कुंभलगढ़ पंचायत समिति के ग्राम पंचायत धानीन के ग्राम विकास अधिकारी को सरपंच के खिलाफ दो साल पूर्ण होने से पहले ही अविश्वास लाने के मामले में विकास अधिकारी ने भगवानसिंह कुंपावत ने निलंबित किया। इसके बाद इस पंचायत का चार्ज ग्राम विकास अधिकारी खरनोटा को दिया।
कुंभलगढ़ विकास अधिकारी भगवानसिंह कुंपावत ने राजस्थान सिविल सेवा नियम (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम 17 के अंतर्गत कार्यवाही करते हुए धानीन ग्राम विकास अधिकारी जीवराजसिंह शेखावत को निलंबित करने के आदेश जारी किए। निलंबन के दौरान शेखावत का मुख्यालय कुंभलगढ़ पंचायत समिति कार्यालय रहेगा। आदेश के अनुसार शेखावत को धानीन ग्राम पंचायत का कार्यभार लोकेशकुमार पिंगोलिया ग्राम विकास अधिकारी खरनोटा को सुपुर्द करने के निर्देश दिए।
विदित हो कि गत दिनों धानीन सरपंच सोहनलाल जैन के दो साल पूर्ण नहीं होने से पूर्व ही ग्राम विकास अधिकारी ने सरपंच के खिलाफ अविश्वास लाने के लिए प्रस्ताव तैयार कर वार्डपंचों के घर पहुंचकर हस्ताक्षर करवाए। हालांकि लोक सेवक को किसी भी जनप्रतिनिधि के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का अधिकार नहीं होता है।
मामले को गंभीरता से लेते हुए जिला परिषद की ओर से एसीईओ की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन कर मामले की जांच की गई। कमेटी ने की गई जांच के आधार पर शेखावत को निलंबित किया है। गौरतलब है कि ग्राम विकास अधिकारी शेखावत पूर्व में भी ग्राम पंचायत कुंवारिया में पदस्थ के दौरान कुंवारिया गढ़ पट्टा प्रकरण सहित अन्य मामलों में निलंबित हो चुके है। इसके साथ ही उनकी की कार्यशैली को लेकर जनप्रतिनिधियों में हमेशा असन्तोष रहा है।
एसीईओ जिला परिषद अनिल सनाढ्य ने बताया कि धानीन सरपंच के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए ग्राम विकास अधिकारी जीव राजसिंह वार्डपंच के घर जाकर हस्ताक्षर करवाए जाे कानूनन गलत है। लाेक सेवक ऐसा नहीं कर सकता। इसके अलावा कार्यालय समय पर गायब रहकर माैजूद नहीं रहना और आमजन के कामाें में लापरवाही करने पर निलंबित किया।