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वैश्विक कोरोना महामारी ने कई जिन्दगियां छीन ली है। कई बच्चों के सिर से माता पिता का साया ही उठ चुका है तो कई महिलाएं विधवा हो चुकी है। जिन्होंने अपने परिवार के सदस्यों को खोया है वे आज भी उनका गम नहीं भुला पाएं है। आज ऐसे ही एक परिवार कहानी सामने आई है। जहां एक ही परिवार के चार लोगों की कोरोना से मौत हो गई।

हम बात कर रहे है राजस्थान के जोधपुर जिले के नांदड़ी में रहने वाले इस परिवार पर दु:खों का पहाड़ ऐसा टूटा कि पहले बड़े बेटे जुगल प्रजापत फिर 32 साल के छोटे बेटे चेतन की मौत हो गई। बाद में 69 साल के बंशीलाल प्रजापत व 68 साल की कमलादेवी भी कोरोना से चल बसे। अब घर के हालात ऐसे हैं कि गुजारा करना भारी पड़ रहा है।

जुगल का निधन 24 अप्रैल को हुआ, लेकिन गत 1 मई को महज एक-एक घंटे के अंतराल में माता-पिता और पुत्र तीनों की मौत हो गई। श्मशान में एक साथ तीन कोरोना संक्रमित की बॉडी आने पर उन्हें अंतिम संस्कार की जगह नहीं मिली। जिस चिता पर पिता का दाह संस्कार हुआ। उसी पर बेटे का अंतिम संस्कार किया। मां के लिए जगह नहीं बची तो पत्थर लाकर उस पर लकडिय़ां रखकर अंतिम संस्कार किया। इधर जुगल का दाह संस्कार हो रहा था। उसी दिन छोटे भाई चेतन की तबीयत खराब हो गई थी। इसलिए वो बड़े भाई की अंतिम यात्रा भी नहीं जा सका। तबीयत खराब होने पर उसे घरवाले । अस्पताल लेकर गए, जहां एक मई को उसने अंतिम सांस ली। इधर 30 अप्रैल को दोनों के माता-पिता बंशीलाल व कमलादेवी की तबीयत खराब हुई। उन्हें 30 अप्रैल को एमजीएच में भर्ती करवाया, लेकिन एक मई को दोनों खत्म हो गए।

घर में अंतिम संस्कार के पैसे भी नहीं
प्राइवेट जॉब करने वाले चेतन और जुगल की पत्नियों के पास घरवालों के अंतिम संस्कार के पैसे भी नहीं थे। इस दौरान परिजनों और मित्रों ने चंदा करके अंतिम संस्कार की सामग्री मंगवाई। इसके बाद इन लोगों ने सोमवार को चारों की अस्थियां लेकर जुगल का 12 साल का बेटा जय अपनी बुआ नीतू के साथ हरिद्वार गया। जहां से वे मंगलवार देर शाम को जोधपुर पहुंचे।

पीछे बचे बच्चे और मृतकों की विधवा
परिवार में बंशीलाल व कमला के दुनिया चले गएए लेकिन जुगल के निधन के बाद उनकी पत्नी संतोष, 14 साल का बेटा राहुल, 11 साल की बेटी वंदना व 12 साल का बेटा जय का कोई नहीं बचा है। वहीं छोटे भाई चेतनप्रकाश की पत्नी डिंपल और 11 साल का बेटा रितेश व 7 साल की बेटी विदया बचे हैं। अब परिवार में भी इनको संबल देने वाला भी कोई नहीं। डिंपल कहती है कि किराए के मकान और बच्चों की पढ़ाई के अलावा परिवार के बिना अकेले जीवन गुजारना उनके लिए मुश्किल हो गया है।

बंशीलाल के भतीजे तुलछीराम प्रजापत का कहना है कि चेतन की मौत हुई तो तीये के दिन उसकी पत्नी डिंपल को बताया कि उसके पति की मौत हो गई है। इससे पहले उसको यही बताया गया था कि उसके सास-ससुर की डेथ हुई है। उसका पति जिंदा है। बंशीलाल की बेटी अन्नुदेवी का कहना है कि परिवार खत्म हो गया। सरकार ने कोई राहत नहीं दी। बमुश्किल परिवार व मित्रों द्वारा इनकी मदद की जा रही हैए लेकिन वो भी कितना और कब तक करेंगे। इसलिए प्रशासन भी इनकी मदद करे।

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  • Laxman Singh Rathor in jaivardhan News

    लक्ष्मणसिंह राठौड़ अनुभवी पत्रकार हैं, जिन्हें मीडिया जगत में 2 दशक से ज़्यादा का अनुभव है। 2005 में Dainik Bhaskar से अपना कॅरियर शुरू किया। फिर Rajasthan Patrika, Patrika TV, Zee News में कौशल निखारा। वर्तमान में ETV Bharat के District Reporter है। साथ ही Jaivardhan News वेब पोर्टल में Chief Editor और Jaivardhan Multimedia CMD है। jaivardhanpatrika@gmail.com

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By Laxman Singh Rathor

लक्ष्मणसिंह राठौड़ अनुभवी पत्रकार हैं, जिन्हें मीडिया जगत में 2 दशक से ज़्यादा का अनुभव है। 2005 में Dainik Bhaskar से अपना कॅरियर शुरू किया। फिर Rajasthan Patrika, Patrika TV, Zee News में कौशल निखारा। वर्तमान में ETV Bharat के District Reporter है। साथ ही Jaivardhan News वेब पोर्टल में Chief Editor और Jaivardhan Multimedia CMD है। jaivardhanpatrika@gmail.com