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Mumps virus : राजस्थान में कोरोना वायरस के बाद एक नया वायरस मंप्स तेजी से फैल रहा है। इस वायरस के संक्रमण से 6 मरीज बहरे हो गए है व कई मरीजों के सुनने की क्षमता कम हो गई है। इस वायरस की चाैंकाने वाली बात सामने आई है कि इस वायरस का प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में टीका ही उपलब्ध नहीं है।

खांसने और छींकने से फैलने वाली इस संक्रामक बीमारी के मामलों में भारी वृद्धि देखी जा रही है। पहले पूरे साल में जितने मामले आते थे, उतने अब रोजाना आ रहे हैं। जयपुर के एसएमएस हॉस्पिटल, जेके लोन हॉस्पिटल और निजी हॉस्पिटल में मम्प्स के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। यह स्थिति चिंताजनक है, खासकर बच्चों के लिए, जो इस बीमारी से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। मम्प्स के लक्षणों में तेज बुखार, कान के आसपास सूजन और तेज दर्द शामिल हैं। यह बीमारी मस्तिष्क, गुर्दे और हृदय को भी प्रभावित कर सकती है।टीकाकरण मम्प्स से बचाव का सबसे महत्वपूर्ण तरीका है। यह दुखद है कि सरकारी अस्पतालों में टीके की कमी है, जिससे लोगों को निजी अस्पतालों में जाकर टीका लगवाना पड़ रहा है, जो महंगा हो सकता है।

Mumps virus : बच्चों के लिए गंभीर बीमारी

मंप्स एक संक्रामक बीमारी है जो खांसने और छींकने से एक से दूसरे व्यक्ति में फैलती है। यह बच्चों में गंभीर बीमारी हो सकती है क्योंकि:

  • गंभीर जटिलताएं: कुछ मामलों में, मंप्स वायरस मस्तिष्क, गुर्दे और हृदय को प्रभावित कर सकता है। मस्तिष्क में सूजन (एन्सेफलाइटिस) एक गंभीर जटिलता है जो स्थायी तंत्रिका क्षति या मृत्यु का कारण बन सकती है।
  • गर्भवती महिलाओं के लिए खतरा: यदि गर्भवती महिला मंप्स से संक्रमित होती है, तो इससे गर्भपात या जन्मजात विकार हो सकते हैं।
  • टीकाकरण की आवश्यकता: मंप्स से बचाव के लिए टीकाकरण सबसे प्रभावी तरीका है। भारत में, मंप्स वैक्सीन बच्चों को MMR वैक्सीन के रूप में 12-18 महीने की उम्र में दी जाती है।

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Mumps के लक्षण

मम्प्स एक संक्रामक बीमारी है जो लार ग्रंथियों को सूजन का कारण बनती है। यह एक वायरस के कारण होता है जो खांसने और छींकने से फैलता है। मम्प्स के लक्षण हैं:

  • बुखार
  • सिरदर्द
  • मांसपेशियों में दर्द
  • थकान
  • भूख कम लगना
  • कान में दर्द
  • गले में खराश
  • सूजे हुए गाल (कण्ठमाला ग्रंथियां)

सूजे हुए गाल (कण्ठमाला ग्रंथियां) मम्प्स का सबसे विशिष्ट लक्षण है। कण्ठमाला ग्रंथियां लार ग्रंथियां हैं जो कान के ठीक नीचे स्थित होती हैं। जब वे सूज जाते हैं, तो यह चेहरे के एक या दोनों तरफ सूजन का कारण बन सकता है। कण्ठमाला के अन्य लक्षण आमतौर पर सूजी हुई ग्रंथियों से पहले दिखाई देते हैं। बुखार आमतौर पर 103 डिग्री फ़ारेनहाइट (39.4 डिग्री सेल्सियस) तक होता है और 1-3 दिनों तक रहता है। सिरदर्द, थकान और मांसपेशियों में दर्द आमतौर पर 1-2 दिनों तक रहता है। भूख न लगना, कान में दर्द और गले में खराश आमतौर पर 1-2 दिनों तक रहता है। कण्ठमाला आमतौर पर 2 सप्ताह के भीतर अपने आप ठीक हो जाती है। हालांकि, कुछ लोगों में, यह एन्सेफलाइटिस (मस्तिष्क की सूजन), मेनिन्जाइटिस (मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के आसपास की झिल्लियों की सूजन), ऑर्काइटिस (अंडकोष की सूजन), या ओओफोराइटिस (अंडाशय की सूजन) जैसी जटिलताएं पैदा कर सकता है।

कई जिलों में Mumps का खतरा

राजस्थान के कई जिलों में मंप्स (कण्ठमाला) के मामलों में तेजी से वृद्धि देखी जा रही है। बीकानेर, कोटा, सवाईमाधोपुर, अजमेर और सीकर जैसे जिलों में मरीज मिल रहे हैं। जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल के ईएनटी विभाग के वरिष्ठ आचार्य डॉक्टर मोहनीश ग्रोवर के अनुसार, मंप्स का सीजन इस समय चल रहा है और इसका प्रभाव अप्रैल तक रह सकता है। जयपुर में भी सभी उम्र के लोग इस संक्रामक बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। डॉक्टर ग्रोवर ने बताया कि मंप्स के मामलों में यह वृद्धि चिंता का विषय है। पहले, एसएमएस अस्पताल में हर दो से तीन महीने में एक या दो मरीज मंप्स के इलाज के लिए आते थे। लेकिन अब, हर महीने 40 से 50 मरीज आ रहे हैं। बच्चों में मंप्स के मामलों की संख्या और भी ज्यादा है। मंप्स एक वायरल संक्रमण है जो लार और नाक के श्लेष्मा के माध्यम से फैलता है। इसके लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, थकान, मांसपेशियों में दर्द, और कान के पीछे सूजन शामिल हैं। गंभीर मामलों में, मंप्स अंडाशय, अंडकोष, मस्तिष्क और अग्न्याशय को भी प्रभावित कर सकता है। डॉक्टर ग्रोवर ने लोगों से मंप्स से बचाव के लिए टीकाकरण करवाने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि 12 महीने से 12 साल तक के बच्चों को दो खुराकें और 13 साल से 18 साल तक के किशोरों को एक खुराक मंप्स के टीके की दी जाती है।

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बड़े भी Mumps का शिकार

मंप्स, जिसे कण्ठमाला के नाम से भी जाना जाता है, एक वायरल बीमारी है जो बच्चों को प्रभावित करती है। लेकिन हाल ही में, यह देखा गया है कि बड़े भी इस बीमारी का शिकार हो रहे हैं। निजी अस्पताल के वरिष्ठ ईएनटी विशेषज्ञ डॉक्टर शुभकाम आर्य ने बताया कि पिछले कुछ समय से उनके पास मंप्स के मरीजों की संख्या में वृद्धि हुई है। वे रोजाना दो से तीन मरीज देख रहे हैं, जो पिछले साल की तुलना में बहुत अधिक है। डॉक्टर आर्य का मानना ​​है कि वायरस में बदलाव या रोग के दोबारा पनपने के कारण यह वृद्धि हो सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में मंप्स के टीके को शामिल किया जाना चाहिए। मंप्स के टीके की कमी के कारण, बड़े भी इस बीमारी का शिकार हो रहे हैं। डॉक्टर आर्य ने बताया कि इस साल मंप्स के मामलों में काफी वृद्धि हुई है, और पिछले कुछ महीनों में उनके पास ही दो से तीन मामले आ चुके हैं।

Mumps होने पर बरतें सावधानी

मंप्स एक संक्रामक बीमारी है, इसलिए मरीज को सावधानी बरतनी चाहिए।

यहां कुछ सावधानियां दी गई हैं:

  • मास्क पहनें: संक्रमित व्यक्ति को खांसते या छींकते समय दूसरों को संक्रमित होने से बचाने के लिए मास्क पहनना चाहिए।
  • आइसोलेट करें: संक्रमित व्यक्ति को अन्य लोगों से अलग रखें, खासकर बच्चों से।
  • बच्चों को दूर रखें: यदि बच्चा संक्रमित है, तो उसे अन्य बच्चों से दूर रखें।
  • कपड़े और बर्तन शेयर न करें: मरीज के कपड़े, रुमाल और बर्तन दूसरों के साथ शेयर न करें।
  • हाथ धोएं: नियमित रूप से साबुन और पानी से हाथ धोएं।
  • टीकाकरण: यदि बच्चा संक्रमित है, तो उसे एमएमआर (मीजल्स, मंप्स, रूबेला) का टीका लगवाएं।

समय पर टीकाकरण ही है Mumps से बचाव

डॉक्टरों का कहना है कि मंप्स बीमारी का टीका उपलब्ध है। बच्चों को नौ महीने की उम्र में पहला टीका लगाना चाहिए। निर्धारित अंतराल पर इसकी दो खुराक दी जाती हैं। बच्चों को मीजल्स, मंप्स और रूबेला (एमएमआर) का टीका लगाया जाता है। यह इस बीमारी से बचाता है। यह टीका अभी निजी अस्पतालों में भी उपलब्ध है।