कुंभलगढ़ और रावली टॉडगढ़ अभ्यारण्य में वन्यजीवों की गणना इस बार नहीं हो सकेगी। इसके मुख्य कारण ताऊते तूफान और समय से पहले मानसून का आना है। पिछले कोविड-19 के चलते गणना नहीं हो सकी थी। इस साल 24 जून को पूर्णिमा के दिन गणना होनी थी, लेकिन इस बार बारिश होने से जंगलों में पानी भर जाने से वन्यजीवों की गणना नहीं हो सकेगी।
वन विभाग के उप वन संरक्षक फतेहसिंह राठौड़ ने बताया कि पहली बार अब रणथंभौर और सरिस्का अभयारण्य की तर्ज पर नवंबर और दिसंबर में लाइन ट्रांजेक्ट मेथड़ से वन्यजीव संख्या का आंकलन करेंगे। वन्यजीव गणना अब तक तीसरी बार टली है। इससे पूर्व भी नौ साल पहले तेज बारिश के कारण गणना नहीं हुई थी। गत साल कोविड के कारण वन्यजीव गणना नहीं हुई।
साथ ही इस बार ताऊ ते तूफान की वजह से वन्यजीव गणना को टाला था। लेकिन जून माह में समय से पूर्व मानसून आने से फिर वन्यजीव गणना टल गई। राजसमंद में जब भी वन्यजीव गणना टली, तब विभाग कैमेरा ट्रेप के माध्यम से गणना करता है, लेकिन इस बार बड़े अभयारण्य की तर्ज पर वन्यजीवों के विचरण क्षेत्र में वन्यजीव के मल, पग मार्क, झाडिय़ों व पेड़ की रगड़ पर बाल आधार पर लाइन ट्रांजेक्ट मेथड से गणना करने की योजना बना रहे है।
200 वाटर हॉल पर 12 रेंजर्स टीम थी तैयार
प्रतिवर्ष वैशाख मास की पूर्णिमा को वन्यजीव संख्या का आंकलन किया जाता था। लेकिन गत मई माह में ताऊ ते तूफान से वैशाख मास की पूर्णिमा को वन्यजीव संख्या आंकलन को एक महीने यानि जून माह तक टाल दिया गया। लेकिन इस बार मानसून भी समय से पहले आने से अभयारण्य क्षेत्र में अच्छी बारिश हो गई। ऐसे में वन्यजीव वन विभाग की ओर से बनाए गए। कृत्रिम वॉटर हॉल पर पानी पीने नहीं आते है। प्राकृतिक वॉटर हॉल पर पानी की आवक होने से वन्य जीव संख्या आंकलन प्रभावित हो जाता है। विभाग की ओर से 24 जून पूर्णिमा को वन्यजीव संख्या आंकलन करवाने की पूरी तैयारी कर रखी थी। विभाग की ओर से 200 वॉटर हॉल पर 12 रेंजर्स की टीम को तैयार कर रखा था। लेकिन बारिश से वन विभाग ने गणना को टाल दी।
अक्टूबर तक घास साफ होने के बाद से हो सकती है गणना
बारिश के बाद सितंबर माह में वन्यजीव क्षेत्र से घास सूख जाती है। अक्टूबर तक घास साफ होने के बाद नवम्बर या दिसम्बर में लाइन ट्रांजेक्ट मेथड के आधार पर वन्यजीव की गणना की जाएगी। इसके साथ ही कैमेरा ट्रेप के माध्यम से गणना की जाएगी।