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पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के दिल्ली जाने के बाद कांगे्रस द्वारा राजस्थान मंत्रीमंडल में पायलट खेमे के कुछ विधायकों को फिर मंत्री बनाने की कवायद शुरू हो गई है। इस बीच सचिन पायलट चाहते हैं कि उनके 6-7 विधायक मंत्रीमंडल में शामिल हो, लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत क्या इन्हें एडजस्ट कर पाएंगे, यह बड़ा सवाल राजनीतिक गलियारे में चर्चा का विषय बना हुआ है। जितिन प्रसाद के कांगे्रस छोडक़र भाजपा में शामिल होने के बाद कांगे्रस हाईकमान फिर राजस्थान में उपजी रार को सुलझाने में जुट गया है।

अशोक गहलोत के मंत्रिमंडल में 9 पद खाली है। इन पदों पर सचिन खेमे के अलावा 18 निर्दलीय और बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए विधायकों की भी नजर है। कांग्रेस पार्टी किसी को भी नाराज करने का जोखिम नहीं उठा सकती। सूत्रों के मुताबिक सभी गुटों को संतुष्ट करना आसान नहीं और उसके लिए फार्मूला तलाशा जा रहा है। कई ऐसे विधायक भी हैं, जो 6-7 बार जीत चुके हैं। उनकी भावनाओं को ठेस ना पहुंचे, इस पर भी विचार विमर्श हो रहा है।

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सचिन का महासचिव पद से इनकार

सचिन को कांग्रेस के राष्ट्रीय संगठन में कोई बड़ा पद मिल सकता है। उनको महासचिव भी बनाया जा सकता है। हालांकि सचिन ने यह साफ कह दिया है कि सबसे पहले उनके खेमे के विधायकों के साथ हो रहा बुरा बर्ताव और अनदेखी खत्म है। ऐसा भी बताया जा रहा है कि पायलट ने संगठन में महासचिव पद लेने से इंकार कर दिया है। लेकिन कांग्रेस चाहती है कि वे दिल्ली आकर केंद्र की राजनीति में सक्रिय हों, ताकि राजस्थान सरकार का संकट टल जाए।

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अब सुलह की कमान सोनिया के हाथ

सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच चल रहे वर्चस्व के विवाद को सुलझाने की कमान अब खुद सोनिया गांधी ने अपने हाथ में ले ली है। सचिन पायलट जल्द ही कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा से भी मुलाकात करने वाले है। सूत्रों के मुताबिक सचिन पायलट 9 में से लगभग 6- 7 मंत्री पद चाहते है। सचिन चाहते हैं कि उनके विधायकों की अनदेखी ना हो और उनको राजस्थान सरकार में एडजस्ट किया जाए।