उत्तरप्रदेश में अयोध्या में 22 जनवरी को श्रीराम मंदिर में श्री राम की प्रतिमा के प्रतिष्ठा महोत्सव को लेकर देश व दुनियाभर से लोग उत्सुक है। इसी बीच में श्रीराम के ससुराल नेपाल में मिथिला से 500 लोग करीब 1100 टोकरियों में 5 हजार से ज्यादा उपहार लेकर पहुंच चुके हैं। उनके हाथों में उपहार की टोकरियां व हंडियां है, जिसमें वस्त्र, मेवा, फल, पकवान, चांदी के खड़ाऊ व आभूषण शामिल है।
36 वाहनों से सभी पांच सौ लोग 4 जनवरी मिथिला के जनकपुर से रवाना होकर अब अयोध्या पहुंचे। यात्रा की अगुआई जानकी मंदिर के महंत रामतपेश्वर दास कर रहे थे। यात्रा पश्चिम चंपारण, कुशीनगर, गोरखपुर होते हुए शनिवार दोपहर अयोध्या के कारसेवकपुरम पहुंची। इन लोगों ने 2 दिन में कुल 450 किलोमीटर की दूरी तय की। अयोध्या में महंत गिरीश पति त्रिपाठी ने इन लोगों का स्वागत किया। इसके बाद रामतपेश्वर दास ने राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय को उपहार सौंपे। इसके अलावा महाराष्ट्र के कल्याण से सांसद श्रीकांत शिंदे और मंत्री उदय सावंत ने चंपत राय को मंदिर निर्माण के लिए 11 करोड़ का चेक भी सौंपा।
सोने- चांदी के आभूषण और ड्राइफ्रूट भी शामिल
भगवान राम की ससुसराल यानी जनकपुर से सनेश या फिर कहे कि भार भेजा गया है। ये उपहार वधूपक्ष की ओर से भेजें गए हैं. जिसमें सभी जरूरी वस्तुओं को शामिल किया गया है.सनेश में खाने का सभी सामान और ड्राई फ्रूट शामिल है। इसके साथ भगवान के भार में चांदी के बरतन,सोने के आभूषण और तरह-तरह के गहने जेवर भेजे गए हैं। साथ ही भगवान के द्वारा अपने स्वयंवर में तोड़े गए धनुष का सांकेतिक स्वरूप भी चांदी के आकार का भेंट किया गया है। सोने की खड़ाऊं ,मिथिला का पान और मछली, हर कुछ रामलला के सनेश में लाया गया है। जनकपुर धाम नेपाल से जो लोग सनेश लेकर आए हैं।
जनकपुर की परम्परा के तहत लेकर आए है उपहार
महंत रामतपेश्वर दास ने बताया कि उपहार में से 2 हजार टोकरी अयोध्या के अन्य मंदिरों में विराजमान भगवान सीताराम को भोग के लिए अर्पित जाएंगी। इसके बाद हमारी यात्रा जनकपुर लौट जाएगी। ये उपहार जनकपुर की परंपरा के अनुसार अयोध्या लाए गए हैं। वहां परंपरा है कि बेटी की गृहस्थी बसाने के लिए मायके से नेग भेजा जाता है। इस प्राचीन परंपरा और भारत-नेपाल के त्रेतायुगीन रिश्तों की डोर को और मजबूत करने के लिए यह उपहार लाए गए हैं।
Gifts came from Shri Ram’s in-laws in Ayodhya, 500 people brought 5 thousand gifts in 1100 baskets.
नेपाल की 16 नदियों के जल से होगा अभिषेक
नेपाल की 16 नदियों का पवित्र जल राम लला के अभिषेक के लिए 31 दिसंबर को अयोध्या लाया था। इसी जल से प्राण प्रतिष्ठा में राम लला का अभिषेक होगा। जल को पवित्र यज्ञ शाला में रखा गया है। 30 जनवरी 2023 को नेपाल के पोखरा से 2 शालिग्राम शिलाएं अयोध्या लाई गई थीं। इन शिलाओं से राम लला की मूर्ति बनाने का दावा किया गया था। यह शिलाएं अभी रामसेवकपुरम में भक्तों के दर्शन के लिए रखी हुई हैं।
11 करोड़ का चेक सौंपा
अयोध्या में श्रीराम मंदिर में 11 करोड़ का चेक सौंपा। फिर मंत्री श्रीकांत शिंदे ने कहा कि यह राशि एक छोटा सा सहयोग है, जिसे महाराष्ट्र की जनता और शिव सैनिकों की तरफ से रामलला को भेंट किया है। शिवसैनिकों को खुशी है कि इतनी लंबी लड़ाई के बाद भगवान राम लला अपने मंदिर में विराजमान हो रहे हैं।
क्या होता है सनेश?
अमूमन वधू पक्ष की ओर से वर पक्ष को जो भी उपहार भेजा जाता है, उसे सनेश या भार कहते हैं। इसमें जरूरत के सभी सामान शामिल होते हैं। जनकपुर से आए सनेश में खाने का सभी सामान और ड्राई फ्रूट शामिल है। साथ ही, भगवान के भार में चांदी के बर्तन, सोने के आभूषण और तरह-तरह के गहने जेवर भेजे गए हैं।
चंपत राय- यह त्रेता युग का चला आ रहा संबंध
नेपाल से आए लोगों का कहना है, ‘यह हमारा सौभाग्य है कि आज हमारे दामाद राजा की जन्मभूमि का निर्माण हो रहा है। 22 जनवरी को वह अपने सिंहासन पर विराजमान होंगे। आज कारसेवकपुरम में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय (Champat Rai) ने उपहार को स्वीकार किया। उन्होंने कहा, ‘नेपाल और भारत का संबंध आत्मा से है। यह त्रेता युग का चला आ रहा संबंध प्राचीनता के साथ ऐतिहासिकता को प्रदर्शित करने वाला है।’
यह भेंट प्राप्त करना अति सौभाग्य की बात
इस दौरान पूर्व राष्ट्रीय संयोजक प्रकाश शर्मा विहिप नेता राजेंद्र सिंह,शरद शर्मा, धनंजय पाठक, नेपाल से आये महंत रामरोशन दास वैष्णव, नगर निगम के प्रमुख मनोज शाह,विश्व हिंदू परिषद अध्यक्ष संतोष शाह, परमेश्वर शाह,अजय गुप्ता, मनीष रमन शाह लक्ष्मण शाह, मधु शाह ,रेखा गुप्ता आदि सम्मिलित हुए।