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इस वर्ष बारिश- व्यापार कैसा रहेगा, श्रीनाथजी मंदिर में पूर्वानुमान की अनूठी अषाढ़ी तोल परंपरा

Shrinathji temple Nathdwara https://jaivardhannews.com/unique-tradition-of-forecasting-rain-trade-and-farming-throughout-the-year/

राजसमंद के श्रीनाथजी मंदिर में गुरुवार को आषाढ़ी तौल की परंपरा निभाई गई। यह अनोखी परंपरा व्यापार, उपज और बारिश के पूर्वानुमान को लेकर होती है। इस बार के आषाढ़ी तौल में अच्छी बारिश, अच्छी पैदावार और अच्छे व्यापार के संकेत मिले हैं। श्रीनाथजी मंदिर के खर्च भंडार में यह परंपरा निभाई गई है।

मंदिर के पुरोहित डॉ. परेश नागर पंड्या ने बताया- खर्च भण्डार में बुधवार शाम 27 तरह के अनाज और सामग्रियों को तौल कर अनाज भण्डार में रखा गया था। गुरुवार को भगवान के ग्वाल दर्शन के दौरान सभी सामग्रियों को दोबारा तौला गया। तौलने के दौरान सामग्री वजन में कम ज्यादा होने के आधार पर वर्षफल निकाला गया है। आषाढ़ी तौल में इस बार वजन बढ़ा है। यानी सावन-भादो में बारिश सामान्य से ज्यादा होगी। साथ ही वायु की दिशा पश्चिम रहने से खंड बारिश का दौर चलेगा।

350 साल पुरानी परंपरा है आषाढ़ी तौल

नाथद्वारा में हर साल आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को श्रीनाथजी मंदिर के खर्च भण्डार में यह परंपरा 350 साल से निभाई जा रही है। परंपरा के मुताबिक 22 प्रकार के धान, काली व लाल मिट्टी, नमक, गुड़ व चारा सहित कुल 27 प्रकार की सामग्रियां तौली जाती हैं। इस तौल से अगले साल होने वाली पैदावार, व्यापार व मौसम का पूर्वानुमान लगाया जाता है। इसे आषाढ़ी तौलना कहते हैं।

कल 27 सामग्रियां तौल कर रखी, आज फिर तौला

बुधवार को पूर्णिमा पर तौल कर रखे गए धान व सामग्रियों को गुरुवार सुबह भगवान श्रीनाथ के ग्वाल दर्शन के वक्त श्रीजी के मुख्य पंड्या, खर्च भंडार के भंडारी व कर्मचारियों की मौजूदगी में गुरुवार सुबह तौला गया था। श्रीजी के मुख्य पंड्या डॉ परेश नागर ने कहा कि इस साल अनाज की पैदावार ज्यादा होगी। बारिश सामान्य से अधिक होगी। पूर्वानुमान की भाषा के अनुसार आषाढ़ में तीन आना, श्रावण में चार आना, भाद्रपद में पांच आना व आसोज में दो आना बारिश होगी। हवा की दिशा पश्चिम होगी।

इन सामग्रियों को तौला, ये रहा तौल का फल

डॉ. परेश नागर के मुताबिक 27 प्रकार की सामग्री में मूंग हरा, मक्की सफेद, मक्की पीली, बाजरा, ज्वार, साल सफेद, साल लाल, चमला छोटा, चमला मोटा, तिल्ली सफेद, तिल्ली काली, उड़द, मोठ, ग्वार, कपास्या, जौ, गेहूं काठा, गेहूं चन्द्रेसी, चना पीला, चना लाल, सरसों पीली, सरसों लाल, गुड़, नमक, काला गारा, लाल गारा व घास शामिल हैं। नागर ने कहा कि अधिकतर पूर्वानुमान सटीक रहता है। तौल अगर ज्यादा रहता है तो बारिश, व्यापार व उपज ज्यादा रहती है। तौल कम हो जाता है तो बारिश, व्यापार व उपज घटता है।

इस बार 13 सामग्रियों का वजन बढ़ा

डॉ. परेश नागर ने बताया कि 8 तरह की सामग्रियों बाजरा, ज्वार, चमला छोटा, चमला मोटा, तिल्ली काली, जौ, सरसों लाल व गुड़ का वजन बराबर आया। इनका उत्पादन आगामी साल में समान रहेगा। 6 तरह की सामग्रियों मूंग हरा, मोठ, नमक, काली मिट्टी, लाल मिट्टी, व चारा के वनज में कमी आई। 13 तरह की सामग्री के वजन में वृद्धि हुई है, इनमें मक्की सफेद, मक्की पीली, साल सफेद, साल लाल, तिल्ली सफेद, उड़द, ग्वार, कपास, गेहूं काठा, गेहूं चन्द्रेसी, चना पीला, चना लाल, व सरसों पीली की पैदावर अच्छी होने के संकेत हैं।

किसान व अनाज व्यापारियों का विश्वास
आसपास के गावों में इस पूर्वानुमान के आधार पर किसान फसलों की बुवाई करते हैं। अनाज व्यापारी भी इसी पूर्वानुमान के आधार पर अपने स्टॉक की योजना बनाते हैं। आषाढ़ी तौर करते वक्त मंदिर परिसर के खर्च भण्डार में मंदिर के पुरोहित डॉ. परेश नागर पंड्या, खर्च भंडारी दिनेश पुरोहित, खर्च भंडारी सहायक फतेहलाल गुर्जर मौजूद रहे।

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