Ved Sanskar https://jaivardhannews.com/vedic-rituals-camp-in-kasar-village-of-rajsamand/

लक्ष्मणसिंह राठौड़ @ राजसमंद

टाई, शूट- बूट में स्कूल- कॉलेज में पढ़ने व फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने वाले किशोर, युवा, सॉफ्टवेयर इंजीनियर व व्यापारी प्राचीन गुरुरूकुल पद्धति में वेद पुराण के पाठ कर रहे हैं। सुबह 5 बजे उठकर स्नान- ध्यान के साथ वेद मंत्रो का जाप शुरू हो जाता है, जो देर रात तक चलता है। जिस तरह से Gurukul में प्राचीनकाल में बच्चे गुरुजी के साथ रहकर पढ़ाई के साथ संस्कार अर्जित करते थे, ठीक उसी तरह प्रोफेशनल युवा शिक्षा के साथ साथ ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए अनुशासन, ध्यान, योग, वेद पाठ, सनातन धर्म व संस्कारित जीवन मूल्य सीख रहे हैं।

दरअसल, यह मौका है, राजस्थान के राजसमंद जिले में कुंभलगढ़ की अरावली पर्वत शृंखलाओं के बीच बसे सैवंत्री पंचायत के कसार गांव में 15 दिवसीय वैदिक संस्कार शिविर का। यहां भागदौड़भरी जिन्दगी से दूर 15 दिन वैदिक संस्कार शिविर रखा है, जहां देशभर से फर्राटेदार इंग्लिश बोलने वाले स्टूडेंट और प्रोफेशनल्स वैदिक मंत्रोच्चार सीखने आ रहे हैं। इस गांव में हर साल 15 दिन के लिए समर कैंप लगता है, फीस है मात्र 300 रुपए। सनातन वैदिक शिक्षण संस्थान द्वारा शिविर में वेद, पुराण व सनातन धर्म-संस्कृति की शिक्षा देते हैं। हजारों साल पहले की आश्रम व्यवस्था को जीते हैं और 15 दिन नंगे पांव रहते हैं। अनुशासित डेली रूटीन फॉलो करते हैं। सात्विक भोजन करते हैं। श्लोक- मंत्र के साथ संस्कार सीखते हैं। खाली समय में मोबाइल गेम खेलना यहां मना है। फील्ड में वॉलीबॉल, फुटबॉल या कबड्‌डी भले ही खेल सकते हैं।

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20 साल में 10 हजार से ज्यादा ले चुके शिक्षा

सनातन वैदिक शिक्षण संस्थान द्वारा इस बार 21 मई से 5 जून तक चले शिविर में 305 लोगों ने वेद शिक्षा ली। यहां 20 साल से वेद आधारित शिक्षण संस्कार दिए जाते हैं। अब तक 10 हजार से ज्यादा स्टूडेंट्स सनातन संस्कृति की शिक्षा ले चुके हैं। ट्रेनिंग लेने वालों में बीटेक, बीसीए, व्यापारी और प्रोफेशनल्स भी शामिल हैं।

शिविर के नियम सख्त, देशभर से आते हैं छात्र

सनातन वैदिक शिक्षण संस्थान अध्यक्ष पंडित उमेश द्विवेदी ने बताया कि शिविर में 12 से 53 साल तक के लोगों ने प्रवेश लिया। प्रवेश शुल्क मात्र 300 रुपए है और सीटें भी 300 ही है, मगर इस बार 327 स्टूडेंट्स शामिल हुए। सभी छात्र सूती धोती पहननी होती है। फैशनेबल कपड़े, जूते, इलेक्ट्रॉनिक आइटम प्रतिबंधित है। डेली रूटीन और डाइट तय है। दुनिया टेक्नोलॉजी की तरफ भाग रही है, लेकिन वेदों का ज्ञान समझना भी जरूरी है। शिक्षा के साथ संस्कार भी जरूरी हैं। शिविर में राजस्थान के साथ गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश व कई राज्यों से स्टूडेंट ने भाग लिया।

हर छात्र के अनूठे व अलग अनुभव, देखिए

मुम्बई के कपड़ा व्यवसायी संदीप सुरेश (53) भी शामिल हुए। उन्होंने कहा कि यहां जागने से लेकर सोने तक डेली रूटीन सेट है। वेद, सनातन संस्कृति, संस्कारों की शिक्षा मिलती है। भागदौड़ की जिंदगी में मोबाइल नेटवर्क से दूर, सोशल मीडिया से दूर, आपाधापी से दूर शुद्ध वातावरण में अपनी जड़ों को जानने का मौका मिला। भादसोडा जिला चित्तौड़गढ़ निवासी जिग्नेश आमेटा ने बताया कि उन्होंने बीसीए कर रखा है, शिविर में 7 साल से आ रहा हूं। हर साल कुछ नया सीखा। पुणे से 13 साल के जनक मावानी ने कहा कि मैं 8 कक्षा में हूं, इंग्लिश मिडियम स्कूल का छात्र हूं, कैंप के बारे में सुना था, वेद शिक्षा लेने आया हूं। पूना के ही तन्मय मावानी 14 साल के कक्षा 9 के छात्र हैं, इन्हें भी यहां आकर अच्छा लगा।

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सनातन संस्कृति को जीने का मौका

कसार गांव में कोई मोबाइल नेटवर्क ही नहीं है और शिविर में मोबाइल का उपयोग वर्जित है। ऐसे में 15 दिन तक छात्र सनातन संस्कृति को जीते हैं। सुबह 5 बजे उठने के साथ दिनचर्या में संध्या उपासना, योगासन, देवता नमस्कार, भद्रसूक्तम, पुरूषसूक्तम, रूद्रसूक्तम, रूद्राष्टाध्यायी आदि वैदिक मंत्रोच्चार का अध्ययन कराया जाता है। इसके अलावा खेल व भाषण भी सनातन संस्कृति से जुड़े ही होते हैं। शिक्षण के लिए 17 गुरुओं की टीम है।

ब्राह्मणों का गांव है कसार

सनातन धर्म, संस्कृति व वेद पुराण की शिक्षा जिस कसार गांव में पिछले 20 साल से दी जा रही है। यह पूरा गांव ब्राह्मण समाज की बहुलता का गांव है। कुछ सालवी व अन्य समाज के लोग रहते हैं। यह गांव प्राचीनकाल से ही माफीदारी में रहा है, जहां से राजा द्वारा कोई कर नहीं वसूला जाता था। इस गांव के ब्राह्मणों की मेवाड़ राजदरबार तक पूछ परख थी और मेवाड़ राज घराने द्वारा भी उनका पूर्ण सम्मान किया जाता था। इसलिए इस गांव को कर मुक्त रखा गया था।