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नंदसमंद बांध में पानी की आवक जारी

इस वर्ष राजसमंद जिले में औसत से कम बारिश हुई। बारिश कम होने से इस वर्ष किसानों को फसलों की काफ ज्यादा नुकसान हुआ। साथ ही जिले के कई बांध और प्रमुख तालाब अब भी खाली पड़े है। इधर बाघरीे नाका बांध (Dam) छलकने के बाद इसका पानी नंदसमंद में पहुंच रहा।

राजसमंद जिले के जिले के 292 गांवों को पानी की सप्लाई करने वाले बाघेरी नाका से हो रहीं आवक से लगातार धीरे-धीरे जिले के सबसे बड़े बांध नंदसमंद का जल स्तर बढ़ रहा है। प्रदेश के साथ-साथ जिले से भी मानसून लौट चुका है। नंदसमंद बांध का जल स्तर 10.25 फिट हो गया है।

नाथद्वारा और राजसमंद मुख्यालय पर 10 साल की औसत बारिश की तुलना में इस साल ज्यादा बारिश दर्ज की गई। नाथद्वारा में गत 10 साल का औसत 714 एमएम है। इसकी तुलना में इस साल 723 एमएम बारिश हुई। नाथद्वारा में 10 साल के औसत से इस साल 9 एमएम बारिश आधिक हुई। इसी तरह राजसमंद मुख्यालय पर 10 साल का औसत 709 एमएएम है। इसकी तुलना में 802 एमएम बारिश इस साल ज्यादा हुई। राजसमंद मुख्यालय पर 10 साल के औसत की तुलना में 93 एमएम बारिश इस साल ज्यादा हुई।

कुंभलगढ़ में सबसे कम बारिश
कुंभलगढ़ उपखंड में इस साल सबसे कम बरसात हुई। कुंभलगढ़ मुख्यालय पर 10 साल की औसत बारिश 792 एमएम है। इस साल कुंभलगढ़ में 390 एमएम बारिश हुई। 10 साल के औसत की तुलना में इस साल 402 एमएम बारिश कम हुई। जिले में इस बार सबसे कम बारिश कुंभलगढ़ क्षेत्र में हुई। बता दे कि कुंभलगढ़ क्षेत्र में जिले की सबसे ज्यादा बारिश होती है। कुंभगलढ़ की बारिश से ही जिले के प्रमुख बांध और तलाब सहित राजसमंद झील में पानी की आवक होती है। क्षेत्र में कम बारिश होने के कारण जिले के बांध और तलाब खाली रह गए। इधर बाघेरी नाका छलकने के बाद से नंदसमंद बांध में पानी की आवक लगातार जारी है। बाघेरी नाका पर 2 इंच की चादर चल रही है। नंदसमंद बांध का जल स्तर धीरे-धीरे बढ़ते हुए 10.25 फिट हो गया है। बारिश रूक जाने से नंद समंद बांध में पानी की आवक धीमी हो गई है।

जिले का सबसे बड़ा 750 एमसीएफटी भराव क्षमता वाला नंदसमंद बांध खाली रह जाने के कारण क्षेत्र के किसानों को इस बार रबी की फसल के लिए पानी नहीं मिल पाएगा। कैचमेंट एरिया में कम बारिश होने के कारण बांध नहीं भर सका। नंदसमंद बांध में करीब 13 फिट पानी नाथद्वारा शहर में पेयजल के लिए रिजर्व रखा जाता है। इसके बाद खारी और भराई नहर से क्षेत्र के किसानों को रबी की फसल के लिए दिया जाता है। सिंचाई विभाग के अनुमान के अनुसार इस साल नाथद्वारा शहर की प्यास बुझाने जितना पानी की ही नंदसमंद में आवक होगी।