परम्परा, धार्मिक आस्था व उल्लास की प्रतीक है दीपावली : Deepawali festival in indian history

ByParmeshwar Singh Chundawat

Nov 11, 2023 #choti diwali kyu manai jati hai, #deepavali kyu manaya jata hai, #deepavali rhymes, #deepawali, #deepawali 2023, #deepawali kab hai, #deepawali kab ki hai, #deepawali katha, #deepawali ki katha, #deepawali ki katha sunau, #deepawali ki puja, #deepawali kyo manai jati hai?, #deepawali kyon manai jati hain, #deepawali new bhajan, #deepawali pooja, #deepawali puja bhajan, #deepawali puja ka mantra, #deepawali puja kaise kare, #deepawali story, #dipawali kyon manae jaati hai, #dipawali kyon manate hain, #diwali kab or kyo manai jati hai, #diwali kyo manai jati hai, #diwali kyo manayi jati hai, #diwali kyu manai jaati hai, #diwali kyu manate hai, #diwali kyu manate hain, #diwali kyu manaya jata hai, #diwali kyun manai jati hai, #jaivardhan news, #jayavardhan news, #jayvardhan news, #live rajsamand, #mewar news, #Rajasthan news, #rajasthan news live, #rajasthan police, #rajsamand news, #udaipur news, #आखिर दिवाली क्यों मनाई जाती है, #आखिर दीपावली क्यों मनाई जाती है, #क्यों मनाई जाती है दीपावली त्यौहार, #क्यों मनाते है छोटी दिवाली, #छोटी दिवाली क्यों मनाई जाती है, #दिवाली, #दिवाली क्यों मनाई जाती है, #दिवाली क्यों मनाई जाती है?, #दिवाली क्यों मनाते हैं, #दीपावली कब मनाई जाती है, #दीपावली का त्यौहार क्यों मनाया जाता है, #दीपावली क्यों मनाई जाती है, #दीपावली क्यों मनाया जाता है, #दीवाली क्यों मनाई जाती है
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हमारे देश में दिवाली को प्राचीनकाल से ही कार्तिक माह मे मनाया जाता है। भारत में वैसे तो हर त्यौहारों व पर्व को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है, लेकिन दीपावली एक ऐसा त्यौहार है जो भारतीय इतिहास व संस्कृति में अपना विशेष महत्व रखता है। बताया जाता है कि पद्म पुराण व स्कन्द पुराण मे दीपावली का उल्लेख मिलता है। दीपावली का इतिहास रामायण से जुड़ा हुआ है। माना जाता है कि श्री राम जब माता सीता व लक्ष्मण के साथ 14 वर्ष का वनवास पुरा करके अयोध्या लौटे तब अयोध्यावासियों ने श्री राम, माता सीता व लक्ष्मण के स्वागत में दीप जलाएं थे। माना जाता है कि तब से दीपोत्सव का त्यौहार मनाया जाता है। दीपावली का त्यौहार दशहरे के बाद आता है। हिन्दू धर्म में दीपावली के पर्व को सबसे बड़ा दर्जा दिया गया है। भारत में इस त्यौहार को बड़े उच्चतम तरीकों से मनाया जाता है। लोग अपने घरों को जलते दिए व रंगीन टिमटिमाती लाइटों से सजाते हैं। ऐसे में व्यापारी अपने प्रतिष्ठानों को भी बड़े खूबसुरत तरीके से सजाते हैं।

दीपावली पर्व से पहले ही लोग लक्ष्मी के स्वागत को लेकर घर- दफ्तर, दुकान की अच्छे से साफ सफाई करते हैं। घर में जो भी कूड़ा कचरा होता है, उसे साफ कर दिया जाता है। घर- आंगन को रंगोलियाें से सजाते हैं, तो दीवारों पर मांडणे बनाने की भी पुरातन परम्परा है। दीपावली के पर्व को अब पांच दिनों तक दीपोत्सव के रूप में मनाया जाता है, जिसमें खास तौर धनतेरस से ही यह पर्व शुरू हो जाता है, जो रूप चतुदर्शी, दीपावली, खेखरा और भाईदूज तक लगातार त्यौहारी रौनक घरों के साथ बाजार में भी दिखाई देती है। खास तौर से अगर बात हमारे देश के राजस्थान के मेवाड़ की करें, तो यहां का दीपोत्सव धार्मिक आस्था के केंद्र श्रीनाथजी, श्री द्वारकाधीश मंदिरों की परम्परा के चलते अनूठे अंदाज में मनता है। खास तौर से नाथद्वारा का दीपोत्सव देखने के लिए गुजराती वैष्णव से लेकर देशभर के विभिन्न अंचलों से श्रद्धालु पहलेे पहुंच जाते हैं। इन दोनों मंदिरों में दीपावली पर्व बड़े ही अनूठे अंदाज व परम्परा से मनाते हैं। यह परम्परा आज भी जीवंत प्रसंगों पर आधारित है।

  • श्रीकृष्ण ने किया राक्षस का वध : इस किस्से के अनुसार ये माना जाता है कि जब श्रीकृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध कर लोगों को उसके आतंक से मुक्त कराया, तो द्वारकावासियों ने दीप जलाकर उनका धन्यवाद अर्पित किया था।
  • मां लक्ष्मी व धन्वंतरी का जन्मदिन : बताया जाता है कि सतयुग में समुंद्र मंथन के दौरान माता लक्ष्मी व धन्वंतरी का जन्म हुआ था, तब दीप जलाकर उनका स्वागत किया था। माना जाता है कि इसलिए दीपावली पर माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है।
  • माता पार्वती ने किया मा कालिका का रूप धारण बताया जाता है कि राक्षसों के बढ़ते आतंक को देखकर माता पार्वती ने मा काली का रोद्र रूप धारण किया। राक्षसों के वध के बाद भी जब मा काली का क्रोध शांत नही हुआ तो महादेव स्वयं उनके चरणों में लेट गए, जिसके परिणामस्वरूप महादेव के स्पर्श मात्र से ही मा काली का क्रोध पूर्णतया शांत हो गया कहतें है तभी से माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है व मा काली की भी पूजा की जाती है।
  • तेरह वर्ष का वनवास के बाद लौट पांडव बताया जाता है कि महाभारत में कौरवों द्वारा पांडवों को शतरंज में मामा शकुनि की चाल में फंसा कर हरा दिया था, उसके बाद पांडवों का राज्य छोड़ 13 वर्ष का वनवास जाना पड़ा था। बताते हैं कि कार्तिक माह में जब पांडव वनवास कर वापस लौटे तो प्रजावासियों ने उनके स्वागत में दीप जलाए थे।
  • विक्रमादित्य का राज्यभिषेक बताया जाता है कि सम्राट विक्रमादित्य का राज्यभिषेक भी कार्तिक मास में ही हुआ था व सम्राट विक्रमादित्य अपनी उदारता साहस व प्रजा के कल्याण के लिए सर्वाधिक प्रसिद्ध था। इस कारण भी दीपावली मनाई जाती है।

दीपावली का पर्व मनाने के पीछे कई किस्से जुड़े हैं। चाहे जो भी किस्से रहे हो, मगर एक बात जरूर है कि यह दीपावली का पर्व आनंद व खुशियां बांटने का पर्व है। घर आंगन में दीपक झिलमिलाते हैं, तो चौतरफा रोशनी उभर आती है, तो खुशियों का संचार होता है। दीप जलाने से शारीरिक व आध्यात्मिक शक्ति का अनुभव होता है।

  • सिख धर्म में भी दीपावली का दिन माना जाता है खास बताया जाता है कि इसके पीछे की भी अजीब कहानी है जब सिखों के छठवें गुरू हरगोविंद सिंह काे मुगलबादशाह ने कैद कर लिया तो कहते हैं कि एक रात मुगल बादशाह को सपना आया जिसमें किसी फकीर ने कहा कि हरगोविंद सिंह को आजाद कर दो तब बताया जाता है कि मुगल बादशाह ने उसकी पालना करते हुए हरगोविंद सिंह को आजाद कर दिया था। इसलिए सिख धर्म में उनकी आजादी की खुशी में दीपोत्सव के त्यौहार काे हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है।
    जैन धर्म में यह है विशेष मान्यता कहते है कि दीपावली के पर्व पर ही जैन धर्म के पूजनीय व आधुनिक जैन धर्म के संस्थापक ऋषभदेव ने निर्वाण प्राप्त किया था। इसी कारण जैन धर्म में यह विशेष रूप में मनाया जाता है।
  • आर्य समाज के लिए खास दिन भारतीय आर्य समाज की मान्यताओं के अनुसार बताया जाता है कि दीपोत्सव के दिन ही आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानंद सरस्वती को निर्वाण प्राप्ति हुई थी। इसलिए दीपोत्सव का दिन आर्य समाज के लिए बड़ा खास माना जाता है।
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दीपावली पर्व मनाने के हर प्रांत में अलग- अलग तरीके हैं। घर-आंगन, दफ्तर में साफ सफाई तो आम है, मगर देश के पूर्व- पश्चिम, उत्तर व दक्षिण में दीपोत्सव मनाने की अलग अलग परम्पराएं है। इसके तहत लक्ष्मीजी के पूजन की विधि भी अलग अलग है, तो हर क्षेत्र का पहनावा और उनकी संस्कृति भी अलग है। दीपक, रंगोलियां, मिठाई खाना व खिलाने एक जैसा है, तो उसके तौर तरीके भिन्न है। लक्ष्मीजी की पूजा के बाद आतिशबाजी की परम्परा है।

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दीपावली का त्यौहार का धार्मिक महत्व के साथ आर्थिक महत्व भी है, दीपोत्सव के त्यौहार काे भारत में खरीददारी के रूप में प्रमुख माना जाता है। दीपावली के त्यौहार पर व्यापारियों द्वारा प्रतिष्ठान भी बड़े खूबसुरत रूप से सजाया जाता है। मांगलिक कार्य के लिए दीपोत्सव पर अबूज मुहूर्त और सांवे रहते हैं। इसलिए जमीन, जायदाद, वाहन, ज्वैलरी खरीद की बात हो या नए व्यवसायिक कारोबार की शुरुआत को भी शुभ माना जाता है। इसीलिए दीपावली के पर्व आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है और दीपोत्सव पर सर्वाधिक कारोबार को लेकर व्यवसायी भी उत्साहित रहते हैं, तो खरीददार भी लालायित दिखते हैं। इस तरह दीपावली के पर्व पर सर्वाधिक पैसा बाजार में आता है। दीपोत्सव को व्यापारियों के लिए महत्वपूर्ण भी माना जाता है क्योंकि व्यापारियों के लिए दीपावली एक नववर्ष होता है। दिवाली से पूर्व ही व्यापारी अपना पुराना लेखा-जोखा खत्म कर नया खाता प्रारंभ करते हैं।

भारत में तो दीपावली बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है, लेकिन भारत के साथ इन देशों में भी दीपावली को बड़ी उमंग के साथ मनाया जाता है।

  1. अमेरिका
  2. यूनाइटेड किंगडम
  3. न्यूजीलैंड
  4. आस्ट्रेलिया
  5. जर्मनी

दीपोत्सव का लाभ : Deepawali ke labh

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  • दीपावली के पर्व व्यापारियों के लिए सर्वाधिक खास होता है, क्योंकि उनको इस पर्व पर सर्वाधिक कमाई होती है।
  • दीपावली के पर्व से रिश्तों में मिठास व प्रेम बढ़ता है क्योंकि इस पर्व पर सभी लोग आपस में मिलते हैं व एक-दुसरे के मिठाई व उपहार बांटते हैं। जिससे लोगों के आपसी मनमुटाव व मतभेद भी दुर होते हैं।
  • यह त्यौहार घरेलु उद्योग के लिए भी खास हैं, क्योंकि गरीब व्यवसायी जो मिट्टी का सामान व सजावट के सामान बनाते हैं जिससे उनके परिवार का पालन- पोषण होता है। इसलिए दीपोत्सव का त्यौहार इन घरों में भी खुशियां भर जाता है।
  • यह त्यौहार स्वास्थ्य के लिए बड़ा लाभकारी है, क्योंकि इस त्यौहार से पूर्व लोग माता लक्ष्मी के स्वागत में अपने घर व आस-पास के परिवेश को स्वच्छ कर देते हैं। गंदगी दूर होने से बीमारियां भी दूर होती है।

Deepawali के नुकसान :

दीपावली का पर्व हमारे लिए जितना लाभकारी है उतना नुकसान दायक भी है। देखिए………

  • दीपोत्सव के पर्व पर सबसे बड़ा नुकसान है वायुप्रदुषण क्योंकि इस पर्व पर सबसे ज्यादा आतिशबाजी की जाती है जिसके कारण पर्यावरण प्रदुषण होता है और वातावरण में कई प्रकार की बीमारियां फैलती है।
  • इस पर्व पर सर्वाधिक मिठाईयां लोगों द्वारा खरीदी व खाई जाती है जो भी स्वास्थ्य पर बुरा असर डालती है।
  • इस पर्व पर लोग अपने घरों पर सर्वाधिक लाइटें जलाई जाती है, जिससे बिजली का भी नुकसान होता है।

दीपावली का शुभ मुहुर्त

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