पांच सौ वर्षों के इंतजार के बाद अपनी ही जन्मभूमि पर विराजने के लिए श्री राम का इंतजार लगभग खत्म हो चुका है, राम का जीवन इंसानों को भी बहुत कुछ सीखाता है। भगवान राम का जीवन वास्तव में इंसानों को कठिन वक्त में जीवन को सशक्त बनाने की ही एक प्रतिमूर्ति लेकर अवतरित हुआ है।

राम का जब राजतिलक होने ही वाला था कि ऐन वक्त पर माता केकई की आज्ञा से चौदह वर्ष के वनवास के लिए श्री राम निकल पड़ते हैं। इसी बीच माता सीता का रावण द्वारा हरण उस दुःख को और भी बढ़ा कर रख देता हैं, इसी बीच भगवान श्री राम को हनुमानजी मिलते हैं और उनकी सहायता से लंका पहुंचकर रावण का वध करते हैं और वापस सीताजी के साथ अयोध्या आते हैं। लंका से आने के बाद उनका राजतिलक करके श्री राम को अयोध्या का राजा बना दिया जाता है और तभी राम राज्य की स्थापना पूरे भारतवर्ष में होती है । राजाराम कुछ वर्षों के बाद बैकुंठ धाम सिधार जाते हैं और उनका अयोध्या में ही जो निवास था, उसको मंदिर के रूप में उनकी मूर्ति को भक्तों के लिए दर्शनार्थ रख दिया जाता है, जहां पर भगवान राम की पूजा अर्चना और भक्तों के दर्शन के लिए रामलाल सदैव भारत के लोगों के आराध्य के रूप में आशीर्वाद देते रहते हैं।

लेकिन पांच सौ वर्षों पूर्व आक्रांता बाबर ने उनके मंदिर को ध्वस्त करके मंदिर को मस्जिद में तब्दील कर देता है, तभी से सनातन धर्म के लोग आराध्य श्री राम लला को उनके निज मंदिर में वापस स्थापित करने के लिए धर्म युद्ध लड़ते रहते हैं। इस धर्म युद्ध में कई ऋषि, मुनि और नर, नारियों ने अपने प्राणों को न्यौछावर करने में भी कोई कसर बाकी नहीं रखी, लेकिन इस धर्म युद्ध का सफर बहुत लंबा चलता रहा। मुगलों के शासन के बाद अंग्रेजों का शासन आया, फिर भारत अंग्रेजों से भी मुक्त हुआ, लेकिन आजाद भारत के बाद भी राजनीति के बीच अयोध्या का राम मंदिर का विवाद सुलझाया न जा सका, लेकिन श्री राम का यह वनवास चौदह वर्षों से अधिक था, लेकिन राम जी ने अपने जीवन काल में जितना धीरज रखा, उतना ही धैर्य इस में भी रखा और अंत में जीत श्री राम की ही हुई। उनके अनुयायियों और धर्म की हुई।

राम हमारे आराध्य है, इनसे हमें यही सीखने को मिलता है कि हमें अपने माता-पिता की आज्ञा का पालन करना चाहिए, उसके लिए चाहे कितना ही कठोर वनवास ही क्यों ना भुगतना पड़े। धर्म की रक्षा के लिए अगर शस्त्र भी उठाना पड़े तो उसमें कोई संकोच नहीं रखना चाहिए, हनुमान जैसे मित्रों को सदा अपने पास रखना चाहिए, छोटे भाई भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न जैसे होना चाहिए, जो सदैव अपने बड़े भाई के साथ हमेशा उनके साथ खड़े रहे, उनकी आज्ञा का पालन करते रहे, माता सीता जैसी सोच हर पत्नी की होनी चाहिए, जो अपने पति के लिए सुख दुःख में हमेशा साथ रहे और हर पुरुष को राम जैसा होना चाहिए, जो अपनी पत्नी के लिए पूरी राक्षस जाति का संहार करने में किसी भी हद तक गुजर सके। अपने माता-पिता की आज्ञा का पालन करते हुए वनवास को भी हंसते-हंसते निकल पड़े, दिल से चाहने वालों के लिए शबरी के झूठे बैर भी बहुत ही आनंद से खा सके, राजाराम जैसा बनना मुश्किल है, लेकिन नामुमकिन भी नहीं ।

आज हमारे आराध्य देव श्री राम का अयोध्या में एक बहुत ही बड़ा मंदिर बन चुका है, उसमें प्रभु श्री राम 22 जनवरी 2024 को विराज गये हैं। यह दिन हर एक सनातनी के लिए ऐतिहासिक दिन होगा। यकीनन युगों युगों तक इस दिन की महिमा का गुणगान पूरे विश्व में होता रहेगा और प्रतीक होगा, अधर्म पर धर्म की विजय का ।

॥ जय श्री राम ॥

राहुल दीक्षित RD
काव्य गोष्ठी मंची, राजसमंद
मो. 94610-16726