राजस्थान में बहुचर्चित भंवरी प्रकरण में 8 साल से जेल में बंद परसराम विश्नोई को सुप्रीम कोर्ट से सशर्त जमानत मिली। ट्रायल कोर्ट की शर्त के आधार पर जमानत मिलेगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ट्रायल में विलम्ब होने के कारण किसी व्यक्ति को अनिश्चितकाल के लिए जेल में बंद नहीं रखा जा सकता है। भंवरी देवी के अपहरण व हत्या के मामले में यह दूसरी जमानत है।
कभी कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे स्व. रामसिंह विश्नोई के छोटे पुत्र परसराम ने हाईकोर्ट से जमानत याचिका खारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश संजय किशन कौल और न्यायाधीश ऋषिकेश रॉय की बेंच के समक्ष परसराम की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि आरोपी साढ़े आठ साल से जेल में बंद है। इस मामले में सभी 197 गवाह के बयान हो चुके हैं। साथ ही, मुल्जिम बयान भी पूरे हो चुके हैं। अब बचाव पक्ष को अपने साक्ष्य पेश करने हैं। हमें अपने पक्ष में कोई साक्ष्य पेश नहीं करना है। हमें जमानत प्रदान की जाए। दोनों न्यायाधीश की बेंच ने कहा कि हम मानते हैं कि यह मामला बेहद गंभीर व जघन्य है। लेकिन अपीलार्थी अन्य आरोपियों के साथ साढ़े आठ साल से जेल में बंद है। ट्रायल में हो रहे विलम्ब के कारण किसी आरोपी को अनिश्चितकाल के लिए जेल में बंद रखना उचित नहीं होगा। ऐसे में हम सभी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए ट्रायल कोर्ट की शर्त के आधार पर जमानत प्रदान करते हैं। ऐसे में अब परसराम को जेल से बाहर आने के लिए पहले ट्रायल कोर्ट जाना पड़ेगा।
यह था मामला
राजस्थान की राजनीति में भूचाल लाने वाले भंवरी प्रकरण की जांच 15 अक्टूबर 2011 को सीबीआई को सौंपी गई। तब तक पुलिस इस मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार कर चुकी थी। बाद में सीबीआई ने जांच शुरू की। इस मामले में कुल 17 लोगों को गिरफ्तार किया गया। इनमें से एक रेशमाराम जमानत पर बाहर है, जबकि महिपाल मदेरणा, मलखान सिंह विश्नोई, परसराम विश्नोई व इन दोनों की बहन इंद्रा सहित 16 लोग जेल में हैं। सीबीआई ने तीन किस्तों में इस मामले की चार्जशीट कोर्ट में पेश की। पहली चार्जशीट मार्च 2012 में पेश की गई। कोर्ट में अब तक इस मामले में 197 गवाह के बयान पूरे हो चुके हैं। साथ ही सभी के मुलजिम बयान भी पूरे हो चुके हैं। सीबीआई ने 17 जुलाई को ही मुल्जिम बयान पूरे कराए हैं। अब इस मामले में बचाव पक्ष अपने साक्ष्य पेश कर रहा है। साक्ष्य पेश करने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद बहस शुरू होगी। बहस पूरी होने के बाद कोर्ट प्रदेश के इस बहुचर्चित मामले में अपना फैसला सुनाएगा।
जोधपुर जिले के बिलाड़ा थाने में अमरचंद नाम के एक व्यक्ति ने एक सितम्बर 2011 को रिपोर्ट दर्ज कराई कि उसकी पत्नी एएनएम भंवरी देवी लापता है। साथ ही उसने अपनी पत्नी के अपहरण की आशंका जताते हुए तत्कालीन राज्य सरकार में मंत्री महिपाल मदेरणा सहित दो तीन लोगों पर शक जाहिर किया। इसके बाद यह मामला सुर्खियों में आ गया। मामले की जांच कुछ आगे बढ़ती इस बीच राज्य सरकार ने बढ़ते विरोध को ध्यान में रख मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी। सीबीआई ने तीन दिसम्बर 2011 को महिपाल मदेरणा के पूछताछ की और उन्हें गिरफ्तार कर लिया। कांग्रेस विधायक मलखान सिंह विश्नोई का भी नाम आया। उन्हें भी पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया गया। इसके अलावा इस मामले में 15 अन्य गिरफ्तारियां भी हुईं। महिपाल व मलखान अभी तक जेल में ही हैं। सीबीआई का दावा है कि भंवरी देवी का अपहरण कर उसकी हत्या कर दी गई। बाद में शव को जला कर उसकी राख को राजीव गांधी लिफ्ट नहर में बहा दिया गया। यह मामला अब कोर्ट में विचाराधीन है।