मासूम बच्चों की तबीयत खराब होने के बाद होने अस्पताल ले जाने की बजाय अंधविश्वास में भोपे के पास ले जाकर उन्हें डाम लगाने के मामलों में भीलवाड़ा प्रदेश का केंद्र बन चुका है। लगातार दूसरे दिन भीलवाड़ा में एक और मामला सामने आया है। जहां एक मासूम बच्ची को मामूली बुखार होने के बाद उसके ही मां-बाप एक भोपे के पास डाम लगवाने ले गए। यह घटना भीलवाड़ा के रायपुर क्षेत्र के कोट गांव की है। जहां डाम लगवाने से एक 2 साल की मासूम की तबियत बिगड़ गई है। इसके बाद शनिवार देर रात को मासूम को महात्मा गांधी अस्पताल में लाया गया है। जहां वह अपनी जिंदगी-मौत से लड़ रही है।
कोट गांव में सुरेश अपनी पत्नी देव के साथ रहता है। सुरेश के दो बच्चे हैं। बड़ी लड़की का नाम गीता है। इसकी उम्र 2 साल है। वहीं एक लड़का और है। शनिवार सुबह गीता को तेज बुखार आ रहा था, जिसके चलते सुरेश और उसकी पत्नी गीता को अस्पताल ले जाने के बजाय अपने गांव से 2 किलोमीटर दूर पालरा गांव लेकर गए। यहां उनके ही समाज का एक बुजुर्ग डाम लगाने का काम करता है। उस बुजुर्ग ने गर्म सरिए से गीता के पेट पर भी डाम लगा दिया। डाम लगाने के बाद गीता राेने लगी लेकिन उसे मां बाप घर लेकर आ गए। लेकिन, 3 घंटे बाद गीता की तबियत ज्यादा खराब हो गई और उसकी सांसे भी उखड़ने लगी। ऐसे में गीता के मां-बाप और नानी उसे अस्पताल लेकर आए। बच्ची के पेट पर डाम का घाव देखकर डॉक्टर पूरी कहानी समझ गए और पुलिस को भी सूचना दी।
गीता के पिता सुरेश से भी बात की। सुरेश ने बताया कि वह अपने ही गांव व आसपास के गांव में छोटी मोटी दिहाड़ी मजदूरी करता है। शनिवार सुबह उसकी पत्नी ने फोन कर गीता की तबीयत खराब होने के बारे में बताया था। अशिक्षा के चलते 2 किलोमीटर दूर रायपुर अस्पताल में ले जाने की बजाय अंधविश्वास में गांव के पास पालरा गांव में उसे डाम लगवाने ले गए। अस्पताल लेकर आए तो वहां परिजन डॉक्टर से बचाने की गुहार करने लगे। डॉक्टर ने बताया कि अभी वह आईसीयू में भर्ती है।
गीता के पिता से डाम लगाने वाले भोपे के बारे में भी पूछा गया। लेकिन, उसने उसका नाम नहीं बताया। उसने कहा कि लोगों द्वारा उसका घर बताया गया था। लेकिन उसका नाम नहीं जानते। उन्होंने बताया वह भी उसी के समाज का है और इसलिए उसके पास बच्ची को लेकर गए थे।
एक दिन पहले ही मासूम लीला कि थमी थी सांसें
ऐसे अंधविश्वास ने 1 दिन पहले ही लुहारिया गांव में रहने वाली 5 महीने की मासूम लीला ने भी महात्मा गांधी अस्पताल में जिंदगी मौत से लड़ते हुए दम तोड़ दिया था। लीला को भी पेट में दर्द होने की परेशानी थी। ऐसे में लोगों की बातों में आकर उसकी मां ने उसके पेट पर डाम लगा दिया जिसके बाद शुक्रवार को उसकी मौत हो गई थी।