सांयों का खेड़ा के वागा की वेर में 7 वर्षीय दो मासूम बच्चों की हत्या के मामले में गिरफ्तार महिला ने बड़ा चौंकाने वाला खुलासा किया है। पुलिस ने महिला से घटना स्थल की तस्दीक कराने के बाद सख्ती से पूछताछ की, तो आरोपी महिला अणछीबाई ने पुलिस को बताया कि पहले जेठानी के कोई संतान नहीं थी, जिससे उसके बड़े बेटे को गोद दिया था। फिर उसके 2 जुड़वा बच्चे जन्म गए और गोदनामा निरस्त हो गया और गोद दिए बेटे का हक छीन गया। इसलिए जुड़वा बच्चों को रास्ते से हटाने का षडय़ंत्र रही थी और 2 सितंबर को मौका मिलने पर कुएं में धकेलकर दोनों की हत्या कर दी।
एसपी सुधीर चौधरी ने बताया कि वागा की वेर निवासी बालूसिंह खरवड़ के 7 वर्षीय जुड़वा बेटे तंवर व भूपेंद्र बैर खाने के लिए जंगल में चले गए। 2 सितंबर को तंवर व भूपेंद्र लापता हो गए, तो उसकी मां चांदनी बाई पूरे गांव में तलाश करने लगे और उसके साथ कई लोगों दोनों बच्चों को तलाशने लगे। उसी दौरान चांदनीबाई की देवरानी अणछीदेवी भी बच्चों को तलाशने लगी। अणछीदेवी खेत पर गई, जहां बच्चे बैर खा रहे थे। उसी दौरान अणछदेवी ने अकेले बच्चों को देखा, तो उसके मन में उन्हें मारने का मौका मिल गया। क्योंकि घर से बच्चे गुम होने से पहले से गांव में सभी लोग तलाश रहे हैं। ऐसे में अणछीदेवी दोनों जुड़वा बच्चों को कुएं के पास ले गई, जहां शहद बताने के बहाने कुएं में धक्का दे दिया। फिर वह वापस घर चली गई और परिजनों को बताया कि बच्चों का कहीं पता नहीं चला है। फिर पीडि़ता चांदनीबाई ने खमनोर थाने में दोनों बच्चों के लापता होने का मुदकमा दर्ज कराया।
संतान नहीं तो लिया था गोद
अणछीबाई के दो बेटे हैं और जेठानी चांदनीबाई व बालूसिंह की शादी के 7 साल बाद भी कोई संतान नहीं हुई। इस पर सामाजिक स्तर पर अणछी के बड़े बेटे को चांदनीबाई व बालूसिंह ने गोद लिया, मगर फिर उनके दो जुड़वा बच्चे तंवर व भूपेंद्र जन्म गए। ऐसे में सामाजिक स्तर पर किया गोदनामा निरस्त हो गया। हत्या की आरोपी महिला अणछीबाई ने कहा कि उनकी सास भी बच्चों से दोहरा बर्ताव करती थी। सास देवरानी के बच्चों से प्यार करती थी, जबकि उसके बेटो से नफरत करती थी। इसी बात से अणछीबाई खफा थी।
रक्षाबंधन के दिन हुआ था झगड़ा
बालूसिंह व हीरसिंह दोनों सगे भाई है, जिनके परिवार के बीच रक्षाबंधन के दिन जमीन विवाद को लेकर झगड़ा हुआ था। हर रोज के झगड़ों से निजात पाने के लिए अणछी ने बच्चों को रास्ते से हटाने का सोचा, ताकि बच्चों के मरने के बाद बालूसिंह के हिस्से की जमीन भी उसके परिवार की हो जाए।