछ के लिए 14 दिन की न्यायिक हिरासत में लेकर प्रेसिडेंसी जेल भेजा गया। सीबीआई के सख्त और उलझा देने वाले सवालों के आगे संजय राय टूट गया और जुर्म कबूल करते हुए रात और सुबह की पूरी कहानी इस तरह बयां की।

सीबीआई जांच में यह स्पष्ट हुआ कि पीडि़ता के साथ रेप हुआ था न कि गैंगरेप। रेप के दौरान आरोपी ने ही जूनियर डाॅक्टर का कत्ल किया था। आरजी कर अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष से भी पूछताछ की। वारदात के बाद की तमाम लापरवाहियों की कडिय़ों को जोडऩे के लिए ये पूछताछ महत्त्वपूर्ण बताई गई। रेप के साथ मर्डर की हैवानियत को लेकर जो हालात सामने आए, वाकई झकझोर देने वाले थे। जांच में यह भी स्पष्ट हुआ कि आरोपी संजय राय एक साइको था, जिसने वारदात से पहले उस रात शराब पी थी। सेक्स वर्कर के बहुचर्चित इलाके सोनागाछी गया, जहां मोबाइल पर पोर्न वीडियो देखी थी। सीबीआई जांच व पूछताछ के दौरान आरोपी संजय के चेहरे पर कोई शिकन तक न थी और न ही उसे कोई अफसोस था। संजय के भीतर छिपे हैवान को देख सीबीआई ऑफिसर भी दंग रह गए। क्रिएट किए क्राइम सीन के वक्त भी आरोपी भावशून्य दिखा। साइको एनालिटिक प्रोफाइल में उसकी तस्वीर पशुओं जैसी प्रवृत्ति वाली सामने आई। आरोपी संजय को सेक्स एडिक्ट भी बताया।

कोलकाता पुलिस की जांच के अनुसार आरोपी 8 अगस्त 2024 को रेडलाइट एरिया गया। वहां 2 वेश्यालयों में शराब पी और आधी रात में अस्पताल गया, जहां वह काम करता था। उसी दौरान वह सीसीटीवी फुटेज में कैद हुआ था। उसी आधार पर वह पकडा भी गया। पीडित जूनियर महिला ट्रेनी डाॅक्टर सोने के लिए गई थी। अस्पताल से एकत्रित सीसीटीवी फुटेज में संजय राय को 8 अगस्त सुबह 11 बजे चेस्ट डिपार्टमेंट के वार्ड के पास देखा था। उस समय पीडि़ता 4 अन्य जूनियर डाॅक्टरों के साथ वार्ड में ही थी। जाने से पहले राय कुछ देर तक उसे घूर भी रहा था। आरोपी के बारे में सीबीआई ने शहर पुलिस कल्याण बोर्ड के सदस्य और सहायक उपनिरीक्षक अनूप दत्ता से पूछताछ में पता चला कि आरोपी की उनसे निकटता थी, जिससे पुलिस बैरक में जाने व आरजी कर अस्पताल जैसी संस्था में वह दिन या रात के किसी भी समय स्वतंत्र रूप से घूम सकता था। बताते हैं कि सीबीआई को कथित तौर पर अनूप दत्ता व संजव राय को साथ में दिखाने वाली कई तस्वीरे मिली। ट्रेनी डाॅक्टर के नाम की नेमप्लेट कई दिन तक उनके चैंबर के बाहर लगी रही। वहां के कर्मचारी उन्हें डाॅक्टर दीदी कह कर बुलाते थे। उनके बारे में अस्पताल के डाॅक्टरों ने बताया कि वह खुले विचारों वाली थीं। बहुत अच्छी डाॅक्टर थीं और इत्मीनान से मरीज की समस्या को सुनती थी। यह डाॅक्टर जिस इलाके में रहती थी, वहां भी सप्ताह में 2 से 3 दिन मरीज का इलाज करती थी। सीबीआई के हाथ लगी पीडि़ता की डायरी के मुताबिक उसने कई सपने देखे थे, जिसे वह पूरा करना चाहती थी। डायरी के पन्ने पर उसकी जिंदगी की दास्तान लिखी है। इस डायरी में उसने वैसी बातें लिखी हुई थीं, जिन्हें वो जिंदगी में करना चाहती थी। सीबीआई ने डायरी के हैंडराइटिंग की जांच के लिए डायरी एक्सपर्ट को भेज दी। उसकी हैंडराइटिंग मिलाने के घर से कुछ नोट्स भी हासिल कर लिए थे, ताकि उसकी जांच हो सके। ट्रेनी डॉक्टर से रेप व हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट का कडा रूख रहा।

सुप्रीम कोर्ट ने लगातार सुनवाई के दौरान 22 अगस्त को बचाव पक्ष के वकील कपिल सिब्बल से कई सवाल किए, जिस पर वह हक्का बक्का रह गए। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला व जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने वकील कपिल सिब्बल से कड़े सवाल पूछे। जस्टिस मनोज मिश्रा ने यूडी केस दर्ज कराने की टाइमिंग पर सवाल किया। पूछा कि आटोप्सी रिपोर्ट के मुताबिक 9 अगस्त रात के 9 बजे की गई थी, फिर अप्राकृतिक मौत का मुकदमा रात को 23.30 यानी 11.30 बजे दर्ज किया गया, ऐसा क्यों? इस पर कपिल सिब्बल ने कहा कि नहीं, 23.30 बजे तो एफआईआर दर्ज करवाई थी। थोड़ी देर जस्टिस मिश्रा और सिब्बल के बीच बातचीत हुई, फिर जस्टिस जे.बी. पारदीवाला सिब्बल से पूछताछ करने लगे। उन्होंने कहा कि आप अपने रिकॉर्ड के मुताबिक बताइए कि पोस्टमार्टम कब हुआ? इस पर कपिल सिब्बल ने कहा कि पोस्टमार्टम शाम 6.10 से 7.10 बजे शाम के बीच हुआ. तब जस्टिस पारदीवाला ने पूछा कि जब मामला अप्राकृतिक मौत का नहीं था तो फिर पोस्टमार्टम करवाने की नौबत क्यों आई? जस्टिस पारदीवाला ये कह रहे थे कि बिना अप्राकृतिक मौत के तो पोस्टमार्टम करवाया नहीं जाता? इस का मतलब है कि आप मान रहे थे कि मौत अप्राकृतिक है, तभी तो आप शव को पोस्टमार्टम के लिए ले गए। तब सिब्बल कुछ बोलने लगे तो जस्टिस पारदीवाला ने उन्हें टोका। तब सिब्बल सौरी, सौरी’ करने लगे। जस्टिस पारदीवाला ने कहा कि जब शाम 6.10 से 7.10 बजे के बीच पोस्टमार्टम हो गया तो फिर अप्राकृतिक मौत का केस दर्ज करवाने में इतनी देर क्यों हुई? आप ने रात साढ़े 11 बजे यूडी केस क्यों दर्ज करवाया? इस पर कपिल सिब्बल बोले कि साढ़े 11 बजे तो एफआईआर दर्ज करवाई गई है, यूडी केस नहीं। तब जस्टिस पारदीवाला ने पूछा कि ताे फिर यूडी केस कब दर्ज करवाया ? इस पर सिब्बल ने बोले कि यूडी केस अपराह्न पौने 2 बजे दर्ज करवाया। तब जस्टिस पारदीवाला ने हैरानी जताई कि आखिर पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने से पहले यूडी केस कैसे दर्ज करवा दिया ? जब पता ही नहीं कि मामला अप्राकृतिक मौत का है या नहीं तो पहले ही केस कैसे दर्ज हो गया? इस पर कपिल सिब्बल हक्का बक्का रह गए। उन्हें कोई जवाब नहीं सूझा तो यह बोल कर बच निकले कि ऐसा उन्हें बताया गया।

जस्टिस पारदीवाला ने सिब्बल का पीछा नहीं छोड़ा। उन्होंने कहा कि अगर आपके आफिसर यहां हैं तो पूछकर बताइए कि सच्चाई क्या है? अगर यही बात है जो आप बता रहे हैं, तब तो यह बहुत खतरनाक है। तब सिब्बल को मजबूरी में सहमति जतानी पड़ी। वो जस्टिस पारदीवाला के इस तहकीकात पर कहने लगे कि जी, मैं आपसे सहमत हूं। जस्टिस पारदीवाला ने पूछा कि यूडी केस नंबर 861 किस वक्त दर्ज कराया ? काफी देर तक जवाब नहीं आया तो जस्टिस पारदीवाल ने कहा कि अगर कुछ गडबड है तो उसे सुधारे लें और फिर बताएं।

सोलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हमारी रिपोर्ट उसी केस डायरी पर आधारित है, जो उन्होंने हमें दी है। इस पर जस्टिस पारदीवाला ने रोकते हुए कहा कि आप थोड़ा रुकिए, उन्हें हमारे सवालों का जवाब देने दीजिए। फिर देर तक सिब्बल की तरफ से कोई जवाब नहीं आया तो जस्टिस पारदीवाला ने कहा कि आखिर आप इतना वक्त क्यों ले रहे हैं? डाक्यूमेंट पर जो वक्त लिखा है, वह देख कर बता दें। देर तक सिब्बल कुछ नहीं बोल पाए तो जस्टिस पारदीवाला ने कहा कि अगली सुनवाई में आप किसी जिम्मेदार पुलिस वाले को यहां मौजूद रखिएगा। यानी कि 9 अगस्त को अस्पताल प्रशासन की तरफ से हुई देरी और लापरवाही को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी तमाम सवाल उठाते हुए बार बार पूछते रहे कि घटना वाले दिन कब डीडी एंट्री हुई? कब केस डायरी दर्ज हुई? कब एफआईआर लिखी गई? पोस्टमार्टम कितने बजे हुआ? लाश घर वालों को कब सौंपी गई? अंतिम संस्कार कब हुआ? पंचनामा कितने बजे किया गया? पश्चिम बंगाल सरकार और खासकर पुलिस के रवैए से कोर्ट बेहद नाराज नजर आया। चीफ जस्टिस ने कहा कि आप अपने दस्तावेज में देखें। पुलिस डायरी में एंट्री सुबह 5.20 बजे की है। अस्पताल से पुलिस को सुबह 10.10 बजे पर सूचना दी कि एक महिला अर्धनग्न हालत में पड़ी है। मेडिकल बोर्ड ने राय दी कि उसके साथ रेप हुआ और पुलिस की जीडी एंट्री से यह पता चलता है कि मौका ए वारदात की घेराबंदी पोस्टमार्टम के बाद की गई।

आखिरकार मेडिकल काॅलेज के पूर्व प्राचार्य संदीप घोष भी सीबीआई के शिकंजे में आ गए। उनके घर व ठिकानों समेत 14 जगह पर छापेमारी के बाद 25 अगस्त 2024 को गिरफ्तारी हुई। सीबीआई ने उन पर वित्तीय अनियमितता के साथ पीडि़ता को ही दोषी ठहराने का आरोप लगाया। पीडि़ता के घर वालों ने घोष पर आरोप लगाया कि अस्पताल के प्रिसिंपल (जो उस वक्त संदीप घोष थे) और दूसरे प्रशासनिक अधिकारियों ने उन्हें फोन पर बताया कि उनकी बेटी ने आत्महत्या कर ली है। उनके खिलाफ एक दिन पहले एफआईआर दर्ज की थी। उसके बाद ताबड़तोड़ छापेमारी शुरू की गई थी। इस मामले में पहले कोलकाता में बनाई गई एसआईटी जांच कर रही थी। इस दल को तय सीमा के अंदर अपनी जांच रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपनी थी। इसका नेतृत्व राज्य के पुलिस महानिरीक्षक प्रणव कुमार के जिम्मे था। जांच से जुड़े एक पुलिस अधिकारी का कहना है कि कई बार नोटिस भेजे जाने के बाद भी संदीप घोष जांच दल के सामने पेश नहीं हो रहे थे, जबकि उन पर लगे आरोपों की जांच के लिए दल में शामिल सीबीआई अधिकारी और दूसरे अधिकारी अस्पताल के रिकॉर्ड खंगालने लगे थे। एसआईटी ने 24 अगस्त सुबह कोलकाता के सीबीआई ऑफिस जाकर संबंधित तमाम दस्तावेज सीबीआई को सौंप दिए।

इससे पहले 23 अगस्त को कोलकाता हाईकोर्ट में जस्टिस राजश्री भारद्वाज की एकल खंडपीठ ने डाॅ. संदीप घोष पर लगे आरोपों की जांच का जिम्मा भी सीबीआई को सौंप दिया था। उसके बाद सीबीआई ने अलग से एक विशेष टीम बनाई। डा. संदीप घोष और अस्पताल प्रशासन की कड़ी आलोचना कोलकाता हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में हुई। उनसे सीबीआई भी लंबी पूछताछ कर चुकी थी। इस घटना के तुरंत बाद उन्होंने कॉलेज से इस्तीफा दे दिया था।

हालांकि कुछ घंटे बाद ही उनकी नियुक्ति कोलकाता नेशनल मेडिकल काॅलेज और अस्पताल में प्रिंसिपल के पद पर हो गई। संदीप घोष ने अपनी स्कूली शिक्षा कोलकाता के पास बोंगांव हाईस्कूल से पूरी की थी। मेडिकल और इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा में सफलता हासिल करने के बाद आरजी कर मेडिकल काॅलेज में पढ़ाई की। साल 1994 में एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की और एक आर्थोपेडिक सर्जन बने। फिर वह 2021 में आरजी कर मेडिकल काॅलेज के प्रिंसिपल बन गए।

इससे पहले उन्होंने कोलकाता नेशनल मेडिकल काॅलेज में वाइस प्रिंसिपल के रूप में कार्य किया था। बताते हैं कि वह अपने छात्रों के बीच बेहद लोकप्रिय रहे। एक प्रशासक के तौर पर भी उनका बेहद सम्मान रहा। आरजी कर काॅलेज में प्रिंसिपल के तौर पर कार्यभार संभालने के बमुश्किल 2 साल बाद ही उस काॅलेज के पूर्व उपाधीक्षक अख्तर अली ने राज्य सतर्कता आयोग में उनके खिलाफ एक शिकायत दर्ज करवा दी थी, जिसमें संदीप घोष के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए गए। इसके बावजूद पिछले एक साल में डाॅ. घोष के खिलाफ कोई ठोस काररवाई नहीं की गई और वह आरजी कर मेडिकल काॅलेज के प्रिंसिपल बने रहे। डाॅक्टर के मृत पाए जाने के बाद संदीप घोष और अस्पताल प्रशासन की प्रतिक्रिया को लेकर कोलकाता हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट द्वारा कड़ी आलोचना हुई। हाईकोर्ट ने कहा कि जब मृतक पीडि़ता अस्पताल में कार्यरत एक डाक्टर थी तो यह आश्चर्यजनक है कि प्रिंसिपल/ अस्पताल ने औपचारिक शिकायत क्यों नहीं दर्ज की? यह हमारे विचार में एक गंभीर चूक थी, जिसने संदेह को जगह दी। हाईकोर्ट ने उनके इस्तीफे के कुछ घंटों बाद डाॅ. घोष को दूसरे काॅलेज का प्रिंसिपल नामित करने की राज्य की ममता बनर्जी सरकार की अत्यावश्यकता पर भी सवाल उठाया। उनसे अब सीबीआई ने लगातार 6 बार पूछताछ की। उनसे 5 दिन में ही 60 घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की। राज्य सरकार द्वारा भ्रष्टाचार और बलात्कार, हत्या पीडि़ता की पहचान को कथित तौर पर उजागर करने के मामले में भी उनकी जांच की गई।

सीबीआई ने सच जानने के लिए पोलीग्राफ टेस्ट का सहारा लिया। इसके लिए सीबीआई अधिकारियों द्वारा 24 अगस्त को संजय राय के पोलीग्राफ टेस्ट की सभी प्रक्रियाएं पूरी करने के लिए करीब डेढ़ घंटे तक प्रेसीडेंसी जेल में तैयारी की गई। यह टेस्ट आरोपी समेत 7 लोगों के किए जाने थे, जिसमें एक काॅलेज के पूर्व प्राचार्य संदीप घोष थे। कारण घटना की रात 4 डाॅक्टर और एक सिविल वालंटियर शामिल था। पोलीग्राफ टेस्ट के दौरान व्यक्ति की ओर से सवालों के जवाब दिए जाने के समय एक मशीन की मदद से उसकी शारीरिक प्रतिक्रियाओं की माप की जाती है। इस दौरान आरोपी झूठ बोलता है तो आमतौर पर उस की हृदयगति बढ़ जाती है, रक्तचाप बढ़ जाता है, काफी पसीना आता है, सांस लेने में कठिनाई होती है, त्वचा में कई तरह के बदलाव देखे जाते हैं। इस आधार पर यह पता लगाया जाता है कि वह कितना सच और कितना झूठ बोल रहा है। हर सवाल को 3 बार पूछा जाता है। आरोपी को हां और ना में जवाब देना होता है। यदि जवाब 3 बार का एक ही होता है तो इसका मतलब होता है कि वह झूठ नहीं बोल रहा है और यदि जवाब में अंतर आता है, तब आरोपी के विभिन्न शारीरिक परिवर्तन दिखाई पड़ते हैं। इस जांच की जिम्मेदारी दिल्ली के केंद्रीय फोरैंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (सीएफएसएल) में तैनात पोलीग्राफ विशेषज्ञों के एक दल को सौंपी थी। कहानी लिखे जाने तक वे कोलकाता के लिए रवाना हो चुके थे। इस जांच की जरूरत के बारे में सीबीआई का कहना था कि इसे सुप्रीम कोर्ट के कहे जाने के बाद जरूरी समझा गया।

सुप्रीम कोर्ट ने 22 अगस्त को कहा था कि स्थानीय पुलिस ने ट्रेनी डाॅक्टर से बलात्कार और उसकी हत्या के मामले को दबाने का प्रयास किया था और जब तक इसकी जांच सीबीआई हाथ में आई, तब तक घटनास्थल पर छेड़छाड़ की जा चुकी थी और इस वारदात के खिलाफ देशभर में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए। घटना स्थल के भवन की मरम्मत के लिए तोडफोड तक कर डाली। इस तरह साक्ष्य मिटाने के प्रयास प्रतीत हुआ।

पश्चिम बंगाल के अलग अलग सरकारी अस्पतालों में जूनियर डॉक्टर 42 दिन बाद 21 सितंबर को काम पर लौट आए। सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टरों को 10 सितंबर तक का अल्टीमेटम दिया था कि सभी डॉक्टर्स हड़ताल खत्म करके काम पर लौट आए। फिर भी डॉक्टर काम पर नहीं लौटे। इधर, वार्ता के मुताबिक सीएम ममता बनर्जी ने कोलकाता पुलिस कमिश्नर विनीत गोयल को हटाकर उनकी जगह मनोज वर्मा को लगाया है। 22 अगस्त को सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट में CBI ने कोर्ट में कहा था कि क्राइम सीन से छेड़छाड़ हुई है। इस पर जस्टिस जेबी पारदीवाला ने कहा कि कोलकाता पुलिस की भूमिका पर संदेह है। मैंने जांच में ऐसी लापरवाही अपने 30 साल के करियर में नहीं देखी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 21 अगस्त को CISF के 92 जवान आरजी कर अस्पताल की सुरक्षा में तैनात किए गए हैं।

16 सितंबर को सीबीआई ने आरजी कर अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष और ताला पुलिस स्टेशन के SHO अभिजीत मंडल को पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया। प्रथम दृष्टया ट्रेनी डॉक्टर से रेप व हत्या के मामले में सबूत नष्ट व खत्म करने व छेडछाड करने के आरोप है। FIR दर्ज करने में बेवजह देरी, बिना औपचारिक FIR के पोस्टमार्टम करने, उन दोनों के बीच कई बार मोबाइल पर क्या बातचीत हुई आदि सवालों को लेकर पूछताछ की गई।

17 सितंबर को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने महिला डॉक्टरों की नाइट ड्यूटी खत्म करने के बंगाल सरकार के फैसले को गलत बताते हुए फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप कैसे कह सकते हैं कि महिलाएं रात में काम नहीं कर सकतीं? उन्हें कोई रियायत नहीं चाहिए। सरकार का काम उन्हें सुरक्षा देना है। पायलट, सेना जैसे सभी प्रोफेशन में महिलाएं रात में काम करती हैं। कोर्ट की फटकार पर सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने बंगाल सरकार की तरफ से कहा कि सरकार महिला डॉक्टरों की ड्यूटी 12 घंटे तक सीमित करने और नाइट ड्यूटी पर रोक लगाने वाले अपने फैसले वापस ले लेगी।

फिलहाल पाेलीग्राफ जांच में संदीप घोष से सीबीआई के 12 सवाल पूछे, वे सवाल थे जब ट्रेनी डाॅक्टर का रेप और हत्या हुई, उस रात को आप कहां थे? आपको घटना के बारे में किसने सूचित किया और आपकी पहली प्रतिक्रिया क्या थी ? आपने परिवार को सूचित करने का निर्देश किसे दिया था और कैसे ? किसने पुलिस से संपर्क किया ? मम्मी पापा को शव देखने के लिए करीब 3 घंटे तक इंतजार क्यों कराया? चेस्ट मेडिसिन विभाग का साप्ताहिक रोस्टर क्या था ? पीडि़त डाॅक्टर को लगातार 48 घंटे तक काम करने के लिए क्यों कहा था? शव मिलने के 2 दिन बाद आपने इस्तीफा दे दिया? आपने ऐसा क्यों किया? सेमिनार रूम का बगल वाला हिस्सा क्यों टूटा हुआ है? आप खुद एक डाक्टर हैं? क्या आप को नहीं लगता है कि क्राइम सीन को सुरक्षित रखना जरूरी है, फिर क्यों और किसके कहने पर रिनोवेशन करवाया? आपने कोलकाता हाईकोर्ट से सुरक्षा मुहैया कराने को कहा? आपको किससे अपनी जान का खतरा है? क्या रात से गायब ट्रेनी डॉक्टर की सुबह 10 बजे तक किसी को जरूरत नहीं पड़ी? डाॅक्टर की डेथ की सूचना मिलने पर आपने इसे आत्महत्या क्यों बताया? डाॅक्टर के मम्मी पापा से झूठ क्यों बोला गया और देर से एफआईआर क्यों दर्ज कराई? कैसे संजय राय पुलिस की बाइक लेकर जाता था रेड लाइट एरिया? बहरहाल, इस मामले में अभी दूध का दूध और पानी का पानी होना बाकी है। साथ ही पीडि़ता के मम्मी पापा न्याय की उम्मीद लगाए बैठे हैं। पूरे देश को भी इस केस के नतीजे को लेकर उत्सुकता बनी हुई है।

यह कहानी बताने के पीछे हमारा उद्देश्य किसी की भावना को आहत करना या परेशान करना नहीं, बल्कि अपराध को लेकर शिक्षित व सतर्क करना मात्र है। कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में ट्रेनी महिला डॉक्टर के साथ हुए रेप व हत्या के मामले में अब तक अपडेट बताने का प्रयास किया, जिसमें रेप, हत्या के बाद भ्रष्टाचार का बडा खुलासा हुआ, जिसको लेकर ईडी, सीबीआई द्वारा समग्र पहलुओं पर गहन जांच की जा रही है। पूरे मामले में सुप्रीम कोर्ट की नजर है, जिससे उम्मीद है कि कोलकाता में ट्रेनी महिला डॉक्टर के साथ जो दरिंदगी हुई, उसकी सच्चाई सामने आएगी और भविष्य में एक नजीर बनेगी, दोबारा देश में इस तरह की हरकत या वारदात करने से पहले सौ बार सोचेगा। खैर वास्तविकता तो सीबीआई व ईडी की जांच पूरी होने के बाद ही स्पष्ट होगी। अभी ममता बनर्जी सरकार के एक विधायक भी सीबीआई जांच की रडार पर है, जिनसे पूछताछ जारी है। आपको यह कहानी कैसी लगी। आप इस बारे में क्या सोचते, समझते हैं, जरूर कमेंट करके बताइएगा। साथ ही आपको क्राइम से जुडी किस तरह की कहानियां पसंद है, वह भी कमेंट करके जरूर बताए। इस कहानी से आमजन को क्या सबक व सीख लेनी चाहिए, वह भी बताए। साथ ही इस तरह रियल घटना पर आधारित अपराधिक कहानियों के लिए हमारे यू ट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करें, फेसबुक पेज पर फॉलो जरूर करें, ताकि नई कहानी तत्काल आप तक पहुंच सकें। धन्यवाद