India stop Ravi river water flow to Pakistan : अब हमारे भारत देश से रावी नदी का बहकर पाकिस्तान नहीं जाएगा। क्योंकि पंजाब के पठानकोट के पास बांध बनकर तैयार होने के साथ ही भारत सरकार द्वारा रावी नदी के पानी को पाकिस्तान जाने से पूर्ण रूप से रोक दिया। पंजाब के पठानकोट जिले में शाहपुर कंडी बैराज जम्मू-कश्मीर व पंजाब के बीच विवाद के कारण रुका हुआ था, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दखल के बाद वर्ष 2018 में विवाद का निस्तारण कर डेम का निर्माण फिर शुरू किया गया। ऐसे में अब डेम पूर्ण बनने के साथ ही पाकिस्तान जाने वाले पानी पर भारत ने रोक लगा दी। कई वर्षों से भारत के पानी का एक बड़ा हिस्सा पाकिस्तान में जा रहा था। इससे सबसे ज्यादा फायदा जम्मू के कठुआ व सांबा जिले में करीब 32 हजार हेक्टेयर से अधिक भूमि सिंचित होगी। पंजाब-जम्मू-कश्मीर सीमा पर यह डेवलेपमेंट जल आवंटन मामले में एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत है। जम्मू- कश्मीर क्षेत्र को अब पाकिस्तान के लिए पहले से निर्धारित 1150 क्यूसेक पानी का अतिरिक्त लाभ मिलेगा। यह पानी सिंचाई के उद्देश्यों को पूरा करेगा। इससे न सिर्फ खेती से किसान समृद्ध होंगे।
जानकारी के अनुसार विश्व बैंक की देखरेख में 1960 में हुई ‘सिंधु जल संधि’ के तहत रावी सतलुज और ब्यास नदियों के पानी पर भारत का विशेष अधिकार है। इसके तहत 1979 में पंजाब व जम्मू-कश्मीर सरकारों ने पाकिस्तान का पानी रोकने के लिए रंजीत सागर बांध व शाहपुर कंडी बैराज बनाने के लिए एक समझौता हुआ थ्रा। तब जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री शेख मोहम्मद अब्दुल्ला और पंजाब सीएम प्रकाश सिंह बादल थे। वर्ष 1982 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने परियोजना की नींव रखी, जो कार्य 1998 तक पूरा होना था। रणजीत सागर बांध का निर्माण 2001 में पूरा हो गया था, लेकिन शाहपुर कंडी बैराज नहीं बन सका। इसके चलते रावी नदी का 2 मिलियन एकड़ फीट पानी पाकिस्तान में बह रहा है, जिसे अब भारत अपने लाभ के लिए इस्तेमाल करेगा। रावी नदी भारत और पाकिस्तान दोनों देशों में बहती है। इसका उद्गम भारत के हिमाचल प्रदेश राज्य में रोहतांग दर्रे के पास है। हिमाचल प्रदेश, जम्मू- कश्मीर और पंजाब से होकर यह नदी पाकिस्तान में प्रवेश करती है।
इस तरह बढ़ती गई निर्माण की समयावधि
वर्ष 1982 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने परियोजना की नींव रखी, जिसके 1998 तक पूरा होना था। रणजीत सागर बांध का निर्माण 2001 में पूरा हो गया था, लेकिन शाहपुर कंडी बैराज नहीं बन पाया। इस कारण रावी नदी का पानी पाकिस्तान में जाता रहा और भारत चाहकर भी पानी नहीं रोक पाया। 2008 में शाहपुर कंडी परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया गया था, लेकिन निर्माण कार्य 2013 में शुरू हुआ। 2014 में पंजाब और जम्मू-कश्मीर के बीच विवादों के कारण परियोजना फिर से रुक गई थी।उसके बाद वर्ष 2018 में केन्द्र सरकार की दखल के बाद दोनों राज्यों के बीच समझौता हो पाया। इसके साथ ही फिर से अटका हुआ बांध का निर्माण शुरू हुआ। अब इससे 1150 क्यूसेक पानी से अब केंद्र शासित प्रदेश की 32,000 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होगी। बांध से पैदा होने वाली पनबिजली का 20 फीसदी हिस्सा जम्मू-कश्मीर को भी मिल सकेगा।