Atul Subhash Suicide Story : देश में के बेंगलुरु में AI इंजीनियर अतुल सुभाष के आत्महत्या की एक घटना ने पूरे देश के सिस्टम व कानूनों पर बड़े सवाल खड़े कर डाले हैं। इंजीनियर अतुल सुभाष ने आत्महत्या से पहले करीब 1 घंटा 20 मिनट का वीडियो जारी किया। उसके बाद अखबार, टीवी व सोशल मीडिया तक पर भी Atul Subhash Suicide के बाद कानूनों को लेकर तीखी प्रतिक्रिया चल रही है। अतुल सुभाष खुदकुशी मामले में फिलहाल उसकी पत्नी निकिता सिंघानिया, सास निशा सिंघानिया, साला अनुराग सिंघानिया वच चाचा ससुर सुशील सिंघानिया के खिलाफ Police FIR दर्ज हुई है। अतुल के भाई बिकास कुमार ने बेंगलुरु के मराठाहल्ली पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट दी। पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 108 (आत्महत्या के लिए उकसाना), धारा 3(5) (जब दो या ज्यादा लोग शामिल हों तो सामूहिक जिम्मेदारी बनती है) के तहत प्रकरण दर्ज करते हुए सभी पहलुओं पर गहन जांच शुरू कर दी है।
उल्लेखनीय है कि अतुल ने 1 घंटे 20 मिनट का वीडियो सोशल मीडिया के जरिए जारी किया। इसमें अपनी आपबीती बताते हुए मांग उठाई है कि अगर उन्हें प्रताड़ित करने वाले बरी हो जाएं तो अस्थियां कोर्ट के बाहर गटर में बहा दी जाएं। अतुल ने उत्तर प्रदेश के जौनपुर की एक न्यायाधीश पर भी गंभीर आरोप लगाए। सुसाइड पत्र में लिखा है कि न्यायाधीश ने मामले को रफा-दफा करने की एवज में 5 लाख रुपए मांगे। अतुल ने लिखा कि उनकी पत्नी व सास ने उन्हें सुसाइड करने को कहा था और इस पर उक्त न्यायाधीश हंस पड़ी थीं। मूलत: बिहार के अतुल सुभाष का शव बेंगलुरु के मंजूनाथ लेआउट में उनके फ्लैट से बरामद हुआ। पड़ोसियों ने उनके घर का दरवाजा तोड़ा तो उनकी बॉडी फंदे पर लटकी मिली। कमरे में ‘जस्टिस इज ड्यू’ (न्याय बाकी है) लिखी एक तख्ती मिली। अतुल के परिवार की शिकायत पर पुलिस ने अतुल की पत्नी व पत्नी के परिवार पर आत्महत्या के लिए उकसाने का केस दर्ज किया।
Suicide Note in Atul : अतुल ने राष्ट्रपति के नाम लिखा पत्र
Suicide Note in Atul : सुसाइड से पहले अतुल सुभाष ने 24 पेज के पत्र में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के नाम भी संदेश लिखा। अतुल ने देश के क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम की खामियों के बारे में लिखा और पुरुषों के खिलाफ झूठे केस दर्ज कराने के ट्रेंड के बारे में बताया। एक अन्य नोट में लिखा कि वे अपनी पत्नी की तरफ से दायर कराए गए सभी मामलों के लिए खुद को निर्दोष बता रहे हैं। इनमें दहेज प्रतिरोध कानून और महिलाओं के खिलाफ अत्याचार का केस शामिल हैं। उन्होंने कहा कि मैं कोर्ट से रिक्वेस्ट करता हूं कि इन झूठे केसों में मेरे माता-पिता व भाई को परेशान करना बंद करें।
Question on dowry harassment law : अतुल की जुबानी पूरी कहानी
Question on dowry harassment law : सुसाइड से पहले रिकॉर्ड किए वीडियो में अतुल ने पूरे मामले पर विस्तार से जानकारी। अतुल द्वारा जारी वीडियो में कहा कि उन्होंने 2019 में एक मैट्रिमोनी साइट से मैच मिलने के बाद शादी की थी। अगले साल उन्हें एक बेटा हुआ। उनकी पत्नी व पत्नी का परिवार उनसे हमेशा पैसों की डिमांड करता रहता था, जो वो पूरी भी करते थे। उन्होंने लाखों रुपए अपनी पत्नी के परिवार को दिए, लेकिन जब उन्होंने और पैसे देना बंद कर दिया तो पत्नी 2021 में उनके बेटे को लेकर बेंगलुरु छोड़ चली गई। अतुल ने कहा कि मैं उसे हर महीने 40 हजार रुपए मेंटेनेंस देता हूं, लेकिन अब वो बच्चे को पालने के लिए खर्च के तौर पर 2-4 लाख रुपए महीने की डिमांड कर रही है। मेरी पत्नी मुझे मेरे बेटे से न तो मिलने देती है और न कभी बात कराती है। पूजा या कोई शादी हो, निकिता हर बार कम से कम 6 साड़ी और एक गोल्ड सेट मांगती थी। मैंने अपनी सास को 20 लाख रु. से ज्यादा दिए, लेकिन उन्होंने कभी नहीं लौटाए। अगले साल पत्नी ने उनके व उनके परिवार के लोगों के खिलाफ कई मामले दर्ज कराए। इनमें मर्डर व अप्राकृतिक सेक्स का केस भी शामिल था। अतुल ने कहा कि उनकी पत्नी ने आरोप लगाया कि उन्होंने 10 लाख रुपए दहेज मांगा था, जिसके चलते उसके पिता का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। अतुल ने कहा कि यह आरोप किसी फिल्म की खराब कहानी जैसा है, क्योंकि मेरी पत्नी पहले ही कोर्ट में सवाल- जवाब में इस बात को स्वीकार कर चुकी है कि उसके पिता लंबे समय से गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे और पिछले 10 साल से दिल की बीमारियों व डायबिटीज के लिए AIIMS में उनका इलाज चल रहा था। डॉक्टरों ने उन्हें जीने के लिए कुछ महीने का समय दिया था, तभी हमने जल्दबाजी में शादी की थी।अतुल ने कहा कि मेरी पत्नी ने यह केस सेटल करने के लिए पहले 1 करोड़ रुपए की डिमांड की थी, लेकिन बाद में इसे बढ़ाकर 3 करोड़ रुपए कर दिया। अतुल ने कहा कि जब इस 3 करोड़ रुपए की डिमांड के बारे में उन्होंने जौनपुर की फैमिली कोर्ट की जज को बताया तो उन्होंने भी पत्नी का साथ दिया। अतुल ने कहा कि मैंने जज को बताया कि NCRB की रिपोर्ट बताती है कि देश में बहुत सारे पुरुष झूठे केस की वजह से आत्महत्या कर रहे हैं, तो पत्नी ने बीच में कहा कि तुम भी आत्महत्या क्यों नहीं कर लेते हो। इस बात पर जज हंस पड़ी और कहा कि ये केस झूठे ही होते हैं, तुम परिवार के बारे में सोचो और केस को सेटल करो। मैं केस सेटल करने के 5 लाख रुपए लूंगी। अतुल ने बताया कि जब इस मामले को लेकर उसने सास से बात की, तो सास ने कहा कि तुमने अभी तक सुसाइड नहीं किया, मुझे लगा आज तुम्हारे सुसाइड की खबर आएगी। इस पर अतुल ने उन्हें जवाब दिया कि मैं मर गया तो तुम लोगों की पार्टी कैसे चलेगी।
उसकी सास ने जवाब दिया कि तुम्हारा बाप पैसे देगा। पति के मरने के बाद सब पत्नी का होता है। तुम्हारे मां-बाप भी जल्दी मर जाएंगे। उसमें भी बहू का हिस्सा होता है। पूरी जिंदगी तेरा पूरा खानदान कोर्ट के चक्कर काटेगा। अतुल ने कहा कि मुझे लगता है कि मेरे लिए मर जाना ही बेहतर होगा, क्योंकि जो पैसे मैं कमा रहा हूं उससे मैं अपने ही दुश्मन को बलवान बना रहा हूं। मेरा कमाया हुआ पैसा मुझे ही बर्बाद करने में लग रहा है। मेरे ही टैक्स के पैसे से ये अदालत, ये पुलिस और पूरा सिस्टम मुझे और मेरे परिवार और मेरे जैसे और भी लोगों को परेशान करेगा। मैं ही नहीं रहूंगा तो न तो पैसा होगा और न ही मेरे मां-बाप और भाई को परेशान करने की कोई वजह होगी। अतुल ने यह भी कहा कि मेरी आखिरी ख्वाहिश ये है कि मेरे बेटे को मेरे माता-पिता को दे दिया जाए। मेरी पत्नी के पास कोई वैल्यू नहीं है, जो वो मेरे बेटे को दे पाए। यहां तक कि वो तो उसे पालने में सक्षम भी नहीं है। इसके अलावा मेरी पत्नी को मेरे मृत शरीर के पास भी न आने दिया जाए। मेरी अस्थियों का विसर्जन भी तब हो, जब मुझे इस केस में न्याय मिले। नहीं, तो मेरी अस्थियों को गटर में बहा दिया जाए। अतुल ने वीडियो में आखिरी इच्छा बताई कि मेरे केस की सुनवाई का लाइव टेलीकास्ट हो। पत्नी मेरा शव न छू सके। जब तक प्रताड़ित करने वालों को सजा न हो, मेरी अस्थियां विसर्जित न हों। यदि भ्रष्ट न्यायाधीश, मेरी पत्नी और उसके परिजन को कोर्ट बरी कर दे तो मेरी अस्थियां उसी अदालत के बाहर किसी गटर में बहा दी जाएं। मेरे बेटे की कस्टडी मेरे माता-पिता को दी जाए।
देखिए अतुल सुभाष के सुसाइड नोट के कुछ अंश
Supreme Court on Domestic Violence : सुप्रीम कोर्ट जता चुका चिंता
Supreme Court on Domestic Violence : वैवाहिक मतभेदों से पैदा हुए घरेलू विवादों में पति व उसके घर वालों को IPC धारा 498-A में फंसाने की बढ़ती प्रवृत्ति पर सुप्रीम कोर्ट पहले ही गंभीर चिंता जता चुका है। जस्टिस बीवी नागरत्ना व जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने 10 दिसंबर 2024 को ही एक मामला खारिज करते हुए कहा था कि धारा 498-A (घरेलू प्रताड़ना) पत्नी व उसके परिजनों के लिए हिसाब बराबर करने का हथियार बन गई है। शीर्ष कोर्ट ने यह टिप्पणी तेलंगाना से जुड़े एक मामले में की। दरअसल, एक पति ने पत्नी से तलाक मांगा था। इसके खिलाफ पत्नी ने पति और ससुराल वालों के खिलाफ घरेलू क्रूरता का केस दर्ज करा दिया। पति इसके खिलाफ तेलंगाना हाईकोर्ट गया, लेकिन कोर्ट ने उसके खिलाफ दर्ज केस रद्द करने से इनकार कर दिया। इसके बाद पति ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली। शीर्ष अदालत ने विस्तृत सुनवाई के बाद कहा कि हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के खिलाफ दर्ज केस रद्द न करके गंभीर गलती की है। फिर कोर्ट ने केस रद्द कर दिया। पिछले महीने भी शीर्ष अदालत ने सभी अदालतों को चेतावनी दी थी कि वे यह सुनिश्चित करें कि घरेलू क्रूरता (डोमेस्टिक वॉयलेंस) के मामलों में पति के दूर के रिश्तेदारों को अनावश्यक रूप से न फंसाया जाए।
Supreme Court Order : मृतक अतुल के पिता व भाई क्या बोले
Supreme Court Order : सुसाइड करने वाले अतुल के पिता पवन कुमार ने बताया कि अतुल कहता था कि सुलह कराने वाले कोर्ट में कानून के मुताबिक काम नहीं होता है। सुप्रीम कोर्ट के नियम भी यहां नहीं माने जाते हैं। उसे बेंगलुरु से 40 बार जौनपुर जाना पड़ा था। उसकी पत्नी उस पर एक के बाद एक केस दर्ज कराती गई। वह बहुत थक था, लेकिन उसने परिवार को कभी कुछ नहीं बताया। अचानक हमें उसके सुसाइड की खबर मिली। उसने हमारे छोटे बेटे को रात 1 बजे ई मेल भेजा। मेरे बेटे ने अपनी पत्नी व उसके परिवार पर जो आरोप लगाए हैं, वो सब सच हैं। अतुल के भाई बिकास कुमार ने कहा कि मेरे भाई से अलग होने के 8 महीने बाद उसकी पत्नी ने डिवोर्स का केस दर्ज कराया। मेरे भाई व हमारे पूरे परिवार के खिलाफ अलग अलग कानूनों व धाराओं में केस दर्ज कराए। इस देश का हर कानून महिलाओं के लिए है, पुरुषों के लिए कोई कानून नहीं है। मेरे भाई ने इसी के खिलाफ लड़ाई लड़ी, लेकिन वह हमें छोड़कर चला गया। उसने अपने सुसाइड नोट में लिखा कि अगर मैं सिस्टम से जीतता हूं तभी मेरी अस्थियों को गंगा में विसर्जित किया जाए, वरना उन्हें कोर्ट के बाहर गटर में बहा दिया जाए। मेरे भाई ने अपनी पत्नी के लिए सब कुछ किया। अगर उसने एक बार भी हमसे बात की होती तो हम इस परिस्थिति से बाहर आने में उसकी मदद करते। मैं भारत सरकार और राष्ट्रपति से अपील करना चाहता हूं कि अगर मेरा भाई सच के साथ है तो उसे न्याय मिलना चाहिए, नहीं तो मुझे इस बात का सबूत दिया जाए कि वो गलत था। मेरे भाई ने जिस जज का नाम अपने सुसाइड नोट में लिखा है, उसकी भी अच्छे से जांच की जानी चाहिए।
कानूनों पर पहले भी कई बार उठ चुके हैं सवाल
देश में अभी अतुल सुभाष का मामला अकेला नहीं हैं। हमारे देश के कानूनों पर पहले भी कई सवाल खडे़ हो चुके हैं। घरेलू हिंसा व क्रूरता से जुड़े कानून अक्सर पुरुषों पर लाद दिए जाते हैं। इसी साल सितंबर में सुप्रीम कोर्ट ने घरेलू हिंसा कानून और धारा 498A को सबसे ज्यादा ‘दुरुपयोग’ किए जाने वाले कानूनों में से एक बताया था। तब जस्टिस बीआर गवई ने कहा था कि ‘नागपुर में मैंने एक ऐसा मामला देखा था, जिसमें एक लड़का अमेरिका गया था और उसे शादी किए बिना ही 50 लाख रुपए देने पड़े थे। वो एक दिन भी साथ नहीं रहा था। मैं खुले तौर पर कहता हूं कि घरेलू हिंसा और धारा 498A का सबसे ज्यादा दुरुपयोग किया जाता है।
Domestic Violence Laws : कई अदालतें भी उठा चुकी है सवाल
Domestic Violence Laws : जुलाई 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने 498A का दुरुपयोग रोकने के लिए तुरंत गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी। तब सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि जांच पड़ताल के बाद ही पुलिस गिरफ्तारी की कार्रवाई कर सकती है। 2022 में भी सुप्रीम कोर्ट ने इसे लेकर कुछ निर्देश जारी किए थे। तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर किसी महिला के साथ क्रूरता हुई, तो उसे क्रूरता करने वाले व्यक्तियों के बारे में भी बताना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पीड़ित महिला को साफ बताना होगा कि किस समय व किस दिन उसके साथ पति व उसके ससुराल वालों ने किस तरह की क्रूरता की। केवल यह कह देने से कि उसके साथ क्रूरता हुई है, इससे धारा 498A का मामला नहीं बनता है। पिछले साल जुलाई 2023 में झारखंड हाईकोर्ट ने कहा था कि धारा 498A को शादीशुदा महिलाओं को उनके पति व ससुराल वालों की क्रूरता से बचाने के लिए लाया गया था, लेकिन अब इसका दुरुपयोग किया जा रहा है।