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Health Tips : सेहत का ख्याल, अध्यात्म को आत्मसात करने के पीछे की रोचक कहानी : Specials Camp

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इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर साइंटिफिक स्प्रिचुअलिज्म (IASS) मेरठ के तत्वावधान में राजसमन्द में अणुव्रत विश्व भारती में चल रहे मानस योग साधना पर आधारित तृतीय सात दिवसीय योग एवं स्वास्थ्य साधना शिविर के आज द्वितीय दिवस में मेरठ से आए हुए मुख्य प्रशिक्षक गोपाल शास्त्री ने शिविरार्थियों के प्रश्नों को लेकर उनका समाधान किया। मीडिया प्रभारी जितेन्द्र लड्ढा ने बताया कि प्रशिक्षक गोपाल शास्त्री ने रोगों के लक्षण और उसके समाधान पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया की शरीर में उठने वाले वाले अधिकांश दर्द वात जनित होते है और वात की समस्या का मुख्य कारण शरीर में अपशिष्टों का बाहर ना निकल पाना अथवा जमा हो जाना है। एनिमा और वमन आदि क्रियाओं के माध्यम से शरीर की आतंरिक सफाई कर तात्कालिक दर्द से निजात पायी जा सकती है।

सुव्यस्थित भोजन प्रणाली से शरीर होगा स्वस्थ

प्रशिक्षक गोपाल शास्त्री ने बताया कि सुव्यवस्थित आदर्श भोजन प्रणाली से शरीर को सदैव स्वस्थ रखा जा सकता है। प्रकृति की व्यवस्था को समझाते हुवे उन्होंने कहा की मानव शरीर के निर्माण के लिए प्रकृति ने बाल्यावस्था में प्रारंभिक एक वर्ष के लिए ही दूध की व्यवस्था स्वयं की है। अमेरिकी वैज्ञानिकों की एक रिसर्च का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया की माँ जिस प्रकार की मनःस्थिति से बालक को दूध पिलाती है, उसका तत्काल प्रभाव बालक पर पड़ता है। ऐसे में जब गौवंश का दूध बिना उस जीव की मनःस्थिति को जाने हम पीते है तो उसके अनेकानेक सकारात्मक अथवा नकारात्मक प्रभाव हमारे स्वास्थ्य पर पड़ना लाजमी है।

दूध पीना लाभदायक या हानिकारक

वेद मन्त्रों का उल्लेख करते हुए उन्होंने सुबह दूध पीने को स्वास्थ्य के लिए हानिकारक एवं आवश्यकता होने पर सांयकालीन दूध पीने को लाभदायक बताया। दूध पीने, दही अथवा मक्खन खाने को लेकर उन्होंने साधकों की विभिन्न शंकाओं एवं भ्रांतियों का समाधान महाभारत कालीन और वैदिक कालीन प्रसंगों से किया। भोजन की प्रकृति के बारे में फ़ैली भ्रांतियों को दूर करते हुए, उन्होंने प्रकृति की बनाई हर रचना को सर्वश्रेष्ठ एवं उपयोगी बताया तथा शास्त्रों में लिखित सूत्रों की अनेकानेक गलत व्याख्याओं पर साधकों का भ्रम भी दूर किया। शिविरार्थियो को प्रातःकालीन अल्पाहार में विभिन्न प्राकृतिक जूस, दोपहर के भोजन में सभी प्रकार के बिना पके हुए प्राकृतिक सब्जियों के सलाद, फल आदि का सेवन कराया गया।

शिविर में उपलब्ध गुणकारी औषधियां

शिविर में निरंतर सेवा दे रहे स्थानीय साधक राजेंद्र सेठिया ने बताया की इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर साइंटिफिक स्प्रिचुअलिज्म (IASS)मेरठ के विशेषज्ञ चिकित्सकों एवं साधकों की अनुभवी टीम द्वारा तैयार किया गया। जीवन विज्ञान से सम्बंधित विविध साहित्य एवं अन्य आयुर्वेदिक औषधियाँ शिविर स्थल पर उपलब्ध है। बताया कि अणुव्रत विश्व भारती, राजसमंद में सात दिन चलने वाले इस आवासीय मानस योग साधना एवं अध्यात्म विकास शिविर में 150 से अधिक शिविरार्थी अन्य स्थानों से भाग ले रहे है।

शिविर में इन्होंने किया सहयोग

आवासीय शिविर में डॉ. रजनी चौधरी, पुष्पा तोतला, बालमुकुन्द तोतला, कमल व्यास, जगदीश व्यास, सुरेश व्यास, हरी भगवान बंग, नेमीचंद पालीवाल, सुधीर व्यास, सीमा झंवर, दिनेश झंवर, भगवती प्रसाद व्यास, विजय शर्मा, जितेन्द्र लड्ढा, मोहित तोतला आदि ने शिविर संबंधी व्यवस्थाओं में सहयोग किया।

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