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Strange tradition : हमारे देश में हर समाज में अलग-अलग रीति रिवाज के बारे में तो आपने सुना ही होगा। यह अब एक आम बात हो गई है कि अलग-अलग समुदाय में उनके रीति रवाज होते है। लेकिन एक ऐसा समुदाय है जहां सुहागिन महिलाओं को उनके पति के जिंदा रहते हुए भी उनको विधवा का भेष धारण करना पड़ता है। इस समुदाय की महिलाओं द्वारा शादीशुदा होने के बावजूद निभाए जाने वाले ऐसे रिवाज को जानकर आप आश्चर्यचकित रह जाएंगे।

Indian culture and tradition : एक शादीशुदा औरत के लिए हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार सोलह श्रृंगार की वस्तुएं बहुत महत्व रखती हैं। विवाह के बाद स्त्रियों के सुहागिन होने का प्रतीक मानी जाती हैं। हिंदू धर्म में तरह-तरह की परंपरा और रीति-रिवाज निभाए जाते हैं। महिलाएं अपने पति के सकुशल जीवन और दीर्घायु के लिए बहुत से व्रत उपवास करके देवी-देवताओं से प्रार्थना करती हैं। एक ऐसा समुदाय भी है जहां पति के जीवित होने के बावजूद भी हर वर्ष महिलाओं को कुछ ही समय के लिए विधवाओं की तरह भेष धारण करना पड़ता है। आपको जानकर हैरानी होगी लेकिन ऐसा अजीब सा रिवाज गछवाहा समुदाय में निभाया जाता है। इस समुदाय में काफी समय पहले से इस रिवाज को निभाया जा रहा है। ऐसा कहा जाता है कि अपने पति की सलामती के लिए यहां की महिलाएं ऐसा करती हैं।

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Kerala culture and tradition : इस परंपरा की अनोखा राज

indian tradition : मुख्य रूप से पूर्वी उत्तर प्रदेश में निवास करने वाले कछवाहा समुदाय के लोगों में आदमी साल में लगभग 5 महीने तक पेड़ों से ताड़ी उतारने का काम करते हैं। जो कि एक तरह का पेय पदार्थ होता है। यह ताड़ के पेड़ जिनसे ताड़ी नामक पेय पदार्थ निकाला जाता है वह काफी ऊंचे-ऊंचे होते हैं। और जरा सी भी गलती एक बड़ी दुर्घटना बन सकती है। इसी वजह से यहां की महिलाएं जब उनके पति पेड़ से ताड़ी उतारते हैं, तो वह अपना सारा श्रृंगार निकाल कर अपनी कुलदेवी के सामने अर्पित कर देती हैं। तरकुलहा देवी की कुलदेवी के रूप में गछवाहा समुदाय में पूजा की जाती है। जब महिलाओं के प्रति पेड़ पर चढ़े हुए होते हैं तो वह अपने बिंदी सिंदूर चूड़ियां और बाकी का सारा श्रृंगार निकाल कर रख देती हैं। यहां तक की उस दौरान उनके चेहरे पर भी मायूसी छाई रहती है। इस रिवाज को निभा कर वहां की महिलाएं देवी से अपने पति के सकुशल वापस लौटने की प्रार्थना करती हैं।