विधायक खरीद-फरोख्त मामले में राजस्थान की ACB टीम आखिरकार दो साल बाद केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत तक पहुंच गई। मामले में कोर्ट में अपना पक्ष रखने के लिए एसीबी ने शेखावत को नोटिस तामील करवाया है। शेखावत के साइन भी ले लिए गए और अब उन्हें 15 जुलाई को एडीजे फर्स्ट के सामने अपना पक्ष रखना होगा। इसके बाद कोर्ट तय करेगा कि शेखावत अपना वाइस सैंपल दें या नहीं। 2 साल बाद शेखावत को नोटिस देने की कहानी बहुत दिलचस्प है। क्योंकि इस मामले में बहुत कुछ ऐसा हुआ, जो आमतौर पर नहीं होता। मसलन, सिपाही को ही नोटिस तामील करवाने के लिए भेजा जाता है, लेकिन इस मामले में एएसपी की लीडरशिप में पूरी टीम बनाई गई। ये भी तय था कि नोटिस शेखावत के घर के बाहर नहीं चिपकाना है, उनके हाथ में देकर साइन लेने हैं। इसके लिए एसीबी की टीम ने 3 दिन तक दिल्ली में डेरा डाले रखा। सबसे बड़ी बात तो ये है कि मामले में पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह व कांग्रेस विधायक भंवरलाल शर्मा का भी नाम था, लेकिन एसीबी ने नोटिस सिर्फ शेखावत को दिया मामले में पड़ताल की तो सामने आया कि 20 दिन पहले हुई एक बैठक में एक बड़े अधिकारी को ताना दिया गया तो एसीबी एक्टिव हुई। नोटिस देने के लिए पूरा एक्शन प्लान बनाया गया।
डीजी नहीं दे पाए जवाब, यहां से शुरू हुई नोटिस की कहानी
सरकार की 20 दिन पहले एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें गृह विभाग और डीजी एमएल लाठर सहित पुलिस महकमे के आला अधिकारी शामिल हुए। बैठक में सरकार ने एसीबी में विधायक खरीद-फरोख्त को लेकर दर्ज मामले की जांच धीमी गति को लेकर आपत्ति जताई। लाठर से कहा गया कि ‘दिल्ली क्राइम ब्रांच में दर्ज मामले को लेकर हमारे ओएसडी (लोकेश शर्मा) को दो-तीन बार पूछताछ के लिए बुला लिया गया है। और यहां दो साल में आप एक नोटिस तक तामील नहीं करा पाए। लाठर कुछ नहीं बोल पाए।
उल्लेखनीय है कि संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने राजस्थान विधानसभा में विधायक खरीद-फरोख्त के ऑडियो क्लिप्स को लेकर कहा था कि सीएम एक ओएसडी ने ऑडियो क्लिप वायरल की तो क्या गलत किया। इसके बाद केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने लोकेश शर्मा एवं अन्य के खिलाफ दिल्ली क्राइम ब्रांच में एफआईआर दर्ज करवाई थी। इसके बाद लोकेश शर्मा से दो बार पूछताछ हो चुकी है।
मंत्री के साइन की फोटो सबूत के तौर पर बड़े अधिकारियों को भेजी
सरकार की नाराजगी के बाद एसीबी सक्रिय हुई और एडीजे कोर्ट फर्स्ट से गजेंद्र सिंह के नाम का नोटिस निकलवाने की प्रक्रिया शुरू की। इसके बाद एडिशनल एसपी गौरी शंकर के नेतृत्व में टीम बनाई, जिसे नोटिस मंत्री तक पहुंचाने का जिम्मा दिया।एसीबी ने 13 जून को लोकेशन पता कि तो पता चला कि शेखावत दिल्ली में हैं। इस पर 14 जून को एक टीम दिल्ली रवाना हुई। 14 जून से लेकर 15 जून की शाम तक मंत्री के दफ्तर से बार-बार मिलने का समय मांगा गया, लेकिन मुलाकात के लिए समय नहीं मिल सका।
एसीबी मंत्री को घर पर नोटिस देने या चस्पा करने से बच रही थी। 16 जून की सुबह शेखावत के स्टाफ में लगे एक अन्य व खास अधिकारी से रिक्वेस्ट की गई, उसने मिलवाने का वादा किया। उसी दिन दोपहर बाद ध्यानचंद स्टेडियम स्थित दफ्तर में एसीबी ने शेखावत को हाथ में नोटिस दिया और उनके साइन लिए। इसके बाद सबूत के तौर पर नोटिस पर मंत्री के साइन की फोटो वॉट्सऐप से बड़े अधिकारियों को भेजी गई।
यहां से शुरू हुआ पूरा मामला
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और तत्कालीन उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के खेमों की बाड़ाबंदी के दौरान 15 जुलाई, 2020 को 3 ऑडियो क्लिप मीडिया को वाॅट्सऐप की गई थीं। दावा किया कि विधायकों की खरीद-फरोख्त से संबंधित बातचीत की ये आवाजें गजेंद्र सिंह शेखावत और विधायक विश्वेंद्र सिंह व भंवरलाल शर्मा की हैं।
इन ऑडियो क्लिपिंग्स को तत्कालीन मुख्य सचेतक और वर्तमान में जलदाय मंत्री महेश जोशी ने 17 जुलाई, 2020 को एसीबी को सौंपा और इनके आधार पर गजेन्द्र सिंह, भंवरलाल शर्मा, विश्वेन्द्र सिंह व अन्य के खिलाफ एसीबी में मामला दर्ज हुआ। इसी मामले में अब केंद्रीय मंत्री शेखावत को नोटिस दिया गया है।