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रात ठीक 12 बजे श्रीकृष्ण जन्म की उद्घोषणा होने के साथ ही राजसमंद जिले के तीनों प्रसिद्ध कृष्णधाम श्रीनाथजी, श्री द्वारकाधीश व चारभुजानाथ मंदिर में तोप व बन्दूकों की सलामी दी गई। साथ ही चौतरफा श्री कृष्ण कन्हैया लाल की…, हाथी घोड़ा पालकी… के जयकारे गूंज उठे। जागरण व श्रीकृष्ण जन्म के दर्शन गढबोर में चारभुजा में आमजन के लिए खुले रहे, जबकि नाथद्वारा में श्रीनाथजी व कांकरोली में द्वारकाधीश के दर्शन इस बार आम श्रद्धालुओं के लिए नहीं खुले।

नाथद्वारा में रिसाला चौक से प्रतिवर्ष की भांति इस बार जन्माष्टमी की सवारी नहीं निकाली गई। जन्माष्टमी पर रात 12 बजते ही तोप से 21 बार सलामी से समूची कृष्ण नगरी गूंज उठी। रात को जागरण के दर्शन में श्रृद्धालुओं की जनमैदिनी उमड़ पड़ी। श्रीजी प्यारे को विविध प्रकार के खेल खिलौनों से रिझाया। रात 12 बजते ही पट बंद हो गए तथा श्रीमद्भागवत् के आठ श्लोक का वाचन कर घंटानाद किया गया। इसके बाद श्रीबालकृष्णलालजी को पंचामृत स्नान कराया गया।
इधर रिसाला चौक में दो प्राचीन तोपों से एक एक कर 21 बार सलामी दी गई। तोप छोडऩे में सुरक्षाधिकारी के साथ कुल 10 जवान थे। रात को जन्माष्टमी पर्व पर रिसाला चौक में तोपों के जोड़े से सलामी दी गई। इन दोनों तोपों को नर और नारी का प्रतीक माना जाता रहा है। प्रति डेढ़ मिनिट के अंतराल से दोनों तोपों से 21 बार सलामी दी गई। जन्माष्टमी पर स्थानीय प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था के माकूल व पुख्ता इंतजाम किए। शहर के चप्पे- चप्पे पर पुलिस के सशस्त्र जवान तैनात रहे, वहीं मंदिर में महिला गार्ड, होम गार्ड, श्रीनाथ गार्ड व पुलिस के जवानों ने सुरक्षा व्यवस्था संभाली। जिला कलक्टर अरविंद पोसवाल, एसडीएम अभिषेक गोयल, श्रीनाथजी मंदिर मंडल सीईओ जितेंद्र ओझा, डिप्टी जितेन्द्र आंचलिया, सीआई पूरणसिंह राजपुरोहित सहित मंदिर मंडल के पदाधिकारी, पुलिस के जवान बाजार व व्यवस्था पर नजर रखे रहे।

शंख, झालर, घंटानाद

रात 12 बजे शंख, झालर, घंटानाद की ध्वनि के मध्य प्रभु का जन्म हुआ। प्रभु सम्मुख विराजित श्रीबालकृष्णलालजी को पंचामृत स्नान कराया गया। महाभोग धरा गया, जिसमें पंजीरी के लड्डू, मनोर के लड्डू, मेवाबाटी, केशरिया घेवर, केशरिया चन्द्रकला, दूधघर में सिद्ध मावे के पेड़ा- बर्फी दूधपूड़ी, केशर युक्त बासोंदी, जीरा युक्त दही, केसरी- सफेद मावे की गुंजिया, श्रीखंड वड़ी, घी में तला हुआ बीज चालनी का सूखा मेवा, विविध प्रकार के संदाना (आचार) के बटेरा, विविध प्रकार के फल आदि अरोगाए गए।

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कांकरोली : 21 तोपों से दी सलामी

श्री द्वारकाधीश मदिर कांकरोली में रात साढ़े आठ बजे जागरण के दर्शन खुले, जो रात 11 बजे तक अनवरत चले। उसके बपाद मंदिर के कपाट आम श्रद्धालुओं के लिए बंद हो गए। ठीक 12 बजे बाद प्रभु जन्म की उद्घोषणा के साथ ही मंदिर परिसर में शंख, घंटे की ध्वनि से गुंजायमान होने लगा। द्वारकेश सुरक्षा टोली ने बन्दूकों से श्री प्रभु को सलामी दी। कोरोना गाइडलाइन के चलते इस बार श्रीकृष्ण जन्म के दर्शन आमजन के लिए नहीं हुए। तृतीय पीठ के गोस्वामी वेदांत बावा व सिद्धांत बावा ने दूध, दही, घी, शक्कर, शहद और जल से पंचामृत किया। फिर वस्त्र धारण कराए गए और प्रभु की आरती उतारी गई। इन्हीं दर्शनों में प्रभु के सम्मुख मंदिर पुरोहित पंडित बिन्दुलाल शर्मा ने पंचांग का वाचन किया। फिर मंदिर सुरक्षा टोली वि_लविलास बाग से मंदिर तक परेड करते हुए पहुंची और वेदांत कुमार गोस्वामी व सिद्धांत कुमार गोस्वामी ने सलामी ली गई।

चारभुजा : बन्दूक की सलामी से खुले द्वार

गढबोर में चारभुजा मंदिर को मेले व आम्र पत्तों से सजाया गया। शाम को संध्या आरती के बाद दर्शन बंद हो गए। जागरण पर मंदिर परिसर में पुजारी मृदंग व ताल की भाप पर श्रीकृष्ण लीला के गुणगान व हरजस का गायन करते रहे। रात ठीक 11.48 बजे मंदिर का सायरन बजा। इसके साथ ही देवस्थान के जवानों ने बन्दूकों से सलामी दी। पुजारी सोहन लाल विरावत ने कृष्ण के बाल रूप को पालने में झूलाने की रस्म अदा की। श्रद्धालुओं ने कृष्ण कन्हैया लाल के जयकारे लगाए। बाल स्वरूप के दर्शन 1 घंटे तक रहे। मध्य रात्रि 12.45 बजे मंदिर के निज कपाट बंद कर दिए गए। इस दौरान मंदिर में पंचामृत व पंजरी का प्रसाद वितरण किया गया।

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