Tussle in BJP : देश की राजनीति में अभी घमासान मचा हुआ है। खूब खींचतान, बयानबाजी और अन्तर्कलह के हालात बने हुए हैं। अगर बात 4 जून 2024 से पहले की करें, तो देश में एनडीए के सहयोगी दलों में ऐसा कोई राजनीतिक दल नहीं था, जो कि दिल्ली दरबार के खिलाफ यानि नंबर वन और नंबर टू के खिलाफ अथवा गुजरात लॉबी के विरुद्ध बोलने की हिम्मत नहीं करते थे। लेकिन 4 जून के बाद अगर आप बयानों की फेहरिस्त देखेंगे, तो लंबी सूची है। चाहे विधायक, सांसद हो या मंत्री, सभी तो नाराज है और संघ के मोहन भागवत की नाराजगी तो पहले ही जगजाहिर है।
Narendra Modi : इस तरह भाजपा की फ्रंट लाइन के विरुद्ध अब मोहन भागवत ही नहीं, बल्कि एकनाथ शिंदे और बिहार सीएम नीतिश कुमार भी खुले तौर पर मैदान में है। एकनाथ शिंदे तो इतने नाराज है कि वे अपने गांव चले गए और विभागों का कामकाज तक नहीं संभाल रहे हैं। क्योंकि भाजपा ने उन्हें न सिर्फ सीएम पद से हटाया, बल्कि गृह मंत्रालय तक नहीं दिया और स्पीकर भी भाजपा को ही लगा दिया। नीतीश कुमार भी इस तरह नाराज हैं कि न तो वे अमित शाह के बयान पर बचाव की मुद्रा में नजर आते हैं और न ही एनडीए की बैठक में शामिल हो रहे हैं। Eknathshinde News
Nitish Kumar News : दरअसल मोहन भागवत, नीतीश कुमार और एकनाथ शिंदे इन तीनों ने भारतीय जनता पार्टी की जबरदस्त किरकिरी करवा रखी है। यह तीनों लगातार नाराज हैं और भारतीय जनता पार्टी को समझ नहीं आ रहा कि आखिर इन लोगों को मनाया कैसे जाए। सबसे पहले बात मोहन भागवत की करें तो वे 4 जून के बाद से लगातार बयान दे रहे हैं और हाल ही में उनका जो बयान वायरल हो रहा है, उसको लेकर सोशल मीडिया पर भी बवाल मचा हुआ है। मोहन भागवत यह भी कहते हैं कि जो अहंकार में रहेगा, वह एक दिन जरूर डूबेगा। अब मोहन भागवत ने यह बातें किसके लिए कह रहे हैं, यह उन्होंने स्पष्ट नहीं की, मगर आमजन समझ सकते हैं कि आखिर मोहन भागवत का वह व्यंग्य बाण किसके ऊपर था। Mohan Bhagwat News BJP
NDA Alliance : इसी तरह एकनाथ शिंदे इस बात पर नाराज थे कि भारतीय जनता पार्टी ने उनको मुख्यमंत्री की कुर्सी से उतार दिया। खैर इस बात को तो वे पचा भी जाते, लेकिन वह यह चाहते थे कि जो फार्मूला पहले गठनबंधन के वक्त से चल रहा था, उसी फार्मूला चले। उस फार्मूले के तहत एकनाथ शिंदे को गृह विभाग दे दिया जाए, लेकिन एकनाथ शिंदे को गृह विभाग नहीं मिला। विधान परिषद में सभापति की कुर्सी भी उनकी पार्टी को नहीं मिली और अब एकनाथ शिंदे इतने नाराज है कि वह विभागों का कामकाज नहीं संभाल रहे है। यह सवाल बहुत बड़ा है कि आखिर एकनाथ शिंदे करने क्या वाले हैं। क्योंकि उनकी चुप्पी भारतीय जनता पार्टी को और महायुती अलायंस को महाराष्ट्र में बहुत परेशान कर रही है।
इसके अलावा नितीश कुमार बिहार में अपनी यात्रा निकाल रहे हैं, जो न तो एनडीए की बैठक में शामिल हो रहे हैं और न ही भारतीय जनता पार्टी के कार्यक्रमों में शिरकत कर रहे हैं। एक तरह से नीतिश कुमार ने भाजपा के मंचों से पूरी तरह से दूरी बना ली है। नीतीश कुमार की चुप्पी भारतीय जनता पार्टी को परेशान कर रही है। नरेंद्र मोदी जानते हैं कि नीतीश कुमार क्यों जरूरी और एकनाथ शिंदे क्यों आवश्यक है और मोदी यह भी जानते हैं कि मोहन भागवत कितने जरूरी हैं। हरियाणा और महाराष्ट्र ने यह बता दिया कि संघ की कितनी ज्यादा जरूरत है और अहमियत है। भले ही जेपी नड्डा यह कहते रहे हो कि अब भारतीय जनता पार्टी बड़ी है, मजबूत है, लेकिन नरेंद्र मोदी संघ की ताकत से वाकिफ है। नीतीश कुमार की ताकत को जानते हैं और वह एकनाथ शिंदे की ताकत से भी वाकिफ है। अब मोहन भागवत, एकनाथ शिंदे और नीतिश कुमार की नाराजगी से भाजपा व एनडीए में खलबली मची हुई है। नाराजगी की वजह तीनों की अलग अलग है और अंदरखाने खलबली मची हुई है। इसी बीच अमित शाह का बाबा साहब अंबेडकर पर दिया बयान भी बवाल मचा रहा है, जिस पर हंगामा इतना ज्यादा बढ़ गया कि अब कभी भी कुछ भी हो सकता है और नरेंद्र मोदी जानते हैं कि अगर इस नाराजगी को यहीं थामा नहीं गया तो नुकसान बहुत बड़ा हो सकता है। इन तीनों की नाराजगी भारतीय जनता पार्टी के लिए, नरेंद्र मोदी के लिए और एनडीए की सरकार के लिए कितनी मुसीबत बढ़ाने वाली हो सकती है, यही यक्ष सवाल हर किसी के जेहन में है।